- डीडीयूजीयू के आपदा प्रबंधन कोर्स में स्टूडेंट्स को नहीं मिल पा रही ट्रेनिंग

- क्लासेज भी नहीं चलतीं रेग्युलरली, किसी तरह पूरे होते हैं प्रोजेक्ट

GORAKHPUR: यूनिवर्सिटी में आपदा प्रबंधन कोर्स का संचालन जिस मकसद से किया गया था वह जिले में आई बाढ़ के बाद भी पूरा होता नहीं दिख रहा है। बिना एक्स्प‌र्ट्स द्वारा ट्रेनिंग के डिजास्टर मैनेजमेंट कोर्स के स्टूडेंट्स पीडि़तों की मदद के लिए अपना योगदान नहीं दे पा रहे हैं। जिम्मेदारों की उदासीनता के चलते इन स्टूडेंट्स को ट्रेनिंग तो दूर ढंग से पढ़ाई तक नसीब नहीं है। सैलरी भुगतान ना होने के चलते जहां टीचर्स ने क्लासेज लेना बंद कर दिया है। वहीं, यूनिवर्सिटी प्रशासन स्टूडेंट्स को गाइड करने वाले एक्सपर्ट की भी व्यवस्था नहीं कर सका है। इस लापरवाही का ही नताजा है कि साल दर साल कोर्स में एडमिशन की संख्या भी घटती जा रही है।

बिना सैलरी कैसे पढ़ाएं?

साल 1998 में आई बाढ़ को देखते हुए यूनिवर्सिटी प्रशासन ने 2004-05 में डिप्लोमा इन डिजास्टर मैनेजमेंट कोर्स स्टार्ट किया। करीब पांच साल चले इस कोर्स के सही ढंग से संचालन ना होने से इसे बंद कर दिया गया था। इसके बाद 2011 में फिर से इस कोर्स का संचालन सेल्फ फाइनेंस के तहत शुरू किया गया। लेकिन फिर कोर्स के संचालन में जिम्मेदारों की उदासीनता शुरू हो गई। डिपार्टमेंट में तैनात कर्मचारियों और शिक्षकों की मानें तो 2012 से उन्हें वेतन ही नहीं मिल सका है। जबकि हेड आफ डिपार्टमेंट की तरफ से कई बार वित्त अधिकारी को पत्र भी लिखा गया लेकिन यूनिवर्सिटी प्रशासन सुनने को तैयार ही नहीं है। इस कारण टीचर्स ने रेग्युलरली क्लासेज लेना भी छोड़ दिया है। वहीं, यूनिवर्सिटी की तरफ से स्टूडेंट्स को गाइड करने के लिए यहां एक्सपर्ट की व्यवस्था भी नहीं की गई है।

प्रोजेक्ट तो बस खानापूर्ति

डिजास्टर मैनेजमेंट के स्टूडेंट्स के लिए प्रोजेक्ट वर्क बेहद महत्वपूर्ण कार्य है। इसके लिए वे बाढ़ ग्रस्त रहे एरियाज में जाकर इस पर वर्क कर इसकी रिपोर्ट सबमिट करते हैं। लेकिन उन्हें प्रॉपर गाइड करने वाला एक्सपर्ट ना होने से स्टूडेंट्स के प्रोजेक्ट भी कंप्लीट नहीं हो पाते हैं। मजबूरन स्टूडेंट्स 100 नंबर के प्रोजेक्ट के लिए अपने घर के आसपास के एरिया की रिपोर्ट तैयार कर खानापूर्ति करते हैं।

ये रही है एडमिशन की स्थिति

सेशन एडमिशन

2010-11 50

2011-12 49

2012-13 17

2013-14 11

2014-15 42

2015-16 31

2016-17 48

2017-18 21

कॉलिंग

केवल कहने के लिए है डिजास्टर मैनेजमेंट का कोर्स चल रहा है। बाढ़ आई है लेकिन डिपार्टमेंट की तरफ से ना तो बाढ़ ग्रस्त एरिया में ले जाया गया और ना ही किसी प्रकार के रेस्क्यू में हमें ट्रेनिंग दी गई।

- मृत्युंजय सिंह, स्टूडेंट

अगर हमें पहले से ट्रेंड किए होते तो हम भी बाढ़ प्रभावित एरिया में जाकर लोगों की मदद कर सकते थे। लेकिन यहां तो हमें कोई ट्रेनिंग ही नहीं दी गई।

- सत्यपाल, स्टूडेंट

आपदा प्रबंधन कोर्स की अभी तक परीक्षा नहीं हुई है। परीक्षा की डेट भी डिसाइड नहीं की गई है। ट्रेनिंग तो दूर क्लास तक नहीं चलती है।

- रवि रावत, स्टूडेंट

वर्जन

डिजास्टर मैनेजमेंट में निर्धारित सीट से कम एडमिशन होता है। जब यूनिवर्सिटी भुगतान करेगी तभी तो हम कुछ कर सकेंगे। स्टूडेंट्स को ट्रेनिंग देने के लिए एक्सपर्ट तभी आएंगे जब उनका भुगतान किया जाए।

- प्रो। सतीश चंद्र पांडेय, हेड, डिफेंस एंड स्ट्रैटेजिक स्टडीज डिपार्टमेंट