RANCHI: सरकार ने दो साल पहले ही पांच साल का लाइसेंस दिया था और अब सरकार के ही मातहत अधिकारी इसे तवज्जो नहीं दे रहे हैं। बंद करने की सलाह दे रहे हैं। यह दर्द बयां करते हुए महर्षि वाल्मीकि विकलांग एवं अनाथ कल्याण सेवाश्रम शेल्टर होम भुसूर के सचिव दिव्यांग मंगलदेव महतो ने जिला कल्याण पदाधिकारी से शेल्टर होम को चलाने के लिए फंड दिलाने की गुहार लगाई है।

कर्ज लेकर चला रहे है शेल्टर होम

मंगलदेव महतो ने बताया है कि वह कर्ज लेकर शेल्टर होम चला रहा है। शेल्टर होम में 42 बच्चे हैं, जिनमें कई हजार रुपए खर्च हो रहे हैं। पर, कुछ दिनों से सरकार द्वारा फंड रीलिज नहीं होने पर बच्चों को भूखे रहना पड़ रहा है। इनकी भूख वो कर्ज लेकर मिटा रहे हैं। मंगलदेव महतो के मुताबिक, फंड के लिए वह कई बार जिला कल्याण समाज विभाग की दौड़ लगाए, लेकिन उसकी कोई सुन नहीं रहा है। वह यहां और वहां दौड़ रहे हैं।

डीसीपीओ ने 2000 घूस लिया

फंड दिलाने के नाम पर डीसीपीओ सेवक राम लोहरा ने दो हजार रुपए रिश्वत भी ले लिया है। लेकिन, फंड नहीं मिल पाया। मंगलदेव के मुताबिक, वह विकलांग होने के बाद दौड़ने की स्थिति में नहीं है। ऐसे में फंड नहीं मिलने से और परेशानी हो रही है।

सरकार ने दिया है लाइसेंस

गौरतलब हो कि महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग ने महर्षि वाल्मीकि विकलांग एवं अनाथ कल्याण सेवाश्रम शेल्टर होमन, भुसूर को पांच सालों का लाइसेंस दिया है।

दाताओं के नाम भी डाले सूची में

जैलेंद्र महतो, संजय चौधरी, पंचमी देवी, नीलकांत प्रसाद, अमर नायक, डॉ पारस महतो, देवनंदन महतो, रामपोदो महतो शामिल हैं।