डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के इंस्पेक्शन मेंडीएम ने दिए थे व्यवस्था सुधारने के निर्देश

7 दिन की दी थी मोहलत, 8 दिन बीतने के बाद भी व्यवस्था पटरी पर नहीं आई

BAREILLY: कोशिशें भले हजार हों लेकिन बरेली के डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में जड़े जमा चुकीं खामियों को उखाड़ फेंकना नामुमकिन सा लगने लगा है। हॉस्पिटल के जिम्मेदारों की 'चुस्ती और एक्शन' से यही बात उजागर होती है। ऐसे में आला अफसरान और मंत्री जी के बार-बार के इंस्पेक्शन भी महज खानापूर्ति से कम साबित नहीं हो रहे। इंस्पेक्शन की इसी बयार में बरेली के नए डीएम संजय कुमार ने भी डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल का क्ख् जून को दौरा किया था। खामियों पर जमकर बरसे डीएम ने सात दिन में व्यवस्था सुधारने के निर्देश दिए थे। साथ ही चेताया था कि कमियां दुरुस्त नहीं की तो एक्शन होगा। लेकिन खामियां बरकरार रही और डीएम भी अपने इंस्पेक्शन के एक्शन को भुला बैठे।

नहीं आए तीन दिन बाद

हॉस्पिटल की खामियों पर डीएम ने अपने कड़े तेवर में जिम्मेदारों को अल्टीमेटम दिया था कि वह जल्द व्यवस्था सुधार लें। तीन दिन बाद फिर इंस्पेक्शन होगा और खामियां बरकरार रहने पर कड़ी कार्रवाई होगी। लेकिन बिजी शेड्यूल में बिजी डीएम साहब तीन दिन बाद आने की बात कह तो गए लेकिन फिर आ नहीं सके। वहीं हजारों इंस्पेक्शन को हवा-हवाई होता देख चुके जिम्मेदारों ने इस चेतावनी को भी हवा में उड़ा दिया।

फरमान पर असर नहीं

अपने इंस्पेक्शन के दौरान इमरजेंसी वॉर्ड में पेशेंट्स के लिए व्हील चेयर व स्ट्रेचर न पाने पर डीएम बेहद नाराज हुए थे। फटकार लगाते हुए कहा था कि स्ट्रेचर रूम में रखने के लिए नहीं पेश्ेांट्स के लिए हैं। बावजूद इसके इमरजेंसी वॉर्ड में आने वाले ज्यादातर पेशेंट्स को स्ट्रेचर नसीब नहीं होता। जबकि दवाएं, फाइलें या अन्य सामान ले जाने को स्ट्रेचर का यूज धड़ल्ले से होता है। वहीं सफाई, पीने के पानी और इलाज में भी पेशेंट्स को होने वाली दुश्वारियां कम नहीं हुईं।

डॉक्टर्स काे डर नहीं

डीएम ने अपने इंस्पेक्शन में बार-बार एक ही बात जिम्मेदारों को समझाई कि पेश्ेांट्स के इलाज, दवा व उनसे जुड़ी सुविधाओं का खास ख्याल रखा जाए, लेकिन इसका असर नहीं हुआ। पेशेंट्स के लिए भगवान का दर्जा पाए डॉक्टर्स पत्थर से मोम नहीं हो रहे। ओपीडी से लेकर इमरजेंसी तक में पेशेंट्स के साथ कई बार डॉक्टर्स की बेरुखी सामने आ रही है। इंस्पेक्शन के दौरान डॉ। अनिल अग्रवाल को डीएम ने पेशेंट्स को बेकार में दौड़ाने पर फटकारा था। वहीं डॉक्टर एक बार फिर बीमार पेश्ेांट्स को एडमिट न करने और पेरेंट्स से मिसबिहेव करने के आरोप में पाए गए।

दो दिन की ही दवा दे दो

'भर्ती नहीं करते तो कम से कम दो दिन की दवा ही दे देते डॉक्टर साहब'फ्राइडे डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल की इमरजेंसी के बरामदे में फर्श पर लेटे बीमार नसीम के पिता कुछ यही मांग कर रहे थे। दरअसल डॉक्टरों ने हॉस्पिटल में इलाज ना होने के चलते नसीम को एडमिट करने से इंकार कर दिया था। नसीम, धौराटांडा भोजीपुरा का रहने वाला है। नसीम की पहले से मानसिक हालत ठीक नहीं थी और ट्यूजडे को वह छत से गिर गया, जिससे उसकी रीढ़ की हड्डी भी टूट गई। परिजन किसी तरह उसे नैनीताल रोड स्थित प्राइवेट हॉस्पिटल ले गए, लेकिन वहां उसका इलाज संभव नहीं था और डॉक्टरों ने उसे लखनऊ के लिए रेफर कर दिया। माली हालत ठीक न होने के चलते वह नसीम को घर ले गए। ज्यादा प्रॉब्लम होने पर वह डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल इस उम्मीद में पहुंचे कि दो दिन यहां इलाज मिल जाएगा और फिर रुपयों का इंतजाम होने पर लखनऊ ले जाएंगे। वहीं हॉस्पिटल के डॉक्टरों का कहना है कि डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में न्यूरो सर्जन और स्पाइनल सर्जन ही नहीं हैं तो एडमिट कैसे करें।

हम व्यवस्था सुधारने की कोशिश कर रहे हैं। गंदगी साफ होने के अलावा हॉस्पिटल में रंग रोगन और पानी की व्यवस्था की जा रही है। फिर भी कुछ लोग सुधर नहीं रहे है। ऐसे लोगों की कंप्लेन की जाएगी ताकि उन पर एक्शन हो।

- डॉ। आरसी डिमरी, सीएमएस

दी गई डेडलाइन में हॉस्पिटल की व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ है तो इसके लिए जिम्मेदार लोगों को सजा मिलेगी। हॉस्पिटल की व्यवस्था फिर परखी जाएगी। खामियां मिलने पर जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई के लिए शासन को लेटर भेजेंगे।

- संजय कुमार, डीएम