हरियाणा सरकार ने राष्ट्रमंण्डल खेलों में स्वर्ण पदक विजेता गीता को हरियाणा पुलिस में इंस्पेक्टर बनाने की घोषणा की थी लेकिन इस घोषणा के डेढ़ साल बाद भी गीता बेराजगार हैं।

हाल ही में पहलवान गीता ने एशियाई चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर लंदन ओलंपिक का टिकट हासिल किया है। गीता इस बात को बीबीसी से साझा नहीं करना चाहती थीं लेकिन जब बीबीसी की टीम गीता का साक्षात्कार करने हरियाणा में चरखी दादरी के गांव बिलाली पहुंची तो गीता के घर पर बने अखाडे़ में मौजूद गांववासियों ने ये जानकारी दी।

वादा

जब गीता से इस बारे में सवाल किया गया तो गीता ने कहा, "अभी तक तो नौकरी का वादा पूरा नहीं हुआ हैं। राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक के बाद मैंने एशिया चैंपियनशिप में भी गोल्ड जीता लेकिन आज तक तो वादा पूरा नहीं हुआ है."

गीता कहती हैं, "बहुत दुख होता हैं और दुख और बढ़ जाता हैं जब हम देखते हैं कि जिनकी हम से कम उपलबधियां हैं उन लोगों को हरियाणा सरकार ने डीएसपी के पद से नवाजा है और हमें एक नौकरी तक नहीं."

हालांकि ये सब बाते गीता की एकाग्रता को कम नहीं करतीं। वो कहती हैं, "एक पद पाना, नौकरी पाना मेरा लक्ष्य नहीं हैं, ओलंपिक में गोल्ड पाना मेरा लक्ष्य है। मेरे पिताजी़ कहते हैं कि आप जब खेल में अच्छा करेंगे तो आपकी पीछे नौकरियां आएंगी."

गौरतलब हैं कि गीता ने अपनी तैयारियां अपने घर के अखाड़े में ही की थी और अपने खर्चे से ही उन्होंने कुश्ती के लिए मैट और जिम बनाया है।

करोड़पति बनाने के लिए

पहले गीता के अखाड़े में छत तक नहीं थी। राष्ट्रमंडल खेलो के पदक के बाद मिले इनाम से अखाड़े पर छत बनाई गई। और अब गांव के 30-32 बच्चे यहां अभ्यास करते हैं जिनमें 10-12 लड़कियां हैं। गीता की पहलवान बनने की कहानी भी बहुत दिलचस्प है।

गीता के पिता पहलवान महावीर कहते हैं, "जब 2000 में कर्णम मल्लेश्वरी ने ओलंपिक में पदक जीता तो हरियाणा सरकार ने घोषणा की थी कि जो खिलाडी ओलंपिक में स्वर्ण पदक लाएगा, उसे एक करोड़ का ईनाम दिया जाएगा। तब मैंने सोचा कि क्यों न मेरी बेटियां भी करोड़पति बनें."

इसके बाद से ही पहलवान महावीर ने अपनी चारों बेटिंयों को पहलवान बनाने की ठानी। गीता की बहन बबीता ने भी राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक जीता था लेकिन बबीता को ओलंपिक क्वालिफायर मुकाबलों के लिए भारतीय टीम में शामिल नहीं किया गया है।

International News inextlive from World News Desk