क्रिमिनल्स हर दिन एक के बाद वारदात को अंजाम देकर पुलिस को चुनौती दे रहे हैं। चलिए आपको मिलवाते हैं इन टॉप 10 मोस्ट वॉन्टेड क्रिमिनल्स से।

अब तक कानपुर पुलिस के कई कारनामे आपने ने सुने और पढ़े होंगे, लेकिन आज हम आपको जो कारनामा बताने जा रहे हैं वो वाकई में आपके होश उड़ा देगा। जी हां, ये कारनामा सिटी के मोस्ट वॉन्टेड क्रिमिनल्स से जुड़ा हुआ है। चौंकिए नहीं हम बिल्कुल सच कह रहे हैं। इस बार तो पुलिस ने हद कर दी। सिटी के दस मोस्ट वॉन्टेड क्रिमिनल्स पर ईनाम तो घोषित कर दिए गए लेकिन सिर्फ एक के बारे में ही

जानकारी अवेलेबल है.

यानि मोस्ट वॉन्टेड 10 हैं और पुलिस के पास सिर्फ एक की ही फोटो है। यही नहीं बाकी नौ का न तो पता मालूम है और न किसी के बारे में कोई इंफॉर्मेशन है। ऐसे में सवाल उठता है कि जब कुछ मालूम नहीं है तो पुलिस उनको कैसे पकड़ेगी। अरे यही तो पुलिस का गोलमाल है, यानि जब क्रिमिनल्स को पकडऩा ही नहीं है तो काहे की फोटो और काहे का पता। यही नहीं जिनके बारे में कुछ पता है तो उनको भागने और छुपाने से भी पीछे नहीं हटती है पुलिस।

अरे ये कारनामा तो जानिए

सिटी के 10 मोस्ट वॉन्टेड क्रिमिनल्स में से पुलिस के पास सिर्फ एक का ही फोटो है। हाल ये है कि फोटो नहीं होने की वजह से क्रिमिनल्स खुलेआम घूमते रहते हैं और पुलिस हाथ पर हाथ रखे बैठी है। पुलिस ऑफिसर्स का कहना है कि कोशिश की जा रही है लेकिन

क्या करें फोटो मिल नहीं रही है.

हाल में ही सिटी पुलिस ने ऐसा कारनामा कर दिखाया था, जिससे खुद डीजीपी दंग रह गए थे। पेशेवर क्रिमिनल इसरार पग्गल को चेन्नई पुलिस ने पकड़ा। डीजीपी ने तुरंत प्रेस कॉन्फ्रेंस की। कॉन्फ्रेंस में उन्होंने इसरार पग्गल की फोटो जो फोटो दिखाई वो उसकी नहीं बल्कि एक कारोबारी की थी। जब मामला खुला तो सबके होश उड़ गए, यानि ये पुलिस पता नहीं कब किसको क्या बना दे।

संरक्षण देने में भी पीछे नहीं

ट्यूजडे को शुक्लागंज पुलिस ने एनकाउंटर में मारे गए डी-टू गैंग के शार्प शूटर शानू बॉस के गुरू को अरेस्ट किया था। हाल ये है कि उसकी रिहाई के लिए सिटी के एक दरोगा और कई सिपाही शुक्लागंज पुलिस से ही टकरा गए। जब बात सीनियर ऑफिसर्स तक पहुंची तो अपराधियों को छुड़वाने पहुंचे दरोगा रफूचक्कर हो गए। यही नहीं हफ्ते भर पहले एसपी क्राइम अशफाक अहमद के ऑफिस में एक युवक आया। उसने उनको बताया कि स्थानीय पुलिस मोस्ट वॉन्टेड मोनू पहाड़ी को संरक्षण देती है। वो एरिया में खुलेआम घूमता रहता है और पुलिस कुछ नहीं करती है।

सीओ को याद नहीं रहती डेट

पुलिस की तो बात ही निराली है। सिपाहियों को तो छोडि़ए सीओ साहब तक को याद नहीं रहता है कि किस अपराधी की कब पेशी है। हाल ये है कि डी-टू गैंग का संचालक अफजाल फतेहगढ़ जेल से रिहा हो गया। अफजाल की रिहाई कि भनक तक ऑफिसर्स को नहीं लगी। पुलिस के कमजोर मुखबिर तंत्र से खफा डीजीपी ने सीनियर आफिसर्स की क्लास ली थी। क्राइम मीटिंग का हवाला देते हुए ऑफिसर्स ने सीओ को टॉप क्रिमिनल्स को सजा दिलाने का जिम्मा सौंपा.  लेकिन सीओ साहब को कुछ होश हो तब तो वो कुछ करें।

यहां से मत निकलिएगा

अगर आप सिक्योर रहना चाहते हैं तो इन एरियाज से न निकलें। क्रिमिनल्स के कुछ पसंदीदा एरिया हैं। दो दशक पहले नई सडक़ गैंगवार के नाम से पहचानी जाती थी, जो आज भी फेमस है। फूलवाली गली, चमनगंज भैैंसिया हाता, बेकनगंज, गम्मूखां हाता, अनवरगंज लाटूश रोड, कुली बाजार, अजीतगंज बाबूपुरवा, बेकनपुरवा, कर्नलगंज पुरानी शराब गद्दी, ग्वालटोली अहिराना, गंगा कटरी, हरबंस मोहाल सुतरखाना, रेलबाजार गड़रियन पुरवा, जूही पीली कालोनी समेत कई ऐसे एरियाज हैं जहां से लोग निकलने में कतराते हैं।

फोन का नहीं करते इस्तेमाल

ये पेशेवर क्रिमिनल्स काफी होशियार हैं। पुलिस किसी भी सूरत में इन तक न पहुंच पाए इसलिए ये फोन तक का इस्तेमाल नहीं करते हैं। इनकी  गिरफ्तारी के लिए एसओजी के साथ एसटीएफ भी लगी है लेकिन कोई सुराग नहीं मिला है। एसटीएफ को मोनू पहाड़ी ही नहीं बल्कि कई खूंखार क्रिमिनल्स की गिरफ्तारी के लिए लगाया गया है लेकिन कुछ पता नहीं है। ये क्रिमिनल्स इतने शातिर हैं कि पुलिस को बड़ी आसानी से चकमा दे देते हैं।