क्त्रड्डठ्ठष्द्धद्ब : जब धर्म के साथ 'अधर्म' होने लगे तो आस्था व श्रद्धा भी डगमगाने लगती है। धर्म कोई हो, वह इंसानियत, मानवता, सदभाव, विश्वास और आस्था की डोर मजबूत करता है, पर कई धार्मिक स्थलों की पवित्रता से ज्यादा चढ़ावे पर जोर दिया जाता है। 'पीके' एक ऐसी ही फिल्म है, जो धर्म के नाम पर चल रहे 'खेल' पर सवाल उठाती है। फिल्म पर विवाद होना लाजिमी है, पर जब आई नेक्स्ट रिपोर्टर 'पीके' बनकर शहर के धार्मिक स्थलों का जायजा लिया तो हकीकत कुछ ऐसी निकली, जिसे जानकर शायद आप भी सोचने के लिए मजबूर हो जाएंगे।

यहां मन को आखिर शांति मिले तो कैसे?

यह मंदिर बूटी मोड़ पर स्थित है। जब 'पीके' यहां पहुंचा तो राह चलते लोग कुछ पल रुककर सड़क के किनारे स्थित इस मंदिर में शीष झुकाते दिखे। दोपहर के एक बजे थे। मंदिर का पट भी बंद था, पर बाहर से ही सही, लोग भगवान को प्रणाम जरूर कर रहे थे। हो भी क्यों न। आखिर यह आस्था की बात है। मन को शांति मिलती है और दिमाग में अच्छे विचार आते हैं। लेकिन, 'पीके' ने जब मंदिर के चारों ओर नजर घुमाई तो नजारा कुछ और ही दिखा। मंदिर के इर्द-गिर्द फलों और सब्जी बेचनेवालों ने कब्जा कर रखा था। सड़क पर जाम का नजारा था। आती-जाती गाडि़यों के हॉर्न से ऐसा लग रहा था, मानो कान के पर्दे फट जाएंगे। लोग परेशान और ट्रैफिक को संभालने के लिए पुलिस को कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही थी। यह नजारा देख 'पीके' दंग रह गया और उसके दिमाग में बरबस ही बरबस ही तरह-तरह के सवाल उठने लगे।

पीके का सवाल-

मंदिर आस्था का केंद्र है। मन को शांति मिले, इसके लिए मंदिर में भगवान के दर्शन के लिए आते हैं। ऐसे में वैसे स्थान पर, जहां 24 घंटे शोरगुल होता हो। गाडि़यों के हॉर्न से दिल-दिमाग अशांत हो जाए। गंदगी ऐसी कि कुछ पल भी यहां रहना मुश्किल है। जाम ऐसा कि कुछ कदम चलने के लिए मशक्कत करनी पड़े, वहां स्थित मंदिर में पूजा-अर्चना करना कितना सुकून भरा हो सकता है, 'पीके' यह सवाल पूछ रहा है।

गंदे नाले पर विराजमान हैं 'भगवान'

'पीके' जब सर्कुलर रोड से गुजर रहा था, तो अचानक उसकी नजर हरिओम टावर के पास स्थित एक मंदिर पर ठहर गई। 'पीके' मंदिर को देखकर हैरान रह गया। भगवान यहां नाले के ऊपर बने मंदिर में विराजमान थे। नाला से गंदा पानी बह रहा था। 'पीके' से रहा नहीं गया। उसने आसपास के लोगों से पूछ डाला। लोगों ने बताया कि पिछले कई सालों से यह मंदिर है। पुजारी सुबह-शाम आते हैं और चढ़ावा लेकर निकल जाते हैं। दिनभर मंदिर का पट बंद रहता है। चूंकि, यहां भगवान विराजमान है। ऐसे में गंदे पानी वाले नाला से होकर पूजा करने आते हैं। 'पीके' यह देख दंग रह गया कि यहां नाले का ढक्कन ही मंदिर का चौखट भी है।

पीके का सवाल- जब धर्म की बात हो तो श्रद्धा व आस्था होना लाजिमी है, लेकिन जब भगवान ही गंदे स्थलों पर विराजेंगे, तो यहां आकर श्रद्धालुओं का दिल-दिमाग कैसे स्वच्छ और शांत हो पाएगा। अब देखिए न। गंदे नाले के ऊपर मंदिर है। सुबह-शाम छोड़कर मंदिर का पट दिनभर बंद रहता है, इसके बाद भी लोगों के कदम इसलिए ठहर जाते हैं कि भगवान के दर्शन कर लें, पर 'पीके' यह सवाल कर रहा है कि गंदी जगहों पर भगवान को विराजमान करना उचित है क्या?

