- दवाओं के अभाव में इलाज के घरेलू नुख्से बता रहे डॉक्टर्स

- दो सालों से दवाओं के अभाव से जूझ रहा जिला अस्पताल का यूनानी विभाग

Meerut । आयुष के अंतर्गत जिला अस्पताल में खोली गई यूनानी, आयुर्वेद और होम्योपैथिक की यूनिट दवाओं के संकट से जूझ रही हैं। सबसे बुरा हाल तो यूनानी यूनिट का है। यहां पिछले दो सालों से दवा का टोटा है। आलम यह है कि दवा के अभाव में डॉक्टर मरीजों को घरेलू नुख्से लिख रहे हैं।

क्या है मुश्किल

दरअसल, 2011 में नेशनल हेल्थ मिशन के अंतर्गत जिला अस्पताल परिसर में आयुष विंग यानि प्राकृतिक चिकित्सा केन्द्र जिसमें यूनानी, होम्योपैथी और आयुर्वेदिक दवाओं की ओपीडी शुरू की गई थी। पहले दो सालों में यूनानी दवाओं का स्टॉक आयुष विंग को उपलब्ध कराया गया था। इसके बाद से दोबारा यूनानी दवाएं उपलब्ध नहीं कराई। जबकि दवाओं के अभाव में भी विभाग में मरीजों की खासी आवाजाही रहती है, लेकिन दवाओं के बिना ही डॉक्टर प्राकृतिक और घरेलू संसाधन जैसे प्याज का रस, अजवाइन फिटकरी, दूध, घी, अदरक, नीबू, संतरे, व बेल गिरी आदि से इलाज के लिए बता रहे हैं।

कारगर घरेलू नुस्खे

यूनानी विभाग के प्रभारी डॉ। अनीस अहमद ने बताया कि कई आम बीमारियों में घरेलू नुस्खे काफी कारगर होते हैं। जैसे खांसी में अदरक और शहद का रस, दस्त में सूखी बेल गिरी का चूर्ण, उल्टी आने पर प्याज, अदरक व पुदीने का रस आदि प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग कर इलाज किया जाता है। इन नुस्खों से शतप्रतिशत रोग का इलाज संभव है।

आयुष विंग में दवाओं का ध्यान रखा जाता है। यदि ऐसा है तो इसकी जांच कराई जाएगी। खत्म हो चुकी दवाओं का स्टॉक पूरा किया जाएगा।

-विरेन्द्र सिंह, सीएमओ