सबसे ज्यादा हियरिंग डिसेबिलिटी

स्टेट में करीब 7 लाख 70 हजार डिसेबल्स हैं। इनमें से 35 हजार 838 डिसेबल्स ईस्ट सिंहभूम डिस्ट्रिक्ट में हैं। यहां सबसे ज्यादा संख्या हियरिंग डिसेबिलिटी की है। इसके बाद नंबर आता है मूवमेंट और विजुअल डिसेबिलिटी का। डिस्ट्रिक्ट में 7 हजार 863 लोग मूवमेंट डिजैबिलिटी के शिकार हैं, वहीं 5420 विजुअल डिसेबिलिटी के हैं। डिस्ट्रिक्ट में करीब 3 हजार से ज्यादा लोग मेंटल रिटार्डेशन और मेंटल इलनेस से भी पीडि़त हैं।

नहीं है कोई व्यवस्था

डिस्ट्रिक्ट में डिसेबल्स की इतनी बड़ी संख्या के बावजूद गवर्नमेंट द्वारा इनके देखभाल की प्रॉपर व्यवस्था नहीं दिखती। फॉर्मर डिजैबिलिटी कमिश्नर सतीश चंद्र ने कहा कि डिस्ट्रिक्ट में डिसेबल्स की देखभाल के लिए गवर्नमेंट द्वारा कोई रिहैबिलिटेशन सेंटर नहीं बनाया गया है। कुछ एनजीओ ही इस दिशा में काम करते हैैं। स्कूल ऑफ होप और आशा किरण जैसे प्राइवेट ऑर्गनाइजेशन्स डिसेबल बच्चों की एजुकेट करते हैं। उन्होंने कहा कि गवर्नमेंट द्वारा फिलहाल ऐसी कोई संस्था नहीं बनाई गई है।

सिर्फ 80 हजार बच्चों का हुआ admission

फॉर्मर डिजैबिलिटी कमिश्नर ने बताया की सर्व शिक्षा अभियान के तहत गवर्नमेंट स्कूल्स में डिसेबल बच्चों को भी एडमिशन लेना है। उन्होंने कहा कि स्टेट में अभी तक करीब 80 हजार डिसेबल बच्चों का एडमिशन इस अभियान के तहत किया गया है। पर स्टेट में स्कूल जाने की उम्र के डिसेबल बच्चों की संख्या पर नजर डालें, तो स्कूल्स में हुआ ये इनरॉलमेंट काफी कम है। स्टेट में पांच वर्ष से लेकर 19 वर्ष एज तक के डिसेबल बच्चों की संख्या करीब 2 लाख 12 हजार है। ऐसे में स्कूल्स में डिसेबल बच्चों का इनरॉलमेंट 38 परसेंट से भी कम है।  

डिस्ट्रिक्ट में रिहैबिलिटेशन सेंटर नहीं है। सर्व शिक्षा अभियान के तहत स्टेट में अब तक 80 हजार डिसेबल्स का स्कूल्स में एडमिशन हुआ है।

-सतीश चंद्र, फॉर्मर डिजैबिलिटी कमिश्नर, झारखंड

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