दूसरों को कोसते हैं पर खुद नहीं रखते सफाई का ध्यान

शहर के लोग बदलें आदत तो ऐसे ही हल हो जाए आधी से अधिक समस्या

ALLAHABAD:

एग्जांपल वन

मुट्ठीगंज में रहने वाले गुप्ता जी की पूरी फैमिली सुबह आठ बजे के बाद ही उठती है। उसके बाद ही घर की सफाई होती है। तब तक कूड़ा कलेक्शन वाला आकर और सीटी बजाते हुए कूड़ा कलेक्शन करके निकल जाता है। लेकिन गुप्ता जी का परिवार कचरा घर में नहीं रखता, बल्कि घर के बाहर सड़क पर ही कचरा फेंक देता है।

एग्जांपल टू

अग्रवाल जी की दुकान जानसेनगंज मार्केट में है, जो पर डे 11 बजे के बाद ही खुलती है। इसके बाद दुकान की सफाई होती है। दुकान का जो कचरा निकलता है। उसे अग्रवाल जी का स्टॉफ दुकान के बाहर रोड पर ही फेंक देता है। जबकि 11 बजे के पहले ही कचरा उठाने वाला जा चुका होता है। रोड पर झाड़ू लग चुका होता है।

एग्जांपल थ्री

सिविल लाइंस में रहने वाले सिंह साहब लाखों रुपए के नीट एंड क्लीन बंगले में रहते हैं। हमेशा अप टू डेट रहते हैं। मेंटेन न्यू होंडा सिटी कार से चलते हैं। लेकिन मसाला खाने के बाद जब थूकना होता है चलती कार से बाहर थूक देते हैं।

एग्जांपल फोर

सिविल लाइंस, चौक, जानसेनगंज एरिया में भी पर डे ऐसे सैकड़ों लोग दिख जाएंगे जो कुछ भी खाने-पीने या फिर इस्तेमाल करने के बाद उसका वेस्ट डस्टबिन में नहीं फेंकते बल्कि सड़क पर ही फेंक देते हैं।

ये चंद एग्जांपल बताते हैं कि इस शहर में रहने वाले लोगों की आदत क्या है। अपनी जिंदगी अपने तरह से जीने की हर किसी को आजादी है। लेकिन इस आजादी का लोग किस तरह उपयोग कर रहे हैं। ये आपके सामने है। हममें और आप में इसी तरह की कई बुरी आदते हैं। जिसे बदलने की जरूरत है। क्योंकि ये शहर हमारा है।

नहीं बदली आदत?

देश को आजाद हुए 68 साल हो गए। लेकिन आज भी लोगों की लाइफ की बहुत सी आदतें नहीं बदली हैं। अभी भी ज्यादातर इलाहाबादी कहीं भी अपनी पीक से सड़कों को लाल कर रहे हैं। राह चलते सड़क पर कूड़ा फेंकने से नहीं कतराते।

रियलिटी चेक ने खोली पोल

आईनेक्स्ट की टीम संडे को लोगों की आदतों का रियलिटी चेक करने निकली तो जो हकीकत सामने आई वो काफी चौंकाने वाली थी।

- चौक एरिया में कहीं भी कूड़ा फेंकने की पूरी छूट दिखाई दी। सब्जी वाले, किराना वाले फल वालों के साथ जितने भी दुकान थे वे दुकानों से निकलने वाली गंदगी को सड़क पर ही फेंक दे रहे थे।

- जानसेनगंज चौराहे से पूरे मार्केट में करीब एक से दो दर्जन लोग 30 मिनट में पान व गुटखा खाने के बाद सड़क पर ही थूकते हुए दिखाई दिए।

- सिविल लाइंस चौराहे पर सड़क किनारे करीब आधा दर्जन भुट्टा की दुकानें लगी हैं, जहां भुट्टा खाने के बाद उसका डंठल सड़क पर ही फेंक दे रहे थे।

- इसी तरह सुभाष चौराहा, हॉट स्टफ चौराहा पर भी गंदगी पैकेट बंद आईटम के फोटो खाने के बाद लोगों द्वारा फेंके गए रैपर सड़क पर पड़े हुए दिखाई दिए।

इतना निकलता है कचरा कि नगर निगम को छूट रहा पसीना

- इलाहाबाद सिटी की पॉपुलेशन है करीब 17 लाख

- 70.5 स्क्वायर किलोमीटर एरिया में रहती है सिटी की ये पॉपुलेशन

- पर डे सिटी से निकलता है करीब 600 मिट्रिक टन कचरा

- पर डे निकलने वाले कचरे का आंकड़ा पर मंथ पहुंच जाता है 18 हजार मिट्रिक टन के पार

- प्रति व्यक्ति पर डे करीब 400 ग्राम कूड़ा करता है जनरेट

- बसवार में लगा है सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट का प्लांट जहां डिस्पोज होता है कचरा

