फुटबाल महाकुंभ का गवाह बनेगा शहर

इयर 2016 में होने वाले नेशनल गेम यूपी में कराए जाएंगे। यूपी गवर्नमेंट ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। नेशनल गेम लखनऊ, कानपुर, इलाहाबाद, वाराणसी, सैफई में कराए जाने पर सहमति बन गई है। कानपुर में सिर्फ फुटबाल मैच कराने का डिसीजन लिया गया है। हालांकि खेलमहाकुंभ को शुरू होने में अभी करीब दो साल का टाइम है। लेकिन सिटी में फुटबाल प्लेयर्स के लिए मूलभूत सुविधाएं नहीं होना चिंता का विषय है।

आखिर कहां कराआगे?

फुटबाल का नेशनल मैच कराने के लिए ले-देकर एक ग्र्रीन पार्क ही बचता है जहां नेशनल और इंटरनेशल लेवल की सभी सुविधाएं मौजूद हैं। लेकिन ग्रीन पार्क स्टेडियम के साथ भी कई पेच हैं। पहली बात तो वो क्रिकेट ग्राउंड है। मैदान की हालत खराब होने के कारण ही कई साल से स्टेडियम को कोई अंतर्राष्ट्रीय मैच नहीं मिल पाया है। पिछले ढाई दशक से अंदर वाले मेन ग्राउंड में फुटबॉल मैच नहीं कराए गए हैं। बाहर वाले मैदान का लेवल ऐसा नहीं है कि मैच कराया जा सके। करीब 27 साल पहले संतोष ट्राफी के मैच ग्र्रीन पार्क के अंदर वाले ग्र्राउंड में हुए थे।

क्या यहां परमीशन मिलेगी?

ओईएफ ग्र्राउंड कैंट व आरमरीना स्टेडियम अर्मापुर में भी फुटबॉल मैच कराए जा सकते हैं। दोनों ही डिफेंस मिनिस्ट्री के अंडर में हैं। यहां मैच कराने की परमीशन मिलेगी या नहीं, कुछ कहा नहीं जा सकता। दोनों ही मैदानों में प्लेयर्स चेंजिंग रूम की सुविधा उपलब्ध है। इसके बाद आईआईटी का ग्र्राउंड बहुत ही शानदार है। ग्रीनपार्क के बाद यहां भी फ्लड लाइट की सुविधा है। लेकिन यहां पर प्लेयर के लिए ग्र्राउंड में चेजिंग रूम की सुविधा नहीं है। यानि सरकार ने अभी से स्टेडियम के बारे में कोई स्पष्ट दिशा निर्देश नहीं दिए तो आयोजन में दिक्कत होना तय है।

गुटबाजी से खेल का बंटाधार

सिटी में फुटबाल प्रेमियों की कमी कभी नहीं रही है। लेकिन बुनियादी सुविधाएं न होने के कारण इस खेल से लोग दूर होते चले गए। डीएफए(डिस्ट्रिक फुटबाल एसोसिएशन) के अंदर की राजनीति ने इस खेल का और बेड़ा गर्क किया है। पहले जितने ओपन टूर्नामेंट फुटबाल के होते थे अब न के बराबर हो रहे हैैं। यही वजह है कि जिन प्लेयर के पास टैलेंट है भी वो दिखा नहीं पा रहे हैैं। यूपी फुटबाल एसोसिएशन भी उदासीन रवैया अपनाए हुए है।

दिया कुछ नहीं लेकिन छीन लिया

फुटबाल की बदहाली के पीछे स्टेट गवर्नमेंट भी कम जिम्मेदार नहीं है। गवर्नमेंट की ओर से फुटबाल को बढ़ावा देने या प्लेयर्स को सुविधाएं देने के लिए एक रुपए तक नहीं है। सरकार की ओर से कोई धनराशि नहीं दी जाती है। यहां तक कि सरकारी नौकरियों में फुटबाल प्लेयर्स का कोटा भी खत्म कर दिया है। ऐसे में प्लेयर्स में निराशा होना स्वाभाविक है। फुटबाल के प्रति लोगों को रुझान कम हो रहा है। जो प्लेयर्स हैं भी वो दूसरे राज्यों की तरफ पलायन कर रहे हैैं। हाल ही सिटी की अंडर 19 खेलने वाली गल्र्स प्लेयर ने बिहार की राह पकड़ी थी जहां पर उसे बेस्ट फाइव में सेलेक्ट किया गया।

इन्होंने बढ़ाई शहर की शान

ऐसा नहीं कि फुटबाल के प्रति शहर में लोगों को प्यार नहीं रहा यहां फुटबालर्स नहीं रहे। परमट को एक टाइम फुटबाल का गढ़ कहा जाता था। संतोष ट्राफी खेलने वालों में प्रमुख रूप से मेवालाल, रईस जाफरी, यशपाल, रमाशंकर, आसिफ इकबाल, संजीव कुमार, आर एस विष्ट, एवी आले, ओपी वर्मा, विष्णु कुमार, एसके बनर्जी के नाम शामिल हैैं। इसके अलावा स्व। मो बशीर, तौफीक, केशव लाल प्रयाग दत्त ने फुटबाल मैच में नेशनल लेवल के टूर्नामेंट में टैलेंट दिखाया था।

नेशन लेवल छाईं सिटी गल्र्स

नेशनल लेवल पर अंडर 17 व 19 और सीनियर टीम में शामिल होने वालों में आकांक्षा गुप्ता, स्नेहा सचान, कंचन बाथम, श्रद्धा सोनकर, दीक्षा सचान, रानी प्रजपति, पिंकी, प्रीती, सपना झा, ज्योति गुप्ता ने अपनी चमक मैदान में बिखेरी है।

