टीचर भी हैं खामोश
यूनिवर्सिटी में करीब दो करोड़ रुपए खर्च करके सिर्फ कुछ डिपार्टमेंट तक ही तार दौड़ पाए थे। अब सीएम अखिलेश यादव ने ढाई करोड़ की ग्रांट और मंजूर कर दी है तो इसके बाद क्या यूनिवर्सिटी में पूरी तरह से इंटरनेट फैसिलिटी मिल जाएगी? इसपर कोई भी बोलने को तैयार नहीं है। जिन डिपार्टमेंट्स में अभी इंटरनेट फैसिलिटी नहीं मिल सकी है उनके टीचर्स से पूछे जाने पर उन्होंने इस संबंध में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।

करीब आधा दर्जन फैकेल्टी में नहीं है सुविधा
पूरी यूनिवर्सिटी में इंटरनेट फैसिलिटी की बात करें तो करीब आधा दर्जन से ज्यादा डिपार्टमेंट में अभी तक इंटरनेट की सुविधा अवेलबल नहीं है। इसमें यूनिवर्सिटी की बिगेस्ट फैकेल्टी कही जाने वाली आर्ट फैकेल्टी भी अछूती नहीं है। आर्ट फैकेल्टी के कई डिपार्टमेंट्स में अभी तक इंटरनेट से नहीं जुड़ पाएं हैं। इसमें मुख्य रूप से इंग्लिश, संस्कृत, उर्दू, फिलॉसफी, एंसिएंट हिस्ट्री, लॉ डिपार्टमेंट शामिल हैं।

वायर है पर इंटरनेट नहीं
यूनिवर्सिटी के जिन डिपार्टमेंट्स तक इंटरनेट के लिए तार दौड़ चुके हैं वहां पर भी इंटरनेट की फैसिलिटी नहीं है। टीचर्स की माने तो सिर्फ तार लटका कर छोड़ दिया गया है। हिस्ट्री डिपार्टमेंट की बात करें तो वहां पर भी यह सिर्फ एक कमरे तक सिमट कर रह गई है। वहीं साइंस डिपार्टमेंट में टीचर्स ने अपना बजट और ग्रांट यूज करके सभी जगहों पर फैसिलिटी प्रोवाइड कराई थी। लेकिन वर्तमान स्थिति यह है कि इंटरनेट फैसिलिटी तो दूर सभी विभागों के सभी रूम में नेटवर्किंग तक नहीं हो सकी है। वहीं इसके जिम्मेदारान सिर्फ दो ही विभागों में फैसिलिटी न होने का दावा कर रहे हैं।

बैकबोन के 90 मीटर तक खींचे जा सकते हैं तार
यूनिवर्सिटी में नेटवर्किंग इंजीनियर की माने तो यूनिवर्सिटी में इंटरनेट कनेक्शन देते वक्त कई जगहों पर बैकबोन लगाई जाती है। यह बैकबोन यूनिवर्सिटी के कई बिल्डिंग में भी लगाई गई है लेकिन इसका एक ड्रा बैक है वह यह कि बैकबोन से सिर्फ 90 मीटर दूरी तक ही तार खींचे जा सकते हैं। इसलिए बिल्डिंग में कनेक्शन होने के बावजूद भी कई डिपार्टमेंट्स में अभी तक इंटरनेट फैसिलिटी प्रोवाइड नहीं हो सकी है।

वाई-फाई है बेस्ट ऑप्शन
यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन अगर पूरे कैंपस को इंटरनेट से जोड़ना चाहती है तो इसके लिए वाई-फाई से बेस्ट कोई दूसरा ऑप्शन नहीं हो सकता। वह इसलिए कि यूनिवर्सिटी के कई ऐसे डिपार्टमेंट हैं जो अलग-अलग कॉर्नर पर हैं, जहां तक तार खींचना पॉसिबल नहीं होगा या अगर खींचा जाएगा तो उसमें कई बैकबोन यूज किए जाएंगे और काफी तार की बर्बादी होगी। वाई-फाई के लिए यूनिवर्सिटी के वीसी ने पहले ही हिंट दी थी, जिसे आई नेक्स्ट ने प्रमुखता के साथ पब्लिश किया था।

मैंने हाल ही में रजिस्ट्रार का कार्यभार संभाला है। इससे पूर्व क्या हुआ इसके बारे में मैं नहीं जानता। आगे नेटवर्किंग इंजीनियर से मीटिंग के बाद यह फैसला होगा कि कैंपस में वाई-फाई लगना है कि लैन के थ्रू नेटवर्किंग होनी है।
- एएम अंसारी, ऑफिशिएटिंग रजिस्ट्रार

 

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