RANCHI : रांची से कई नेशनल-इंटरनेशनल आर्चर्स निकलें हैं। इन आर्चर्स ने राज्य और देश का मान-सम्मान बढ़ाया है। आर्चरी में प्रतिभाओं की कमी नहीं है, बस उनके टैलेंट को निखारने की जरूरत है, लेकिन अफसोस इस बात का है कि राजधानी में न तो कोई आर्चरी एकेडमी है और न ही ट्रेनिंग सेंटर। जमशेदपुर स्थित टाटा आर्चरी एकेडमी के भरोसे यहां आर्चरी जिंदा है। इस एकेडमी ने देश को कई बेहतरीन आर्चर्स दिए हैं।

सिल्ली में है आर्चरी सेंटर

राजधानी रांची में कई गेम्स के डे-बोर्डिग और रेसिडेंशियल सेंटर हैं, पर यहां आर्चरी की ट्रेनिंग नहीं दी जाती है। हालांकि, शहर से करीब 50 किमी दूर सिल्ली में आर्चरी का डे-बोर्डिग सेंटर खोला गया है। इसके अलावा स्पो‌र्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (साई) में भी आर्चरी की ट्रेनिंग दी जाती है, साई के लिए हर साल प्लेयर्स का सेलेक्शन होता है। जो चुने जाते हैं, उन्हें साई सेंटर में सुबह-शाम ट्रेनिंग दी जाती है।

नहीं होते हैं इवेंट्स

झारखंड आर्चरी एसोसिएशन का हेडक्वार्टर जमशेदपुर में है। आर्चरी के इवेंट्स कहां और कब होंगे, इसका फैसला एसोसिएशन करती है। चूंकि, टाटा आर्चरी एकेडमी भी जमशेदपुर में है, ऐसे में मैक्सिमम इवेंट्स वहीं आयोजित किए जाते हैं। यहां तक कि 34 वें नेशनल गेम्स के आर्चरी के इवेंट्स भी जमशेदपुर में ही हुए थे। रांची में कभी-कभार ही डिस्ट्रिक्ट अथवा स्टेट लेवल पर आर्चरी इवेंट्स होते हैं। ऐसे में यहां के लोकल आर्चर्स को सामने आने का मौका नहीं मिलता है। इतना ही नहीं, अगर आर्चरी के गुर सीखने भी हों तों सिल्ली आर्चरी एकेडमी के अलावा उनके पास कोई विकल्प नहीं है।