-1 मार्च से 46 medicines के sell पर होगा restriction

--Schedule H1 में शामिल की गई हैं ये दवाएं

--Antibiotics के sell को regulate करने के लिए बना rule

--Antibiotics का inappropriate use बढ़ा रहा multi-drug resistance की problem

JAMSHEDPUR : एक मार्च से अल्प्राजोलम, लिवोचलॉचसासिन, जेमिचलॉचसासिन सहित 46 दवाइयां बगैर प्रिस्क्रिचशन के खरीदना और बेचना मुश्किल हो जाएगा। गवर्नमेंट द्वारा अगस्त 2013 में ड्रचस एंड कॉस्मेटिक रूल्स में अमेंडमेंट कर जोड़े गए शिड्यूल एच 1 में शामिल किए गए इन मेडिसिचस की सचलाई का रिकॉर्ड प्रिस्क्राइबर के नेम और एड्रेस, पेशेंट का नाम, ड्रग का नाम और चवांटिटी जैसे इंफॉर्मेशचस के साथ तीन साल के लिए रखना जरूरी है। स्टेट ड्रग डिपार्टमेंट के चवाइंट डायरेचटर बीएल दास स्टेट में इस रूल को सचती के साथ इंचलीमेंट किए जाने की बात कह रहे हैं। सवाल है कि आखिर इस नए शिड्यूल की जरूरत चयों पड़ी? इसकी वजह है एंटिबॉयटिचस के इनएप्रोप्रिएट यूज को रोकना।

एंटिबॉयटिचस का बेरोक-टोक किया जा रहा इस्तेमाल देश में मल्टी-ड्रग रजिस्टेंस जैसी प्रॉचलम पैदा रहा रहा है। बात अगर सिटी या पूरे स्टेट की करें तो यहां हेल्थ सर्विसेज का स्ट्रचचर कुछ ऐसा है कि ये प्रॉचलम यहां और भी बढ़ जाती है।

कोई भी बीमारी होो Antibiotics है ना !

हर साल 15 बिलियन इंजेचशन, इनमें से आधे अन-स्टेराइल, कई गैरजरूरी, 25 से 75 परसेंट एंटिबायटिक प्रिस्क्रिचशन इनएप्रोप्रिएट, ये आंकड़े दुनियाभर में मेडिसिचस और एंटिबायटिचस के मिसयूज को बताते हैं। कोई भी बीमारी हो लोग बिना सोचे एंटिबॉयटिचस की मांग करते हैं। सेल्फ मेडिकेशन के अलावा कई बार डॉचटर भी गैरजरूरी एंटिबायटिचस प्रिस्क्राइब करते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार व‌र्ल्ड में करीब 50 परसेंट लोग सही तरीके से मेडिसिन नहीं लेते, वहीं करीब 30 से 60 परसेंट पीएचसी पेशेंट्स को जरूरत से दोगुना एंटिबॉयटिक मिलता है। फीजीशियन डॉ बलराम झा कहते हैं कि मेडिकल स्टोर्स द्वारा बिना किसी प्रिस्क्रिचशन के धड़ल्ले से एंटिबॉयटिक दिए जाते हैं। खुद को डॉचटर बताने वाले चवैचस भी बिना सोचे-समझे एंटिबॉयटिक प्रिस्क्राइब करते हैं।

बेरोक-टोक होती है selling

एंटिबायटिक मांगने भर की देर है, मेडिकल स्टोर पर बैठा दुकानदार अपनी समझ के हिसाब से दवा का पचा निकालकर सामने रख देता है। पेशेंट खुश चयोंकि डॉचटर का चचकर लगाए बिना ही उसे दवा मिल गई। लेकिन चया इस ढंग से दवाई लेना चया सही है? बिल्कुल नहीं। जानकारी के मुताबिक एंटिबॉयटिचस का इचिडस्क्रिमिनेट यूज मल्टी ड्रग रजिस्टेंट की बेहद गंभीर प्रॉचलम पैदा करता है। गवर्नमेंट द्वारा मेडिसिचस के सेल को रेचयूलेट करने के लिए कई रूल्स भी बनाए गए हैं पर सिटी में इसका धड़ल्ले से वॉयलेशन होता है।

बगैर prescription बेची जाती हैं दवाइयां

ड्रचस एंड कॉस्मेटिचस रूल के अंतर्गत शिड्यूल एच में स्पेशिफाइड 510 और शिड्यूल एचस में स्पेशिफाइड 15 मेडिसिचस बगैर रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैचिटशनर के प्रिस्क्रिचशन के नहीं बेचे जा सकते। ड्रचस एंड कॉस्मेटिचस रूल्स में एक नया शिड्यूल एच 1 नोटिफाई किया गया है। इसमें थर्ड और फोर्थ जेनरेशन के एंटिबॉयटिचस, हैबिट फार्मिग ड्रचस और एंटी टीबी ड्रचस शामिल हैं। अगस्त 2013 में नोटिफाई किए गए इस शिड्यूल में शामिल दवाओं के सेल को लेकर स्ट्रिचट रूल्स बनाए गए हैं। हेल्थ डिपार्टमेंट के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि स्टेट में खासकर रूरल एरियाज में आज भी हेल्थ सर्विसेज में चवैचस का बड़ा रोल है। इन चवैचस के प्रिस्क्रिचशन की कोई वैलेडिटी नहीं पर लोगों के पास कई बार दूसरा चारा भी नहीं होता। इन दवाओं में एंटिबॉयटिक भी शामिल होते हैं जिसकी वजह से मल्टी-ड्रग रजिस्टेंस जैसी समस्या बढ़ती है।

फिर चया है policy का फायदा

एंटिबॉयटिचस के इनएप्रोप्रिएट यूज को रोकने के लिए गवर्नमेंट द्वारा नेशनल पॉलिसी फॉर कंटेचमेंट ऑफ एंटीमाइक्रोबियल रजिस्टेंस बनाया गया है। जिसके तहत देश में बढ़ते एंटीमाइक्रोबियल रजिस्टेंस को चेक करने के लिए कई गाइडलाइचस दिए गए हैं। इसी पॉलिसी के तहत शिड्यूल एच क् को इंट्रोड्यूस करने का सजेशन भी दिया गया था। पॉलिसी में एंटिबायटिचस के ओवरयूज, अंडरयूज और मिसयूज को प्रॉचलम बताया गया है।