यहां भी नाले पर बना दिया मंदिर

'पीके' से अब रहा नहीं जाता है। उसकी उत्सुकता इतनी बढ़ चुकी है कि वह धार्मिक स्थलों का जायजा लेने के आगे बढ़ जाता है। सिरमटोली चौक से स्टेशन चौक जानेवाले रास्ते में जब 'पीके' बढ़ता है तो नजर आरआरबी ऑफिस के पास स्थित एक छोटे से हनुमान मंदिर पर चली जाती है। यह मंदिर भी नाले के ऊपर बना हुआ है। 'पीके' यह देखकर सोच में पड़ जाता है कि यहां भी शुद्धता और स्वच्छता का कोई ख्याल नहीं रखा गया है। मंदिर के आसपास झंडे गाड़ दिए गए थे। गंदगी के बीच आखिर भगवान के दर्शन कर कैसे लोगों को शांति मिलेगी, ऐसे ही कई सवाल 'पीके' के दिमाग को विचलित करने लगा। उसे अहसास हुआ कि अब तो मंदिर भी कमाई का जरिया बन चुका है। ऐसे में मंदिर कहीं हो, इससे क्या फर्क पड़ता है। चढ़ावा मिलना चाहिए, क्योंकि श्रद्धालु भगवान को पूजते हैं, मंदिर कहीं हो, इससे उन्हें बहुत फर्क नहीं पड़ता है।

पीके का सवाल- अब तो मंदिर को भी कमाई का जरिया बनाने से नहीं चूक रहे हैं कुछ लोग। भगवान के नाम पर ठगी का खेल नहीं चल रहा है, इसपर गंभीरता से सोचना चाहिए। मंदिर का होना अच्छी बात है, पर उसकी साफ-सफाई का तो कम से कम ख्याल रखा जाना चाहिए। सिर्फ चढ़ावे के लिए मंदिर का इस्तेमाल श्रद्धालुओं की आस्था के साथ धोखा नहीं है?

सोशल मीडिया को भी नहीं छोड़ा

पीके अपने फेसबुक पेज को स्क्रॉल कर रहा था, तभी एक पोस्ट सामने आया जिसमें भगवान के नाम पर लिखा हुआ था- इसे अधिक से अधिक शेयर करें और चमत्कार देखें। इसके साथ इसे फारवर्ड भी करें। कई लोगों ने इसे अपने दूसरे ग्रुप पर शेयर कर दिया और मैसेज को आगे बढ़ा दिया।

पीके का सवाल-सोशल मीडिया पर जोक्स और अवेयरनेस फैलाना तो ठीक है। लेकिन इसके अलावा धर्म के नाम पर मैसेज भेजकर जनता को डराना कितना जायज है। क्या भगवान ने सोशल साइट पर अपने नाम का अंधविश्वास फैलाने का लाइसेंस दे रखा है।

नाली पर बना दिया इमामबाड़ा

अब 'पीके' हरमू रोड से गुजर रहा है। गाड़ीखाना चौक पहुंचने पर 'पीके' की नजर इमामबाड़े पर पड़ती है। यह क्या ? नाली पर इमामबाड़ा। सवाल इबादत का है, ऐसे में कम से कम स्वच्छता का ख्याल रखा जाना चाहिए।

पीके का सवाल- किसी भी तरह की इबादत के लिए तन-मन के साथ स्थल भी साफ-सुथरा रहना जरूरी है, ताकि दिमाग शांत रहे। ऐसे में नाली पर इमामबाड़ा होना कहीं न कहीं आपको कुछ सोचने पर मजबूर नहीं कर रहा है क्या?