RANCHI: रिम्स में हार्ट के मरीजों को इलाज कराना महंगा पड़ रहा है। चूंकि मरीजों को पिछले कई महीनों से एंजियोग्राफी के लिए किट उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। ऐसे में उन्हें बाहर से किट खरीदकर एंजियोग्राफी करानी पड़ रही है। इतना ही नहीं, मरीजों को इसके लिए दो से तीन गुना अधिक पैसे चुकाने पड़ रहे हैं। बताते चलें कि रिम्स में महज तीन हजार रुपए में ही मरीजों का एंजियोग्राफी करने का प्रस्ताव पास किया गया था।

हर हफ्ते में दर्जनों मरीज

हार्ट की समस्या लेकर मरीज इलाज के लिए रिम्स आते है। ऐसे में प्राब्लम अधिक होने पर मरीजों को जांच के लिए कहा जाता है। जहां मरीजों का टीएमटी और एंजियोग्राफी करके देखा जाता है कि हार्ट कितना काम कर रहा है। वहीं इसकी मदद से हार्ट में होने वाली ब्लाकेज की भी जानकारी मिल जाती है। हर हफ्ते रिम्स के कैथलैब में दर्जनों मरीजों की एंजियोग्राफी होती है। इसके बावजूद प्रबंधन ने किट की सप्लाई रोक दी है।

दुकान से किट लाने पर दोगुना हो रहा खर्च

हॉस्पिटल से किट मिलने पर मरीजों की एंजियोग्राफी तीन हजार रुपए में हो जाती। लेकिन किट उपलब्ध नहीं कराए जाने के कारण मरीजों को बाहर से किट खरीदकर लाना पड़ रहा है। जिसमें लोगों से लगभग दोगुना चार्ज भी मेडिकल स्टोर वाले किट के लिए वसूल रहे हैं।

एचओडी ने उठाया सवाल तो बंद की सप्लाई

गवर्निग बॉडी की मीटिंग में रिम्स में इलाज के लिए आने वाले हार्ट के मरीजों की तीन हजार रुपए में एंजियोग्राफी करने की मंजूरी मिली थी। इसके बाद किट की सप्लाई के लिए टेंडर भी किया गया था। लेकिन जिस किट की सप्लाई का आर्डर प्रबंधन ने दिया था उस पर एचओडी डॉ। हेमंत नारायण ने सवाल खड़े कर दिए। कहा कि जितना खर्च करके रिम्स प्रबंधन किट खरीद रहा है उसमें 150-200 रुपए और खर्च कर दिए जाएं तो अच्छा किट मिल सकता है। इसके बाद प्रबंधन ने किट की सप्लाई ही रोक दी।

वर्जन

हमारा काम ही है तो सामान की सप्लाई क्यों नहीं होगी। अगर डिपार्टमेंट से किट की डिमांड आती है तो किट दिया जाएगा। फिलहाल तो डिमांड नहीं होने के कारण किट अवेलेबल नहीं है। अब हमारी कमिटी ने किसी किट को फाइनल किया है, तो इसमें परेशानी कहां है। यह बात तो डॉक्टर को भी समझनी होगी। हम यहां मरीजों की सेवा करने के लिए हैं।

डॉ। विवेक कश्यप, सुपरिंटेंडेंट, रिम्स