सचिवालय से लेकर बिस्कोमान तक का एक हाल

समय : दोपहर डेढ़ बजे।
प्लेस : ओल्ड सेक्रेटेरिएट। चीफ मिनिस्टर, डिप्टी चीफ मिनिस्टर के ऑफिस इसी बिल्डिंग में हैं। कैबिनेट मिनिस्टर की रेग्युलर मीटिंग भी इसी बिल्डिंग में डिप्टी सीएम के चैंबर के बगल वाले हॉल में होती है। लंच आवर हो चुका है। कर्मचारी अपने-अपने केबिन में लंच कर रहे हैं। सीएम, डिप्टी सीएम और कैबिनेट हॉल एक ही लॉबी में है। कहीं भी न तो फायर एक्सटिंग्विशर दिख रहा है और न ही कहीं फायर हॉज रील सिस्टम। गैस फ्लडिंग सिस्टम जैसी चीजें तो दूर की बातें हैं। हालांकि सिक्योरिटी में यहां कोई कमी नहीं है। सीएम और डिप्टी सीएम की गैलरी के ठीक अपोजिट जहां-तहां रद्दी फर्नीचर का अंबार लगा है। पिछले कई महीनों से ये इसी तरह गैलरी में पड़े हैं।

समय : दोपहर 1.54
प्लेस : विकास भवन, न्यू सेक्रेटेरिएट।
दो ग्रुप में बंटी इस बिल्डिंग का हाल भी ओल्ड सेक्रेटेरिएट जैसा है। हालांकि रेनोवेशन का काम चल रहा है। वायरिंग को चेंज किया जा रहा है। नई वायरिंग में फायर अलार्म लगाने की प्रक्रिया शुरू हुई है। नगर विकास विभाग को छोड़ कर किसी भी विभाग में न तो फायर एक्सटिंग्विशर दिखा और न ही कोई अन्य फायर सेफ्टी सिस्टम। कंप्यूटराइजेशन की प्रक्रिया चल रही है। लेकिन पुरानी फाइलें आगजनी की स्थिति में खतरनाक हो सकती हैं। बेतरतीब तरीके से रखी फाइलों के बीच से लूज वायरिंग भी पास करती है। यहां सब कुछ भगवान भरोसे है। जहां-तहां भारी मात्रा में कबाड़ हो चुके फर्नीचर रखे हैं। सरकार यदि इसे नीलाम कर देती, तो रेवेन्यू मिल जाता और दूसरा फायर सेफ्टी के ख्याल से भी बेहतर होता। लेकिन यहां मानो किसी हादसे का इंतजार है।

समय : 2.25
प्लेस : बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, पंत भवन।
फायर सेफ्टी की सुविधा से पूरी तरह लैस। स्टेट का एकमात्र गवर्नमेंट ऑफिस जहां एनुअल फायर सेफ्टी ऑडिट होता है।
पूरे स्टेट में आपदा से निबटने की जिम्मेवारी इसी ऑफिस को है। यहां लोगों को फस्र्ट एड की टे्रनिंग दी जा रही थी। ट्रेनिंग का आज तीसरा दिन था। कंसल्टेंट विशाल वासवानी ने बताया कि उनके यहां फायर सेफ्टी और इलेक्ट्रिक सेफ्टी का ऑडिट हर साल होता है। यह ऑडिट उसी तर्ज पर होता है, जैसे फिनांशियल ऑडिट होता है। ऑफिस में कौन सा एरिया फायर पोर्न है, फायर सेफ्टी प्वाइंट्स कहां-कहां हैं, इमरजेंसी एग्जिट कहां-कहां हैंऐसे कई सवाल के जवाब फायर सेफ्टी ऑडिट में देने होते हैं। लेकिन फायर ऑडिट केवल आपदा प्रबंध प्राधिकरण के ऑफिस में ही है। यहां सरकारी और गैरसरकारी कुल 14 संस्थाओं के कार्यालय हैं। लेकिन बाकी की स्थिति विकास भवन और सचिवालय की तरह ही है।

समय : 3.00
स्थान : बिस्कोमान टावर।
गांधी मैदान के पश्चिमी छोर स्थित बहुमंजिली इमारत राजधानी की सबसे ऊंची बिल्डिंग्स में से एक है। 18 तल्ले वाली यह पूरी बिल्डिंग ही फायर पोर्न रीजन में है। कोई ऐसा फ्लोर नहंीं है, जहां लूज वायरिंग नहीं हो। सीढिय़ां इतनी संकीर्ण है कि हादसे के दौरान एक साथ दो लोग भी मुश्किल से ही उतर सकें। किसी भी फ्लोर पर गैलरी में न तो फायर एक्सटिंग्विशर की सुविधा है और न ही फायर हॉज रील सिस्टम। इसमें 50 से अधिक संस्थाओं के कार्यालय हैं। हर दिन इस ऑफिस में लगभग 10 हजार लोगों की आवाजाही होती है।

ऑडिट का कंसेप्ट नहीं
आपदा प्रबंधन विभाग के कंसल्टेंट विशाल वासवानी ने बताया कि पटना में फायर सेफ्टी और इलेक्ट्रिक सेफ्टी ऑडिट का कोई कंसेप्ट नहीं है। हद तो उस समय हो जाती है जब इलेक्ट्रिक डिपार्टमेंट का स्टाफ्स भी इससे अपने को अनजान बताता है। जबकि मेट्रो सिटीज में कोई भी प्राइवेट या कमर्शियल बिल्डिंग्स में हर साल फायर सेफ्टी और इलेक्ट्रिक सेफ्टी ऑडिट होता है।

लूज वायरिंग से आगजनी
कमर्शियल और प्राइवेट बिल्डिंग्स में लूज वायरिंग और ओवरलोड के कारण ही आगजनी की घटनाएं होती हैं। इस बारे में विशाल का कहना है कि वायरिंग के अनुसार जब लोड बढ़ जाता है, उसकी कैपेसिटी की रीडिंग रेग्युलर नहीं ली जाती, तब आग लगने की घटनाएं होती हैं। अधिकतर सरकारी बिल्डिंग में लूज वायरिंग ही दिखता है।