- एथेंस ओलंपिक के बाद किसी ओलंपिक को नहीं मिला यूपी के खिलाड़ी को स्थान

- एथेंस ओलंपिक में विमेन टीम का रहा था अभी तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन

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sharma.saurabh@inext.co.in

Meerut : प्रभात आश्रम की सबसे होनहार खिलाडि़यों में से एक और देश को आर्चरी में व‌र्ल्ड लेवल में पहचान दिलाने वाली सुमंगला शर्मा के बाद यूपी में कोई ऐसी प्लेयर नहीं हुई जो इंडियन टीम में शामिल हो सके। इत्तेफाक तो ये भी है कि जिस साल ओलंपिक टीम में यूपी की सुमंगला शर्मा रही उसी साल भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा। उसके बाद कभी ओलंपिक में उस दौर तक नहीं पहुंच सकी।

हो गए 11 साल

प्रभात आश्रम से तीरंदाजी सीखने वाली सुमंगला शर्मा कहती हैं कि एथेंस ओलंपिक को 11 साल बीत चुके हैं, लेकिन उसके बाद टीम कभी वैसा प्रदर्शन नहीं कर सकी। उस वक्त मेरे साथ डोला बनर्जी और रीना कुमारी थी। हम क्वार्टर फाइनल खेले थे और देश को छठे स्थान पर लेकर आए थे।

कोई खिलाड़ी नहीं

बड़ी ही अजीब बात ये है कि देश को कई ओलंपिक लेवल के खिलाड़ी देने वाला प्रभात आश्रम 11 सालों में एक भी ऐसा आर्चर पैदा नहीं कर सका, जो ओलंपिक की मेन और विमेन टीम में शामिल हो सके। आखिरी बार प्रभात के सत्यदेव और सुमंगला ने ही एथेंस ओलंपिक के लिए अपनी जगह बनाई थी। इस बारे में सुमंगला कहती है कि ये कमी आश्रम की नहीं बल्कि सरकार की है। सरकार ने कभी यूपी के आर्चर्स को वो माहौल और सुविधाएं ही नहीं दी जिससे खिलाड़ी आगे बढ़ सके।

नहीं गया था कोच

सुमंगला शर्मा ने एथेंस ओलंपिक को याद करते हुए कहा कि उस वक्त हमारे पास कोई सुविधा नहीं थी। यहां तक की हमारे साथ कोच भी नहीं गया था। सिर्फ टीम मैनेजर ही साथ में थे। कोई फीजियोथेरेपिस्ट भी साथ नहीं था। अपना ख्याल खुद रखना होता था। अब की आर्चरी और तब की आर्चरी में काफी बदलाव आ गया है। काफी सुविधाएं बढ़ गई हैं।

जरूर आना चाहिए मेडल

देश की ओलंपियन और बेहतरीन आर्चर सुमंगला शर्मा कहती हैं कि मौजूदा समय से में जिस तरह से विमेन आर्चर को सुविधाएं मिल रही है उससे उनसे मेडल की एस्पेक्टेशन जरूर की जानी चाहिए। धनुष से लेकर तमाम इक्विपमेंट उन्हें आसानी से मिल रहे हैं। प्राइवेट कोच और फीजियो रखने की व्यवस्था अब है। विदेश में कोचिंग की व्यवस्था की जा रही है, और क्या चाहिए। दीपिका, रिमिल, लक्ष्मी और भी बेहतरीन खिलाड़ी हैं जो मेडल दिलाने में सक्षम हैं।

नहीं मिलती है नौकरी

सुमंगला का कहना है कि यूपी के आर्चर्स को अगर नौकरी मिलनी शुरू हो जाएं तो यूपी एक फिर से आर्चरी में सबसे आगे होगा। कई खिलाड़ी ऐसे हैं जो बाहर की ओर रुख कर चुके है। वो वापस अपने प्रदेश में लौटना चाहते हैं, लेकिन नहीं आ पा रहे हैं, क्योंकि यूपी में उनके लिए नौकरी नहीं है। मुकेश, विश्वास ऐसे प्लेयर्स हैं जो यूपी में रहकर यूपी आर्चरी को आगे लेकर जाना चाहते हैं, लेकिन नौकरी छोड़कर नहीं आ पा रहे हैं। ऐसे खिलाडि़यों के लिए गवर्नमेंट को सोचना होगा। वरना कुछ नहीं हो सकेगा।

सत्यदेव जैसा कोई नहीं

भले ही मौजूदा समय में जयंत तालुकदार, मंगल सिंह चंपिया, अर्जुन अवॉर्ड विनर राहुल बनर्जी का नाम इंडियन आर्चरी में टॉप है, लेकिन वर्ष 2004 के एथेंस ओलंपिक में प्रभात आश्रम के शिष्य सत्यदेव ने कर दिखाया वो आज तक देश का कोई आर्चर नहीं कर सका। जी हां, ओलंपिक में देश का ऑल टाइम बेस्ट रिकॉर्ड 9 पोजिशन है। जो सत्यदेव ने दिलाई थी। उसके बाद मेन इंडिविजुअल में कोई ऐसा प्रदर्शन नहीं दोहरा सका है।

ये कहता है फेडरेशन

यूपी तीरंदाजी संघ के जनरल सेकेट्री अजय गुप्ता ने कहा कि ये बात बिल्कुल सही है कि हम देश को 2004 के बाद कोई ओलंपियन नहीं दे सके हैं। इसका मेन कारण है प्रदेश सरकार का कोई सपोर्ट न मिलना। इक्विपमेंट इतने महंगे है कि संघ इसे अफोर्ड नहीं कर पा रहा है। ऐसे में बच्चों को बेहतर सुविधाएं नहीं दी जा रही है। अगर सरकार सपोर्ट करे तो एक फिर से देश को हम ओलंपियन देने में कामयाब हो जाएंगे।