RANCHI(30 हृश्र1): सिदो-कान्हू पार्क के सामने से मिसिर गोंदा जाने वाले रोड में कांके हातमा बस्ती स्थित है। वार्ड दो के अंतर्गत आने वाली इस बस्ती में 500 से ज्यादा घर हैं। इन घरों में आम से लेकर खास लोग भी रहते हैं। इसके बावजूद इन्हें बुनियादी सुविधाएं भी नसीब नहीं है। न पीने का पानी है न चलने के लिए रोड। बिजली के खंभे हैं, लेकिन स्ट्रीट लाइट नहीं। साफ सफाई का भी यही हाल है। स्थानीय लोग बताते हैं कि नगर निगम का कोई भी सफाई कर्मी कभी यहां नहीं पहुंचा। कांके मिसिर गोंदा, झारखंड चौक, हातमा, सरना मध्य विद्यालय के रास्ते से गुजरने वाली इस चार किलोमीटर सड़क में सिर्फ गढ्डे ही गड्ढे हैं। ऊबड़-खाबड़ सड़क पर बने स्पीड ब्रेकर लोगों की जान के दुश्मन बने हुए हैं।

दोनों हैंडपंप खराब

मोहल्ले में कुल दो हैंड पंप हैं और दोनों खराब हैं। एक का खराब होने के बाद हैंडल भी गायब हो चुका है, वहीं दूसरे से पानी निकलता ही नहीं। नगर निगम की ओर से पानी के लिए यहां एक स्टैंड पोस्ट बनाया गया है। लेकिन यहां रोज मारामारी हो रही है। दोपहर 1.30 बजे से ही लोग प्लास्टिक के जार और बाल्टियां लेकर कतार में लगने शुरू हो जाती हैं। जबकि पानी के आने का समय शाम में चार बजे के आसपास है। सुबह भी कुछ ऐसा नजारा यहां देखने को मिल रहा है।

खुद नाली साफ कर रहे लोग

कांके हातमा बस्ती के लोग खुद के प्रयास से नालियों की सफाई कर रहे हैं। नालियों पर स्लैब भी नहीं है, लिहाजा सारे मोहल्ले का कचरा नाली में बैठ जाता है। स्थानीय लोग बताते हैं कि इस इलाके में दस साल पहले नाली बनी थी, जो अब जर्जर हो चुकी है।

शोपीस बनी स्ट्रीट लाइट

वार्ड नंबर दो के इस इलाके में स्ट्रीट लाइट नहीं है। कुछ बिजली के खंभों पर स्ट्रीट लाइट लगी है, लेकिन उसमें बल्ब सेफ्टी गार्ड ही नहीं है। लोग बताते हैं कि स्ट्रीट लाइट नहीं रहने से ऊबड़-खाबड़ सड़क पर रात के समय चलने में परेशानी हो रही है। कई बार तो रोड एक्सीडेंट भी हो जाता है।

चारों ओर पसरा है कूड़ा

हातमा बस्ती के चारों ओर कचरा बिखरा पड़ा है। नालियों की सफाई के बाद पॉलीथिन, घरेलू यूज वाले तमाम सामानों के पैकेट बिखरे पड़े हैं। थक हार कर यहां के लोगों ने बुनियादी सुविधाओं के अभाव को अपनी नीयती ही मान ली है।

बिना रोड के बन रहे घर

हातमा बस्ती में अब छोटे-छोटे समूहों में नए कंस्ट्रक्शन भी हो रहे हैं। लेकिन इसके लिए एप्रोच पथ नहीं बना है। लिहाजा झारखंड चौक से हातमा जाने के लिए सड़क ही नहीं है। बरसात के दिनों में कीचड़ से तंग आकर स्थानीय लोगों ने रास्ता बनवाया था, उसी से आज भी काम चल रहा है। इस रास्ते में ईट, मिट्टी सहित तमाम तरह के कंस्ट्रक्शन के रॉ मैटेरियल बिखरे पड़े हैं।

क्या कहते हैं लोग

यहां सड़क 10 साल पहले ही बनी थी, जो अब पूरी तरह टूट चुकी है। रोड में गड्ढे के कारण लोगों का चलना भी खतरे से खली नहीं है।

सेवाराम महतो

स्ट्रीट लाइट नहीं है। बिजली के खंभे पुराने व जर्जर हो चुके हैं। इस मोहल्ले में फिर से सुविधा बहाल कराने की जरूरत है।

आनंद महतो

दो चापाकल है। एक का हैंडल गायब हो गया है, जबकि दूसरे से पानी ही नहीं निकलता है।

बलराम घोष

पानी की बड़ा संकट है। सप्लाई पानी के लिए सिर्फ एक स्टैंड पोस्ट है। यहां मोहल्ले के सभी लोगों का जमावड़ा लगा रहता है।

शशिकांत दुबे

पानी भरने के लिए सुबह से ही लाइन लग जाती है। पानी आने के चार घंटा पहले से ही गैलन लाइन में लगनी शुरू हो जाती है।

रतनी देवी

पानी, बिजली के साथ कई सारी समस्याएं हैं। हम लोगों को राशन कार्ड भी नहीं मिला हुआ है।

नीतू देवी

बस्ती जाने वाले रास्ते में तो सड़क है ही नहीं। मोहल्ले की आबादी बढ़ रही है, लेकिन सुविधाएं कम होती जा रही हैं।

सागर सिंह

एक तो पानी के लिए लाइन लगती है। ऊपर से उस सप्लाई पानी में भी कीड़ा निकल रहा है।

डीडी पांडेय

यहां तो प्रॉब्लम ही प्रॉब्लम है। सरना स्कूल के पास भी कचरा फैला हुआ है। कम से कम स्कूल के पास तो सफाई होनी चाहिए।

लालू मिरधा

यहां गंदगी से बीमारी का खतरा अक्सर बना रहता है। सड़क किनारे कचरा से दुर्गध उठती रहती है। आने-जाने वाले तमाम लोगों को इससे परेशानी है।

इला देवी