पुल का अस्तित्व खतरे में

गोरखपुर से बढ़नी, महाराजगंज, सिद्धार्थनगर और नेपाल तक बाई रोड जाने के लिए महेसरा पुल ही अकेला सुविधाजनक रास्ता है, जिससे न केवल दूरी कम हो जाती है बल्कि सफर स्मूथ होता है। लेकिन महेसरा पुल का अस्तित्व अब खतरे में है। सालों पहले पुल की उम्र खत्म हो गई लेकिन लोकल प्रशासन उसकी मरम्मत करा कर काम चला रहा था। प्रशासन की मजबूरी का ठेकेदारों ने भी जमकर फायदा उठाया। मरम्मत के नाम पर लाखों के वारे न्यारे होते रहे और दिन ब दिन पुल की हालत बद से बदतर होती गई।

देर आए दुरुस्त आए   

इंटरनेशनल बार्डर से जोड़ने वाले महेसरा पुल के खत्म होते अस्तित्व की कहानी जब आई नेक्स्ट ने पेश की तो प्रशासन भी नींद से जाग गया। आई नेक्स्ट की पहल और सदर सांसद की शिकायत के बाद शासन ने जिला प्रशासन को कड़े निर्देश दिए। जिसके बाद डीएम और एसएसपी ने महेसरा पुल के अस्तित्व को बचाने के लिए कड़े निर्देश जारी किए। इसकी जिम्मेदारी एसपी ट्रैफिक रमाकांत को सौंपी गई हैै।

हैवी कामर्शियल व्हीकल पर होगी निगाह

महेसरा पुल से हैवी कामर्शियल व्हीकल नहीं गुजर सकेगा। ट्रैफिक एसपी रमाकांत के अनुसार  25 टन से ज्यादा माल लदी गाड़ियों को पुल से पहले ही रोक दिया जाएगा। इसके लिए सीओ गोरखनाथ और चिलुआताल पुलिस को जिम्मेदारी सौंपी गई है। पुल पर पुलिस की पिकेट लगाई जाएगी और पुल से हैवी व्हीकल की नो-इंट्री का आदेश दे दिया गया है।

महेसरा पुल को बचाने के लिए हैवी व्हीकल की इंट्री पर बैन लगा दिया गया है। 25 टन से ज्यादा माल लदी गाड़ियों को रोक दिया जाएगा। उन्हें दूसरे रास्ते से भेजा जाएगा। इसके लिए गोरखनाथ सीओ और चिलुआताल पुलिस को जिम्मेदारी दी गई है।

रमाकांत प्रसाद, एसपी ट्रैफिक