- रेलवे स्टेशन से बस स्टेशन तक नहीं कोई इंतजाम

- जानकारी के लिए भटकते रहते हैं विदेशी पर्यटक

GORAKHPUR: शहर को टूरिज्म का हब बनाने का ख्वाब दिखा रहे अफसर योजनाओं को पलीता लगा रहे हैं। फॉरेन से टूर करने आने वाले यात्री जानकारी के अभाव में भटकते रहते हैं। रेलवे स्टेशन से लेकर बस डिपो तक पर्यटन विभाग की कोई व्यवस्था न होने से विदेशी नागरिकों को काफी परेशानी उठानी पड़ती है। शनिवार रात बौद्ध सर्किट के भ्रमण पर निकला चीनी यात्री सही जानकारी पाने के लिए घंटों भटकता रहा। पुलिस की जीप देखकर टूरिस्ट ने दरोगा से कुछ पूछना चाहा तो अंग्रेजी के फेर में दरोगा जी चकरा गए। काफी देर तक परेशान रहे यात्री की मदद चाय पीने निकले युवकों ने की। मोबाइल पर गूगल ट्रांसलेटर की मदद से उससे दो तरफा संवाद किया। तब कहीं जाकर उसकी जिज्ञासा शांत हुई।

कहीं नहीं सूचना देने का कोई इंतजाम

कुशीनगर में महात्मा बुद्ध की परिनिर्वाण स्थली है। महात्मा बुद्ध ने कुशीनगर में देह का त्याग किया था। इसलिए यह जगह बौद्ध सर्किट से जुड़ी हुई है। बौद्ध सर्किट के टूर पर निकले विदेशी नागरिक सारनाथ, नेपाल के लुंबिनी के बाद कुशीनगर जरूर पहुंचते हैं। शहर में ट्रांसर्पोटेशन की सुविधा होने से यात्री पहुंचते हैं। लेकिन यहां पहुंचने के बाद उनको बौद्ध सर्किट या अन्य पर्यटन स्थलों तक जाने के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाती है। पयर्टन विभाग की ओर स ऐसा कोई इंतजाम नहीं है जिससे कि रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन या अन्य पब्लिक प्लेस पर कोई विदेशी नागरिक जानकारी पा सके। गंतव्यस्थल तक पहुंचने के संबंध में जानकारी लेने के लिए विदेशी नागरिक भटकते रहते हैं। इस दौरान लैंग्वेज प्रॉब्लम की वजह से उनको सही जानकारी भी नहीं मिल पाती है।

दरोगा-सिपाही नहीं समझ पाए बात

बीजिंग के मूल निवासी बाउजिंग बाउ कुशीनगर की यात्रा पर निकले हैं। शनिवार रात करीब 11 बजे वह रेलवे स्टेशन पर पहुंचे। वहां से उनको बस पकड़कर कुशीनगर जाना था। रेलवे स्टेशन से पैदल टहलते हुए सबसे रास्ता पूछते हुए वह बस अड्डे के पास पहुंचे। उनको इस बात की जानकारी चाहिए थी कि कुशीनगर जाने वाली बस कहां से मिलेगी। वह कब और कितने समय में कुशीनगर की यात्रा पूरी करके लौट सकेंगे। वह किसी राहगीर को रोककर यह जानकारी लेने का प्रयास करते रहे। लेकिन बोलचाल और भाषा की प्रॉब्लम से उनको कोई जानकारी नहीं दे सका। तभी पुलिस की जीप उनको नजर आ गई। जीप में बैठे दरोगा और सिपाहियों को देखकर वह जीप की ओर बढ़ गए। चाइनीज ने अंग्रेजी में पुलिस वालों से बात करने का प्रयास किया लेकिन पुलिस कर्मचारी परेशान हो गए। दरोगा और सिपाहियों ने टूटी-फूटी अंग्रेजी में चीनी नागरिक को रास्ता बताने की कोशिश की। फिर भी सही ढंग से संवाद नहीं हो सका। इससे परेशान होकर चीनी नागरिक होटल में लौट गया।

यह होना चाहिए इंतजाम

- रेलवे स्टेशन और बस स्टेशन पर विदेशी नागरिकों के लिए हेल्प डेस्क होनी चाहिए। टूरिस्ट प्लेस तक पहुंचने के संबंध में हर जगह साइन बोर्ड और सूचना पट्ट लगने चाहिए।

- इमरजेंसी में विदेशी नागरिक किससे संपर्क करेंगे। इसके संबंध में पूरी जानकारी चस्पा होनी चाहिए।

- विदेशी नागरिकों को सही जानकारी के लिए टूरिज्म डिपार्टमेंट की ओर से कर्मचारियों की तैनाती की जाए।

- रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन और टैक्सी स्टैंड पर प्रॉपर कम्यूनिकेशन के लिए भी विशेष व्यवस्था होनी चाहिए।

रेलवे स्टेशन पर बंद हो चुका है सेंटर

ट्रेन से पहुंचने वाले विदेशी नागरिकों की मदद के लिए रेलवे स्टेशन पर टूरिज्म डिपार्टमेंट की ओर से काउंटर खोला गया था। लेकिन यह काउंटर भी काफी दिनों से बंद पड़ा हुआ है। रेलवे कर्मचारियों का कहना है कि यहां कोई बैठता तो टूरिस्ट यात्रा से संबंधित सारी जानकारी मुहैया करा देता। गूगल पर सर्च करने के बावजूद टूरिस्ट के मन में कन्फ्यूजन बना रहता है। यहां तक कि रेलवे स्टेशन के बाहर कोई ऐसी व्यवस्था नहीं है जिससे विदेशी नागरिकों को जिले और आसपास की जगहों के संबंध में कोई जानकारी मिल सके। शहर में टूरिस्ट पुलिस की व्यवस्था की गई है। लेकिन ड्यूटी में लगे पुलिस कर्मचारी गोरखनाथ मंदिर के आसपास ही नजर आते हैं।