RANCHI: अगर आपका भी पेशेंट सीरियस है और उसे रात में खून की जरूरत है तो रिम्स को भूल जाइए। चूंकि रिम्स में रात को ब्लड बैंक से खून लेना जंग जीतने जैसा है, जहां लाख कोशिश करने के बाद भी लोगों को रात में खून नहीं मिल पा रहा है। जी हां, हम बात कर रहे है रिम्स स्थित ब्लड बैक की। जहां रात होते ही स्टाफ्स की मनमानी चालू हो जाती है। वहीं स्टाफ भी अपनी जगह पर नहीं मिलते। इसके अलावा रजिस्टर मेंटेन करने का काम भी सिक्योरिटी गार्ड संभाल लेता है। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि रात होते ही ब्लड बैंक को देखने वाला कोई नहीं है।

दूसरे ब्लड बैंकों की दौड़ शुरू

ब्लड बैंक में खून अवेलेबल होने के बाद भी लोगों को खून नहीं मिल पाता है। स्टाफ्स की मनमानी के कारण लोगों को दूसरे ब्लड बैंकों की दौड़ लगानी पड़ रही है। इतना ही नहीं, जहां लोगों को खून के बदले खून मिल सकता है वहां खून के लिए पैसे चुकाने पड़ते हैं। इसका गलत फायदा दूसरे ब्लड बैंक वाले भी उठाते हैं।

केस-1

शाम 6 से 12 बजे तक नहीं मिला खून

बाबूलाल प्रसाद की पत्नी सर्जरी डिपार्टमेंट में एडमिट हैं, उन्हें डॉक्टर ने खून लाने के लिए कहा। वह डोनर लेकर शाम को छह बजे ही ब्लड बैंक पहुंच गए। इसके बाद उन्होंने मरीज का ब्लड सैंपल भी मैच कराने के लिए दे दिया। उन्हें रात को 12 बजे तक ब्लड नहीं दिया गया। वह बार-बार गुहार लगाते रहे लेकिन वहां मौजूद स्टाफ ने उनकी एक न सुनी। काफी देर बाद जब उन्होंने पैरवी कराई तो उन्हें खून उपलब्ध कराया गया।

केस-2

गिड़गिड़ाते रहा परिजन, पैरवी पर हुआ काम

नवल झा का एक पेशेंट रिम्स में एडमिट है। वह दो दिन पहले ब्लड बैंक में खून लेने पहुंचे। जहां डोनेट करने के लिए वह खुद मौजूद थे। लेकिन मौजूद स्टाफ ने ब्लड लेने से इनकार कर दिया। वह गुहार लगाते रहे कि मरीज को खून चढ़ाना है। पर स्टाफ के कानों पर जूं तक नहीं रेंगा। इसके बाद उन्होंने एक आदमी को पैरवी के लिए बुलाया। जहां पैरवी के लिए पहुंचे व्यक्ति को देखते ही सब काम होने लगा।