क्रिकेट की एक्टिविटीज पूरी तरह से ठप पड़ी

ऐसे हालत भी तब आए हैं जब स्टेट में क्रिकेट की एक्टिविटीज पूरी तरह से ठप पड़ी हैं। बंटवारे के 13 साल बाद भी स्टेट में मात्र दो-तीन साल ही क्रिकेट खेला गया। वह भी बीसीसीआई के एसोसिएट मेंबर वाली टूर्नामेंट में ही स्टेट ने पार्टिसिपेट किया, बाकी समय एसोसिएशन का विवाद ही चलता रहा।

क्रक्चष्ट्र ने दिया मौका

स्टेट में कई क्रिकेट एसोसिएशन को पनपने में बिहार क्रिकेट एसोसिएशन ने ही इनडायरेक्ट हेल्प की है। पहले बीसीए, सीएबी और एबीसी के बीच एसोसिएशन की जंग चली। बीसीसीआई ने बीसीए को एसोसिएट मेंबर की मान्यता दी। उसके बाद बीसीए ही दो फाड़ हो गया। इसकी लड़ाई अब भी जारी है। कोर्ट के ऑर्डर के बाद बीसीए सेक्रेटरी अजय शर्मा क्रिकेट शुरू करने की तैयारी कर रहे हैं। तो बीसीए एड्हॉक कमेटी का मानना है कि कोर्ट ने अकाउंट ऑपरेटिंग का राइट दिया है। एसोसिएशन के विवाद के लिए एप्रोप्रिएट फोरम में जाने को कहा है। वे बीसीसीआई को एप्रोप्रिएट फोरम मानते हैं।

लड़ाई अभी जारी रहेगी

बीसीए एड्हॉक कमेटी से प्राप्त सूत्रों के अनुसार बीसीसीआई पर सभी की निगाहें टिकी हैं। साथ ही वे सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं। एड्हॉक कमेटी के एक मेंबर में दावा किया कि यदि अजय शर्मा गुट को बीसीसीआई ने दिशा निर्देश दिया है तो लेटर दिखाएं। क्रिकेटर्स को सब्जबाग न दिखाएं। उधर अजय नारायण शर्मा ने बताया कि 15 सितंबर को एजीएम की मीटिंग के बाद स्टेट में क्रिकेट स्टार्ट हो जाएगा।

नहीं होता फर्जी टूर्नामेंट

किसी भी गेम का टूर्नामेंट आर्गनाइज करने के लिए रिलेटेड एसोसिएशन से एफिलिएशन लेने का रूल है। लेकिन क्रिकेट में एसोसिएशन ही नहीं है तो एफिलिएशन का सवाल कहां उठता है। यही कारण है कि फर्जी एसोसिएशन फर्जी टूर्नामेंट आर्गनाइज कर क्रिकेटर्स को फांसते हैं। यदि एसोसिएशन होता तो ऐसे टूर्नामेंट नहीं हो पाते।