सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हज़ारे ने ये घोषणा की थी कि अगर सरकार लोकपाल विधेयक को लेकर नागरिक समाज की बात नहीं मानती है तो वे 16 अगस्त से आमरण अनशन करेंगे। दिल्ली पुलिस के मुताबिक़ अन्ना की टीम ने जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करने के लिए उनसे 15 दिनों पहले अनुमति मांगी थी।

दिल्ली पुलिस के जनसंपर्क अधिकारी राजन भगत ने बीबीसी को बताया कि अन्ना हज़ारे के साथ मिलकर अगर दो हज़ार से ज़्यादा लोग प्रदर्शन करेंगे तो उन्हें जंतर-मंतर पर ये करने की इज़ाजत नहीं दी जाएगी।

राजन भगत का कहना था, "क्योंकि जंतर-मंतर पर और भी लोग विरोध प्रदर्शन करते है इसलिए दो हज़ार से ज्यादा लोगों को वहां इकट्ठा नहीं होने दिया जा सकता। अगर वह एक से अधिक दिनों के लिए प्रदर्शन करना चाहते है तो दिल्ली के बाहरी क्षेत्र में इसकी इज़ाजत देने पर विचार किया जा सकता है." दिल्ली पुलिस का कहना है कि वह अन्ना टीम को 10 दिनों पहले ही इस बारे में लिख चुकी है और अब उनके जवाब का इंतज़ार कर रही है।

प्रतिक्रिया

अन्ना हज़ारे ने दिल्ली पुलिस के इस जवाब पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है ," ये लोकतंत्र का गला घोटने के बराबर है." उन्होंने दावा किया कि 16 अगस्त को होने वाले अनशन में उन्हें पहले से भी ज़्यादा लोगों का साथ मिलेगा। मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा ने कहा है कि सरकार का ये निर्णय अलोकतांत्रिक है और इसे जनता की भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ आवाज़ दबाने की कोशिश करार दिया।

भाजपा के प्रवक्ता जगत प्रकाश नड्डा का कहना था,"हर व्यक्ति, संस्था और नागरिक समाज को भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने का हक़ है। कांग्रेस भ्रष्टाचार में लिप्त है और उसके पास कोई नैतिक हिम्मत नहीं है कि वह इसके ख़िलाफ़ लड़ सके। इसलिए जो लोग भ्रष्टाचार के विरोध में आवाज़ उठाते है वह उसकी आवाज़ को दबाना चाहते है."

दिल्ली पुलिस का ये भी कहना था कि अन्ना की टीम संसद के बाहर भी प्रदर्शन नहीं कर सकती क्योंकि वहां धारा144 लगा दी गई है। बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कहना था,"सरकार अन्ना टीम से डर गई है इसलिए उसने निषेधाज्ञा लगा दी है."

लोकपाल बिल के मसौदे को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंज़ूरी मिल चुकी है और एक अगस्त से शुरु होने वाले मॉनसून सत्र में इसे पेश किया जाएगा। इस मसौदे से प्रधानमंत्री कार्यालय और न्यापालिका को बाहर रखा गया है जिससे अन्ना टीम नाराज़ है।

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