RANCHI: विभिन्न विभागों में कार्यरत करीब 220 इंजीनियरों पर चल रहे करप्शन के मामलों में सरकार कार्रवाई करने के स्थान पर इन्हें मलाईदार विभागों में पोस्टिंग दे रही है। आरटीआई के जरिए हुए खुलासे के बाद इन दागी इंजीनियरों पर कार्रवाई की मांग तेज हो गई थी, लेकिन कार्रवाई के नाम पर केवल लीपापोती कर इन्हीं इंजीनियरों को मलाईदार विभाग बांटा जा रहा है। इन इंजीनियरों पर कई गंभीर आरोप लगे हैं। किसी पर वित्तीय अनियमितता का आरोप है, तो कोई एसीबी व सीबीआई केस में फंसा है। इसके अलावा सरकार के कई ऐसे विभाग हैं, जिनमें कार्यरत कई इंजीनियर दागदार हैं। मगर इन सबके बावजूद सरकारी सिस्टम कहीं न कहीं ऐसे इंजीनियरों पर कार्रवाई करने में लापरवाही बरत रहा है।

विकास कायरें के टेंडर में खेल

स्टेट के विकास के लिए किए जा रहे टेंडर में कमीशन का खेल बदस्तूर जारी है। भवन निर्माण विभाग समेत कई ऐसे विभाग हैं, जिनकी शिकायतों का अंबार लगा है। इन विभागों में कार्य पर खर्च होने वाली राशि का इस्टीमेट करीब 20 प्रतिशत बढ़ाकर बनाया जा रहा है। इसके बदले ठेकेदार या एजेंसी से प्रॉसेसिंग चार्ज(पीसी) के रूप में ली जाने वाली घूस की रकम को बढ़ाकर 10 प्रतिशत तक कर दिया गया है।

105 दिनों में कार्रवाई का प्रावधान

सरकार के वादों और इरादों से स्पष्ट प्रावधान है कि इन दागी इंजीनियरों पर 105 दिनों के भीतर कार्रवाई की जाए, लेकिन लंबे समय से इन्हें प्रोन्नति देकर उपकृत किया जा रहा है। झारखंडी सूचना अधिकार मंच के विजय शंकर नायक ने सरकार से दागी इंजीनियरों पर कार्रवाई करने की मांग कई बार की है। सारे दस्तावेज मुहैया कराए हैं, लेकिन नतीजा सिफर रहा है।

क्या कहते हैं आरटीआई एक्टिविस्ट

आरटीआई एक्टिविस्ट विजय शंकर नायक ने कहा कि उन्होंने राष्ट्रपति से लेकर स्टेट के सीएम और गवर्नर तक को पत्र लिखा है, लेकिन सरकार के स्तर से कोई कार्रवाई नहीं की गई। उन्होंने कहा कि अब कोर्ट की शरण में ही इंसाफ मिल सकता है।

दागी पाए गए इंजीनियर

जल संसाधन विभाग: 92 इंजीनियर

ग्रामीण विकास विभाग: 55 इंजीनियर

पथ निर्माण विभाग: 73 इंजीनियर