लड़खड़ाए बाजार को वित्त  मंत्री की सांत्वना  

पी-नोट पर पाबंदी की आशंका में धराशायी हुए शेयर बाजार के मद्देनजर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को आश्वस्त किया कि सरकार बिना सोचे-समझे पी-नोट को नियंत्रित करने के संबंध में कोई कदम नहीं उठाएगी। जेटली ने कहा कि कोई भी ऐसा काम नहीं किया जाएगा, जिससे निवेश के माहौल पर विपरीत असर पड़े। वित्त मंत्री का बयान ऐसे समय आया है जब कालेधन की जांच कर रही जस्टिस एमबी शाह की अध्यक्षता वाली एसआइटी ने पी-नोट पर लगाम लगाने को कदम उठाने का सुझाव दिया है।

क्या है सुप्रीम कोर्ट का सुझाव

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गठित हुई इस एसआइटी का कहना है कि बाजार में कालेधन पर लगाम लगाने के लिए पी-नोट के माध्यम से निवेश करने वाले लोगों की पहचान के लिए उपाय करने चाहिए। समिति की इस सिफारिश के बाद निवेशकों को यह आशंका हुई कि सरकार पी-नोट पर रोक लगाने के लिए कदम उठा सकती है। इसी आशंका का परिणाम यह हुआ कि सोमवार को शेयर बाजार खुलने के साथ ही औंधे मुंह गिर गया। कारोबार के आखिर में सेंसेक्स 551 अंक की गिरावट के साथ बंद हुआ।

बाजार के मूड को भांपते हुए वित्त मंत्री को सुबह ही निवेशकों को भरोसा देने के लिए सामने आना पड़ा। जेटली ने पत्रकारों को बताया कि कालेधन की जांच कर रही एसआइटी की सिफारिशों पर सरकार क्या दृष्टिकोण अपनाएगी, इस बारे में अभी कुछ भी कहना मुश्किल है। लेकिन निश्चित तौर पर सरकार कोई ऐसा कदम नहीं उठाएगी जिसका निवेश पर प्रतिकूल असर पड़े।

वित्तीय कोड पर विचार के बाद फैसला  

राजस्व सचिव शक्तिकांत दास ने भी अलग से बयान देकर निवेशकों को आश्वस्त करने की कोशिश की। दास ने कहा कि घबराने की कोई जरूरत नहीं है। वित्त मंत्रालय सेबी, रिजर्व बैंक और अन्य संस्थाओं के साथ विचार विमर्श के बाद ही कोई फैसला करेगा। वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार भारतीय वित्त कोड (आइएफसी) बिल के मसौदे पर केंद्रीय बैंक समेत विभिन्न पक्षों के साथ चर्चा के बाद ही कोई फैसला लेगी। आइएफसी के मसौदे में कुछ ऐसे प्रावधान रखे गए हैं, जिससे मौद्रिक नीति तय करने के संबंध में रिजर्व बैंक के गवर्नर के अधिकार सीमित हो सकते हैं।

क्या है पी-नोट?

पी-नोट निवेश का ऐसा माध्यम है जिसका इस्तेमाल कर विदेशी निवेशक भारतीय शेयर बाजार में निवेश कर सकता है। पूंजी बाजार नियामक सेबी के नियमानुसार भारतीय शेयर बाजार में निवेश करने के लिए विदेशी निवेशकों को पंजीकरण कराना होता है। लेकिन जो विदेशी निवेशक सेबी के पास पंजीकृत नहीं होते, वे ब्रोकरेज फर्मों के माध्यम से शेयर बाजार में निवेश कर सकते हैं। ऐसे निवेशकों को ब्रोकरेज फर्में पी-नोट जारी कर देती हैं। ऐसा होने पर सेबी को यह पता नहीं चलता कि पी-नोट का इस्तेमाल करने वाले वास्तविक निवेशक कौन हैं। इसकी वजह यह है कि ब्रोकरेज फर्म उनकी पहचान छुपा कर रखती हैं। पहचान उजागर नहीं होने से ऐसी आशंका बनी रहती है कि इनका इस्तेमाल कर आतंकी भारतीय बाजार में निवेश कर सकते हैं। इसके अलावा काला धन देश में लाने का भी इन्हें बड़ा जरिया माना जा रहा है। फिलहाल देश में जो विदेशी निवेश हो रहा है, उसमें बड़ा हिस्सा पी-नोट के जरिये ही आ रहा है। पी-नोट का इस्तेमाल विदेश के धनी लोग व हेज फंड करते हैं।

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