- एक महीने पहले तक जहां प्लांट न चलने से कचरा हो रहा था इकट्ठा

- वहीं इस समय पर डे करीब 400 से 500 मिट्रिक कचरा हो रहा है डिस्पोज

- करीब-करीब सभी 80 वार्डो में चल रहा है डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन का काम

- लेकिन अभी भी लोग सड़क पर फेंक रहे हैं कचरा।

क्यों कर रहे हैं ऐसा

हम तो बिजनेस हब एरिया बहादुरगंज में रहते हैं। जहां एक तरफ सफाई होती है। दूसरी तरफ कचरा निकलता रहता है। इसलिए पूरे मार्केट में दिन भर कचरा फैला रहता है। कोई रोक टोक न होने से यही आदत बनी हुई है।

विनोद केसरवानी

ये बात सही है कि ज्यादातर लोगों की आदत कहीं भी कचरा फेंक देने की है। क्योंकि अभी तक इस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया था। पहले शहर में इतनी गंदगी भी नहीं होती थी। लेकिन अब लोग अपनी आदत बदल रहे हैं।

संजय साहू

दूसरों को क्या कहूं, मैं खुद पहले घर का कचरा बारजे से बाहर फेंक देती थी। क्योंकि मुझे यही पता था कि कचरा बाहर फेंकने के बाद झाड़ू लग जाएगा। लेकिन जब से ये डोर टू डोर कलेक्शन का सिस्टम शुरू हुआ है। मैने भी आदत बदल दिया है। अब मैं दरवाजे पर आए कर्मचारी को कूड़ा पकड़ा देती हूं।

अमिता अग्रहरि

मेरे मोहल्ले में न तो कहीं डस्टबिन है। न ही पर डे कूड़ा उठाने वाले आते हैं। ऐसे में अगर मोहल्ले के लोग कूड़ा घर के बाहर गली में न फेंकें तो फिर कहां रखें। ये है हमारी मजबूरी।

ललिता

राजापुर

पहले मैं भी औरों की तरह कुछ भी खाने के बाद कचरा वहीं फेंक देता था। लेकिन अब मुझे अपने अधिकार की जानकारी हो गई है। इसलिए अब मैं ऐसा नहीं करता हूं। धीरे-धीरे इसी तरह सब की आदत बदलेगी।

भोला

अशोक नगर

इन्होंने बदलाव के लिए उठाया कदम

आवाज उठाई तो बन गया टॉयलेट

गंदगी केवल कचरा फेंकने से ही नहीं बल्कि लोगों द्वारा यहां वहां कहीं भी हल्का होने से भी फैलती है। शाहगंज और घंटाघर एरिया में काफी दिनों से ये समस्या थी। जिसको लेकर समाज सेवी सुनील चौधरी ने आवाज उठाई। विरोध किया और गली में नालियों पर हल्का हो रहे लोगों को मना किया। यही नहीं नगर निगम तक आवाज पहुंचाई तो आज शाहगंज में टॉयलेट बन कर तैयार हो गया है। जिससे अब आस-पास के एरिया में गंदगी नहीं फैलती है।

सुनील चौधरी

समाज सेवी

कभी बूट पालिस करते हैं तो कभी चिट्ठी भेजते हैं

नैनी के रहने वाले समाज सेवी पतिविंदर सिंह पिछले कई सालों से लोगों को जागरुक करने में लगे हुए हैं। जो लोग कहीं भी कचरा फेंक देते हैं। पतविंदर सिंह लोगों को जागरुक करने के लिए कभी सुभाष चौराहे पर बूट पॉलिस करते हुए मिल जाते हैं। तो कभी साईकिल से घूम-घूम कर लोगों को बताते हैं कि अपनी जिम्मेदारी को भी समझें।

पतिविंदर सिंह

समाज सेवी

वर्जन-

इलाहाबाद बहुत पुराना शहर है। जिसका अपना अलग ही मिजाज है। पहले शहर की आबादी इतनी ज्यादा नहीं थी इसलिए सफाई व्यवस्था बेहतर हो जाती थी। लेकिन आबादी बढ़ी तो कचरा बढ़ा, लेकिन लोगों की आदतें नहीं बदलीं। आज भी सिटी के मार्केट 11 बजे के बाद खुलते हैं और दुकानदार सफाई के बाद कचरा सड़क पर ही फेंक देते हैं। अब कर्मचारी 11-12 बजे तक एक ही जगह बैठा रहे, ये पॉसिबल नहीं है। डोर टू डोर कलेक्शन का भी समय सुबह का है। प्लांट शुरू होने की वजह अब कचरा डम्प नहीं हो रहा है।

अभिलाषा गुप्ता

मेयर, नगर निगम इलाहाबाद