RANCHI: रांची नगर निगम में फागिंग के लिए क्भ् गाडि़यां और ख्ख् वर्कर्स हैं, फिर भी इलाके में फॉगिंग काफी धीमी है। नतीजन, मच्छरों के डंक से राजधानी के लोग मलेरिया के शिकार हो रहे हैं। इसकी बड़ी वजह क्भ् में क्क् गाडि़यां अक्सर खराब ही रहती हैं। इस कारण ख्ख् वर्कर ही काम करते हैं। इतना ही नहीं, डेली वेज पर काम करने वाले इन ड्राइवरों और असिस्टेंट की ड्यूटी तीन घंटे की होती है। ऐसे में अधिकतर समय ये आराम ही फरमाते हैं। लेकिन निगम की ओर से उन्हें पूरे दिन का भुगतान किया जाता है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि फागिंग के नाम पर पैसे तो खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन मच्छरों का आतंक कम नहीं हो रहा है।

ड्राइवर को क्0 व असिस्टेंट को 7 हजार पेमेंट

निगम ने गाडि़यों में फागिंग के लिए क्क् ड्राइवर रखे हैं। उनके साथ ही क्क् असिस्टेंट की भी ड्यूटी लगाई गई है। इनका पेमेंट डेली वेज के आधार पर बनता है। इसके अनुसार ड्राइवरों को पेमेंट क्0 हजार रुपए और असिस्टेंट को 7 हजार रुपए का भुगतान किया जाता है। ऐसे में अगर महीने का खर्च निकालें, तो लगभग दो लाख रुपए का पेमेंट वर्कर्स को किया जाता है। लेकिन उनकी ड्यूटी शाम को चार बजे के बाद शुरू होती है, वो भी सिर्फ फ् घंटे के लिए।

एक मशीन फ् लाख की (बॉक्स)

सिटी में फागिंग के लिए निगम के पास पांच ऑटो पहले से थे। इसके बाद ख्0क्भ् में निगम ने तीन लाख रुपए के हिसाब से दस नए आटो की खरीदारी की, ताकि सिटी में फागिंग की व्यवस्था को दुरुस्त की जा सके। लेकिन आए दिन चार आटो गैराज में ही लगे रहते हैं। जिससे कि सिटी में रेगुलर फागिंग नहीं हो पा रही है।

वर्जन

इस मामले में जांच रिपोर्ट का इंतजार है। रिपोर्ट आने के बाद ही सारी चीजें साफ हो पाएंगी। फिलहाल एएमसी को इसकी जिम्मेवारी दी गई है।

-डॉ। शांतनु कुमार अग्रहरि, नगर आयुक्त, रांची नगर निगम