प्रणव मुखर्जी ने भी अफसोस जताया
टाइम्स हाइयर एजुकेशन ने एक नवीनतम विश्व प्रतिष्ठित रैकिंग तैयार की है. जिसमें भारत काफी पीछे छूट गया. भारत की कोई भी यूनिवर्सिटी दुनिया के टॉप-100 यूनिवर्सिटीज की सूची में स्थान नहीं बना सकी है. भारत के बड़े शिक्षण संस्थानों में गिने जाने वाली आईआईटी और आईआईएम जैसी यूनिवर्सिटियां भी इसमें जगह नहीं बना पायी. भारत की इस सूची में जगह न बाने से देश के राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने भी अफसोस जताया है. उन्होंने अपने अभिभाषण में कहा कि भारत की किसी भी यूनिवर्सिटी का टॉप सूची में जगह न बनना एक बहुत बड़ी कमजोरी है. उन्होंने कहा कि इससे निपटने के लिये भारत को इस दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे.

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को पहला स्थान 
वहीं दुनिया के टॉप-100 यूनिवर्सिटीज की साल 2015 की सूची में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने सफलता हासिल की. रैकिंग में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को पहला स्थान मिला है. उसके बाद कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी का स्थान है. वहीं तीसरे स्थान पर आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी है. इसके अलावा ब्राजील, रूस और चीन आदि देशों ने भी सूची में जगह बनायी है. इन देशों के एक-एक विश्वविद्यालय भी इस सूची में हैं. जिससे साफ है कि यह भारत के लिये एक असहज स्थति है. इससे यह बात साफ जाहिर हो रही है कि इसी वजह से भारत में ब्रेन ड्रेन बड़ी समस्या बन चुकी है. भारतीय छात्र छात्राओं को बेहतर शिक्षा नहीं मिल रही है. जिससे वे उच्च शिक्षा के लिए विदेश चले जाते हैं. 

 

प्रणव मुखर्जी ने भी अफसोस जताया
टाइम्स हाइयर एजुकेशन ने एक नवीनतम विश्व प्रतिष्ठित रैकिंग तैयार की है. जिसमें भारत काफी पीछे छूट गया. भारत की कोई भी यूनिवर्सिटी दुनिया के टॉप-100 यूनिवर्सिटीज की सूची में स्थान नहीं बना सकी है. भारत के बड़े शिक्षण संस्थानों में गिने जाने वाली आईआईटी और आईआईएम जैसी यूनिवर्सिटियां भी इसमें जगह नहीं बना पायी. भारत की इस सूची में जगह न बाने से देश के राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने भी अफसोस जताया है. उन्होंने अपने अभिभाषण में कहा कि भारत की किसी भी यूनिवर्सिटी का टॉप सूची में जगह न बनना एक बहुत बड़ी कमजोरी है. उन्होंने कहा कि इससे निपटने के लिये भारत को इस दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे.

 

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को पहला स्थान 
वहीं दुनिया के टॉप-100 यूनिवर्सिटीज की साल 2015 की सूची में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने सफलता हासिल की. रैकिंग में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को पहला स्थान मिला है. उसके बाद कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी का स्थान है. वहीं तीसरे स्थान पर आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी है. इसके अलावा ब्राजील, रूस और चीन आदि देशों ने भी सूची में जगह बनायी है. इन देशों के एक-एक विश्वविद्यालय भी इस सूची में हैं. जिससे साफ है कि यह भारत के लिये एक असहज स्थति है. इससे यह बात साफ जाहिर हो रही है कि इसी वजह से भारत में ब्रेन ड्रेन बड़ी समस्या बन चुकी है. भारतीय छात्र छात्राओं को बेहतर शिक्षा नहीं मिल रही है. जिससे वे उच्च शिक्षा के लिए विदेश चले जाते हैं. 

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