RANCHI: रिम्स में आग लगने से कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। चूंकि हास्पिटल की पुरानी बिल्डिंग में कहीं भी सेंट्रल फायर फाइटिंग सिस्टम नहीं है। वहीं, हास्पिटल के कई डिपार्टमेंट्स आज भी बिना एनओसी के ही चल रहे हैं। इसके बावजूद रिम्स प्रबंधन आग से निपटने के पर्याप्त उपाय नहीं कर रहा है। यही वजह है कि रविवार को फिजियोथेरेपी सेंटर में आग लग गई थी। किसी तरह आग पर काबू तो पा लिया गया लेकिन आग से निपटने के लिए रिम्स में पर्याप्त संसाधन नहीं है। बताते चलें कि कुछ महीने पहले हास्पिटल में फायर फाइटिंग सिस्टम को लेकर डिपार्टमेंट के अधिकारियों ने बैठक की थी, जिसमें हास्पिटल को एनओसी नहीं दिया गया था।

फाइलों में ही फायर सेफ्टी

फायर सेफ्टी डिपार्टमेंट के अधिकारियों ने कुछ महीने पहले रिम्स के अधिकारियों के साथ बैठक की थी। इसमें प्रबंधन से फायर फाइटिंग सिस्टम लगाने को लेकर कुछ आपत्ति थी। साथ ही कुछ काम कराने के लिए प्रबंधन को निर्देश दिया गया था। वहीं फायर डिपार्टमेंट ने कहा था कि आग से निपटने के लिए सेंट्रल सिस्टम लगाना संभव नहीं है। बिल्डिंग बनाते समय भी इस बात का ध्यान नहीं रखा गया था।

हमेशा 1000 मरीज रहते हैं भर्ती

हास्पिटल की मेन बिल्डिंग में हर समय एक हजार मरीज एडमिट रहते हैं। इसमें नवजात से लेकर उम्र दराज मरीजों का भी इलाज होता है। इसके अलावा गंभीर रूप से बीमार और घायलों का भी इलाज होता है। इसके बावजूद रिम्स प्रबंधन मरीजों की सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं है।

वर्जन

फायर डिपार्टमेंट के साथ मीटिंग तो हुई थी। लेकिन, उसके बाद फिर कोई चर्चा नहीं हुई। आग से निपटने के लिए हमारे पास सिलेंडर है तो उसी से कंट्रोल कर सकते हैं। रविवार को भी जो आग लगी थी, उसे काबू कर लिया गया। अब देखना होगा कि कहीं बड़ा हादसा न हो जाए।

-डॉ। गोपाल श्रीवास्तव, डीएस, रिम्स

मार्च में रिम्स के अधिकारियों के साथ बैठक हुई थी। उसमें प्रबंधन को निर्देश दिया गया था कि फायर फाइटिंग सिस्टम का काम करा लें। इसके बाद उन्हें फायर सेफ्टी का एनओसी दिया जाएगा, ताकि हास्पिटल के छोटे-मोटे आग को तत्काल बुझा लिया जाए। लेकिन आजतक कोई प्रक्रिया ही नहीं की गई है। अगर आग लगती है तो मरीजों के साथ ही भारी नुकसान हो सकता है।

-आरके ठाकुर, स्टेट फायर आफिसर