नेशनल चैंपियन

एसोसिएशन ऑफ द स्कूल फार द इंडियन स्कूल सार्टिफिकेट(एएसआईएससी) के नेशनल टूर्नामेंट में सिटी के जयपुरिया स्कूल के शुभम बाजपेयी, यूनाइटेड पब्लिक स्कूल के सुयश मोहन, गोली अभिषेक गुप्त, वासिफ इमरान और वीरेन्द्र स्वरूप कैंट के स्टूडेंट्स देवांश भार्गव ने टूर्नामेंट में शानदार खेल का प्रदर्शन कर एएसआईएससी टूर्नामेेंट के नेशनल चैैंंपियन बनने का गौरव हासिल कर लिया।

स्कूलों की बात हीं न करें

टूर्नामेंट में बेस्ट गोलकीपर का खिताब हासिल करने वाले मेस्टन रोड के 11वीं के स्टूडेंट अभिषेक गुप्ता ने कहा कि यह सही है कि सिटी में फुटबाल के लिए बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैैं। ट्वेल्थ के बाद प्लेयर को वेस्ट बंगाल या फिर दिल्ली यूनीवर्सिटी की तरफ कूच करना पड़ता है। हालांकि नेशनल गेम के मैच की मेजबानी मिलने से फुटबाल प्रेमियों को उत्साह बढ़ा है। उनका मानना है इसी बहाने शहर को कुछ पहचान मिलेगी और इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर होने की उम्मीद है। स्कूल लेवल पर तो गेम को थोड़ा सा प्रॉयरिटी मिल रही है। लेकिन ओपन टूर्नामेंट का तो सिटी में अभाव सा हो गया है।

कुछ उम्मीद तो जगी है

हरबंशमोहाल के रहने वाले जयपुरिया के स्टूडेंट शुभम बाजपेयी एएसआईएससी के टूर्नामेंट में बेस्ट प्लेयर बन कर सिटी का नाम रोशन कर चुके हैं। शुभम ने कहा कि सिटी में फुटबाल की दशा बेहद दयनीय है। बुनियादी सुविधाएं तक नहीं हैं। नेशनल गेम का मैच मिलने से कुछ उम्मीदें जगी हैं। शुभम की कोशिश है कि नेशनल यूनीवर्सिटी सिंगापुर में एडमिशन मिल जाए जहां से होटल मैनेजमेंट कोर्स के साथ-साथ फुटबाल खेलने का मौका मिलेगा। लेकिन इंगलैंड की यूनीवर्सिटी ऑफ सरे पहली प्रॉयरिटी है।

‘यहां प्लेयर की कोई इज्जत ही नहीं’

अंडर 17-19 में नेशनल लेवल पर फुटबाल खेल चुकी एसएनसेन की स्टूडेंट ज्योति गुप्ता 8वीं क्लास से ही फुटबाल खेल रहीं हैं। गैरीसन ग्र्राउंड कैंट से फुटबाल सीखने वाली ज्योति ने 2006 से नेशनल लेवल पर जो उपस्थिति दर्ज करायी थी वो अब भी जारी है। ज्योति अब सीनियर्स की टीम में जगह पाने के लिए सीनियर प्लेयर डीबी थापा के साथ डेली तीन घंटे मैदान में पसीना बहा रही हैं। यूपी में फुटबाल की हालत पर उसका कहना है कि प्लेयर को कोई अहमियत नहीं मिलती है। स्टेट गवर्नमेंट की जॉब में फुटबाल के प्लेयर को कोई कोटा नहीं दिया जा रहा है। लेकिन नेशनल गेम के फुटबाल मैच सिटी में होने से प्लेयर को फायदा मिलेगा। लेकिन समस्या ये है कि ग्र्रीन पार्क के अलावा कोई ऐसा ग्र्राउंड नहीं है जहां नेशनल मैच कराया जा सके।

"हमारे लिए यह बड़ी उपलब्धि है कि नेशनल गेम के मैच कानपुर में कराएं जाएंगे। लेकिन इससे देश के  फुटबाल का कोई भला नहीं होने वाला है। लेकिन लोकल लेवल पर प्लेयर्स को इस आयोजन का फायदा जरूर मिलेगा। "

जय बजाज, सेक्रेट्री कानपुर स्पोट्र्स फाउंडेशन)

"सिटी में फुटबाल का इन्फ्रास्ट्र्क्चर उस लेवल का नहीं जिसकी जरूरत है। लेकिन नेशनल गेम के मैच सिटी में होने से प्लेयर को अपना टैलेंट दिखाने का मौका मिलेगा। इतने बड़े आयोजन के होने से आधारभूत ढांचा मजबूत होगा."

अजीत सिंह, सेक्रेट्री डीएफए

"जैसा स्टेट गवर्नमेंट का आदेश होगा, उसके तहत नेशनल गेम्स के आयोजन की तैयारियों का अरेंजमेंट करवाया जाएगा। अगर मैच मेन स्टेडियम में होगा तो पिच को कवर करवाकर फुटबाल मैच करवाए जाएंगे। बाद में पिच का मेंटीनेंस करवा दिया जाएगा। वैसे गेम्स 2016 में होने हैं और अभी तक यह तय हुआ नहीं है कि कानपुर में खेले जाने वाले फुटबाल मैच किस स्टेडियम में होंगे."

बृजेन्द्र कुमार, आरएसओ, ग्रीन पार्क