फीस में छात्रों से हास्टल मेंटीनेंस के नाम पर लिए गए हैं 2000 रूपये

वॉशआउट के बाद भी नहीं दिख रहा कहीं कोई खास काम

ALLAHABAD: इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के हास्टल्स में सुविधाओं की कमी से अन्त:वासियों में आक्रोश है। गुस्सा इस बात को लेकर है कि हास्टल वॉशआउट के बाद भी सूरत नहीं बदल सकी है और उन्हें पहले की ही तरह हास्टल रहने के लिये दे दिया गया है।

असुविधाओं से हैं परेशान

गौरतलब है कि इविवि के सभी हास्टल्स को मेंटीनेंस के नाम पर खाली करवाया गया था। वादा किया गया था कि न्यू एकेडमिक सेशन में हास्टलर्स को मेस की भी सुविधा दी जायेगी। लेकिन अब जब हास्टल्स में पजेशन का सिलसिला चल रहा है, दाखिला लेने वाले परेशान नजर आ रहे हैं। मोटी फीस चुकाकर हास्टल में जैसे तैसे पजेशन पा रहे छात्रों को असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है। रहने के लिये कमरा दिया गया है। लेकिन वॉशआउट के बाद कहीं कोई मेंटीनेंस नहीं नजर आ रहा है।

ठेके पर खा रहे खाना

अन्त:वासियों का कहना है कि कोरम पूरा करने के लिये प्रत्येक हास्टल के कुछ कमरों में चूना पोत दिया गया। हास्टल पहले जैसे जर्जर हालत में थे। आज भी वैसे ही हैं। इसके अलावा साफ सफाई और दूषित पानी की समस्या सभी हास्टल्स की कॉमन प्रॉब्लम है। वादा किया गया था कि यूनिवर्सिटी छात्रों को मेस की फैसलिटी देगी, लेकिन हास्टल्स में मेस छात्र अपने जुगाड़ से ठेके पर चलवा रहे हैं। इनमें एक टाईम के खाने के लिये उन्हें 35 से 40 रूपये देने पड़ रहे हैं। इविवि ने न्यू सेशन में हास्टल की जो फीस ली है। उसके अलग-अलग मदों में छात्रों से 2000 रूपये हास्टल मेंटीनेंस का वसूला गया है। मिसलेनियस के मद में भी 500 रूपया लिया गया है।

हमें अपने ही जुगाड़ से मेस चलवाना पड़ रहा है। जबकि वॉशआउट के समय मेस का वादा किया गया था। अब हम छलावा महसूस कर रहे हैं।

अमित यादव

बाहरी लोगों द्वारा खाने के लिये की जा रही व्यवस्था में कोई गुणवत्ता नहीं होती। इससे आये दिन छात्रों को बीमारी का सामना करना पड़ रहा है।

विष्णुकांत तिवारी

विवि प्रशासन पूर्णत: असंवेदनशील है। फीस बढ़ाने के बाद भी कहीं कोई सुविधा मिलती नजर नहीं आ रही। इसपर चुप्पी तोड़नी चाहिये।

दीपक सिंह

हास्टल वॉशआउट के समय जो वादा किया गया था। कोई भी पूरा नहीं किया गया। सभी हास्टल्स में सही तरीके से मेंटीनेंस का काम नहीं किया गया। कुछ कमरों में केवल चूना पोत दिया है।

रवीन्द्र राज

सरकार और विवि प्रशासन दोनो ही पक्षपात कर रहे हैं। दूसरे विश्वविद्यालयों में सब्सडाईज मेस की सुविधा है। लेकिन यहां तो ऐसा कुछ है ही नहीं।

प्रदीप खरवार