देहरादून
अगर आपके साथ कोई अपराध हो गया और आप देहरादून के पुलिस थानों में एफआईआर दर्ज कराने जा रहे है तो आपको 'जैक' लगवाना पड़ेगा। देश में गृह मंत्रालय किसी भी अपराध की एफआईआर तुरंत दर्ज करने के लिए तमाम प्रयास कर रहा है, लेकिन यहां पुलिस में दर्ज हो रही अधिकतर एफआईआर के मामलों में सिफारिश जुडी हुई है। खासकर वारदात फ्रॉड या चोरी की हो तो पुलिस तब तक दर्ज नहीं करती जब तक किसी अधिकारी के दबाव न आ जाए। कुछ मामले तो ऐसे भी सामने आए जिनमें पुलिस ने एफआईआर तब दर्ज की जब क्रिमिनल को या तो परिवादी खुद पकड़ कर थाने लेकर पहुंचा या पुलिस के हत्थे चढ़ गया।
मुख्यमंत्री तक लगा चुके जैक:
ऋषिकेश निवासी विजय वर्धन का एक बच्चा धोखाधड़ी से ठग लेने के मामले तो तमाम साक्ष्य उपलब्ध कराने के बावजूद पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की। मामले में एसटीएफ ने प्राथमिक जांच में यह भी पता लगा लिया कि दूसरा बच्चा प.बंगाल में है। उसकी फोटो और अस्पताल से डिटेल भी मिल गई। इसके बावजूद पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की। बेटे की बरामदगी के लिए विजय वर्धन को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से गुहार लगानी पड़ी। तब जाकर दो वर्ष बाद मामला दर्ज हो पाया।
विधानसभा अध्यक्ष को लगाना पड़ा जैक:
दून के रायवाला थाना इलाके में दो माह पहले बुलेट बाइक रेंट पर ठग कर ले उडे़ थे। इस मामले में भी फरियादी ने अपने स्तर पर ठग के बारे में तमाम डिटेल जुटा ली,थाने पहुंचा, पुलिस ने सहमति से बाइक देने का मामला बताकर टरका दिया। स्थानीय विधायक और विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल से गुहार लगाई।
डीजीपी भी कर चुके पावर का यूज
प्रेमचंद अग्रवाल ने ऋषिकेश थाना पुलिस की इस कारगुजारी की शिकायत डीजीपी अनिल के रतूड़ी से की। डीजीपी कार्यालय से डंडा चला तब जाकर 25 जनवरी को हुई वारदात की एफआईआर ऋषिकेश थाना पुलिस ने एक माह बाद 25 फरवरी को दर्ज की।
चोर पकड़ा गया तब दर्ज की एफआईआर
-राजपुर थाना इलाके में 16 फरवरी को अनवर अहमद की मोबाइल शॉप में चोरी
फरियादी ने अगले दिन थाने पहुंच कर तहरीर दी। पुलिस भी मौके पर गई,पर एफआईआर तब दर्ज की जब चोर पकड़ा गया। 8 मार्च को एक अन्य थाना पुलिस ने चोरी का मोबाइल इस्तेमाल करते हुए युवक को पकड़ा। पूछताछ में उसने मोबाइल शॉप में चोरी करना कबूल किया तब पुलिस ने मामला दर्ज किया।
एडीजी,डीआईजी,एसएसपी के यहां फरियादियों की कतार:
पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करने में आनाकानी से परेशान फरियादियों की एडीजी लॉ एंड आर्डर अशोक कुमार, डीआईजी गढ़वाल रेंज पुष्पक ज्योति और एसएसपी निवेदिता कुकरेती के ऑफिस में हर माह सैकड़ों शिकायतें पहुंच रही है। ऑन लाइन फ्रॉड, लैंड फ्रॉड, चोरी, वाहन चोरी और एटीएम फ्रॉड की एफआईआर दर्ज करने में तो थाना पुलिस के पसीने छूट जाते हैं।
सैकड़ों फरियादियों को एफआईआर दर्ज होने का अभी इंतजार:
शहर में सैकड़ों लोग अपने साथ हुए अपराध की रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए पुलिस अफसरों से लेकर थाने-चौकियों के चक्कर लगा लगा कर थक चुके हैं, लेकिन उनकी एफआईआर अभी भी दर्ज नहीं हो रही। पुलिस अफसरों को चाहिए कि थानों में फरियादियों की एफआईआर तुरंत दर्ज करने के निर्देश जारी किए जाएं।
दून में वारदात, दिल्ली में एफआईआर :
देहरादून में हुए रेप के दो चर्चित मामले की तो एफआईआर ही दिल्ली पुलिस ने दर्ज की। दिल्ली पुलिस ने बिना नंबरी दर्ज किए। दिल्ली पुलिस ने बिना नंबरी एफआईआर दर्ज कर दून भेजी। तब पुलिस ने यहां दर्ज की। चर्चा है कि परिवादिनीयों को पुलिस ने टरका दिया था।
दून पुलिस का एफआईआर रिकार्ड
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देहरादून में19 थाने 824 एफआईआर
2018 में दर्ज एफआईआर की संख्या
कैंट- 39
क्लेमेंटाउन -36
कालसी 3
कोतवाली 122
चकराता 0
जीआरपी 2
टयूनी 0
डालनवाला 57
डोईवाला 60
ऋषिकेश 103
नेहरू कॉलोनी 62
पटेल नगर 111
प्रेमनगर 45
बसंत विहार 46
मसूरी 4
राजपुर 19
रानीपोखरी 19
रायपुर 78
रायवाला 57
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यह है एफआईआर का नियम:
किसी भी व्यक्ति को अपने साथ हुए अपराध की एफआईआर दर्ज कराने का हक है। क्रिमिनल प्रोसीजर कोड सीआपीसी की धारा 154 के तहत पुलिस को शिकायत कर्ता के सिर्फ बोलने या फिर लिखकर देने या अन्य किसी व्यक्ति के जरिए भी अपने साथ हुए अपराध की जानकारी देने पर एफआईआर दर्ज कराने का हक है। यहां तक कि पुलिस भी किसी अपराध के संबंध में स्वप्रेरित एफआईआर दर्ज कर सकती है।