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छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र: लौहनगरी की शराब दुकानों में बिल नहीं दिया जा रहा है। ईस्ट सिंहभूम में अब तक करोड़ों रुपए की शराब बिना रसीद के ही बेच दी गई। झारखंड सरकार ने वित्तीय वर्ष 2017-18 में 31 मार्च तक ईस्ट सिंहभूम में 211 करोड़ रुपये की शराब बिना बिल के बेच दी। बता दें कि झारखंड में शराब का कारोबार झारखंड वीवरेज विभाग देख रही हैं। सरकारी दुकानों से शराब लेने पर बिल देना अनिवार्य हैं। कस्टसमर्स का कहना है कि शराब दुकानों के कर्मचारी बिल नहीं देकर उनसे ज्यादा पैसे ऐंठ रहे हैं। बता दें कि सरकार की ओर से दिए जाने वाले बिल में ग्राहकों के नाम पते और दर के साथ ही पैसे अंकित रहते हैं। वित्तिय वर्ष 2016-17 में ईस्ट सिंहभूम से सरकार को शराब से 235 करोड़ की आय हुई थी।

हो सकती है हेर-फेर

शराब कंपनी द्वारा ड्यूटी फीस भरने एवं डिस्पैच के दस्तावेजों के आधार पर डिपो में स्टॉक का मिलान किया जाता है। इसके बाद शराब दुकानों के लिए भेजी जाती है। यहां पर शराब की बोतलों की गिनती और उन दुकानों के स्टाक से मिलान किया जाता है। बिना रसीद के स्टाक में हेरफेर किया जा सकता है। इस लंबी और जटिल प्रक्रिया में कई खामियां हैं, जिनके सहारे करोड़ो रुपये का हेरफेर किया जाता है। इस मामले में आबकारी विभाग कोई भी कार्रवाई नहीं कर रहा है।

रसीद देने का निर्देश

सरकार द्वारा संचालित शराब दुकानों में शराब बिक्री के लिए जिन कर्मियों को रखा गया है, उन्हें मैनपावर प्रोवाइडर कंपनी सोमुख इंटरप्राइजेज ने रखा है। इस कंपनी को रसीद देने का निर्देश दिया गया है, पर शहर के किसी भी शराब दुकान में बिल नहीं दिया जाता। सिर्फ स्कॉट का मिलान कर सरकार को भेज दिया जाता है। सरकार द्वारा शराब करोबार के संचालन के बाद शराब की बोतलों पर फीस बढ़ा दी गई। इस वजह से शराब के दाम में वृद्धि हुई है। इसके बावजूद भी सरकार को जिले में शराब कारोबार में नुकसान हुआ है। जिले में सिर्फ 24 करोड़ का नुकसान हुआ है।

अबकारी विभाग की ओर से सख्त आदेश है कि सारी शराब दुकानें ग्राहकों को बिल दे। जो आदेश का पालन नहीं कर रहे हैं उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। रसीद देना अनिवार्य है। इसपर सोमुख इंटरप्राइजेज हिदायत दी जाएगी।

-मनोज कुमार, जिला अबकारी विभाग, पूर्वी सिंहभूम

सारी शराब दुकानों में रसीद मिलती है। शाम के समय दुकानों के भीड़ होने के कारण रसीद नहीं दे पाते होंगे। ग्राहक भी रसीद की मांग नहीं करते हैं, लेकिन रसीद देना अनिवार्य है।

-धीरेंद्र कुमार, डिपो मैनेजर, पूर्वी सिंहभूम