Lucknow: अभी तक हेलमेट सिर्फ आपके हेड की सेफ्टी के लिए यूज होता है, लेकिन शहर के एक 'रैंचोÓ ऐसा हेलमेट बनाया है जो न सिर्फ सेफ ड्राइविंग के लिए आपको गाइड करेगा बल्कि आपकी बाइक की  सुरक्षा भी करेगा।
बिना हेलमेट स्टार्ट नहीं होगा इंजन
पहली बात तो ये कि जब तक आप हेलमेंट नही लगाएंगे तब तक बाइक स्टार्ट ही नही होगी। दूसरे ये कि अगर आप बाइक ठीक से नहीं चला पा रहे हैं तो बाइक का इंजन बद कर देगा। तीसरा ये कि अगर कोई आपकी बाइक को दूसरी चाभी से जबरन स्टार्ट करने की कोशिश करता है तो हार्न बजने लगेगा और इंजन काम करना बंद कर देगा.
हां, लखनऊ के जीतू मिश्रा ने एक ऐसी डिजिटल बाइक सिक्यूरिटी डिवाइस का आविष्कार किया है जिसको हेलमेट में इंस्टाल करने के बाद हेलमेट इंट्रेक्टिव बन जाता है। हालांकि उसके पास कोई प्रोफेशनल डिग्री नही है, लेकिन अपने इंट्रेस्ट की बदौलत उसने यह कारमाना कर दिखाया है। यह एक ऐसी डिवाइस है जो बाइक राइडिंग के दौरान आपकी पूरी सेफ्टी रखेगी।
हेलमेट रखेगा आपको सेफ
जीतू ने बताया कि सेंसर और चिप की मदद से इस डिवाइस को बनाया गया है। एक चिप और सेंसर बाइक में होगा और दूसरा चिप और सेंसर हेलमेट में। इसे हेलमेट के फ्रंट साइड में कुछ इस तरह फिट किया जाएगा है कि वह ना तो आपको दिखेगा और ना ही आपको पता चलेगा। बाइक तभी स्टार्ट होगी जब आपने हेलमेट पहना होगा.
जीतू के मुताबिक इस डिवाइस की मैन्युफैक्चरिंग वैल्यू 200 रुपये है। एक अच्छी क्वालिटी के हेलमेट के साथ इसे 1200 रुपये में आप अपनी बाइक में इंस्टाल करा सकते हैं। इस डिवाइस में सालाना दस रुपए की बैटरी का खर्च है.
अस्सी परसेंट लोग नहीं पहनते हेलमेट
एक आंकड़े के मुताबिक राजधानी समेत प्रदेश भर में अस्सी परसेंट लोग हेलमेट लगाकर गाड़ी चलाना पसंद नहीं करते। टीनएजर्स अगर घर से हेलमेट पहन कर निकलते भी हैं तो रास्ते में उसे उतार देते हैं। ऐसे में जब हेलमेट के बिना गाड़ी स्टार्ट ही नहीं होगी तो हेलमेट पहनना जरुरी हो जाएगा। जीतू का कहना है कि अगर सरकार इस प्रोजेक्ट को टेकओवर कर ले तो सभी की भलाई हो सकती है.
इससे ना सिर्फ  रोड एक्सीडेंट मे कमी आयेगी बल्कि बाइक चोरी जैसी घटनाएं भी नहीं होगी। ऐसा नहीं है कि जीतू ने किसी टेक्निकल यूनिवर्सिटी से कोई डिग्री हासिल की है बल्कि जीतू का ताल्लुक एक साधारण परिवार से है। घरेलू जिम्मेदारियों को पूरा करने के चक्कर में जीतू इंटरमीडिएट से आगे की पढ़ाई भी पूरी नहीं कर पाया। लेकिन कुछ कर गुजरने की लगन और टेक्निकल दिमाग के कारण ही वह आज आईआईटी कानपुर के स्टूडेंट्स के साथ अपनी टेक्निकल नॉलेज शेयर कर रहा है। जीतू ने बताया कि दो महीने पहले अपने इस प्रोजेक्ट को भी पेटेंट करवा लिया है।