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JAMSHEDPUR: स्टील सिटी के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एमजीएम में दर्द समेत कई प्रकार की उपयोगी दवाएं नहीं है। इससे मजबूर होकर लोगों को बाहर से दवाएं खरीदना पड़ रहा है। सोमवार को दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के रिपोर्टर ने खुद को ही ईएनटी डिपार्टमेंट में दिखाया जहां कान की डाक्टरों ने 10 दवाएं लिख दी। जब रिपोर्टर दवा लेने गए तो पहले उन्हें पैरासीटामोल दे दी। रिपोर्टर बोले मुझे बुखार नहीं है तो कर्मचारियों ने पैरासीटामोल लेकर एंटीबायोटिक दवा 'सिप्रोफ्लोसिन' दे दी। जो कि एक एंटीबायोटिक दवा है।

तसल्ली के लिए दे रहे दवा

एजीएम अस्पताल के कर्मचारी दवा न होने पर मरीजों की तसल्ली के लिए दवा दे रहे हैं। जबकि सच्चाई तो यह है कि लोगों को सभी दवाएं बाहर से खरीद कर लानी पड़ रही है। एमजीएम अस्पताल के फिजीशियन डा। आरएल अग्रवाल ने बताया कि बहुत से रोगों जैसे कान का दर्द, वायरल फीवर आदि में एटीबायोटिक दवा देने की कोई जरूरत नहीं होती है। बिना जरूरत के दवा देने से रोग प्रतिरोध क्षमता का हास होता है। शहर में एमजीएम अस्पताल में लापरवाही का मिथक टूटता नहीं दिख रहा है। अस्पताल में आय दिन लड़ाई -झगड़े के बाद भी कर्मचारी अपनी शहर के एक मात्र सरकारी अस्पताल एमजीएम में लापरवाही की सारी हदें पार कर दी है। गौर करने की बात यह है कि सरकार जहां हर परिवार को पांच लाख रुपये का बीमा देने का वादा किया है। अस्पतालों में दवाओं का टोटा है।

एंटीबायोटिक दवा मिली उपलब्ध

एमजीएम का ड्रग उपलब्धता चार्ट देखने पर सबसे ज्यादा संख्या पैरासीटामॉल 54171 तथा एंटीबायोटिक दवा सिप्प्रोफ्लोक्शिन की संख्या 22975 मिली जो कि बुखार की दवा के साथ कॉमन रूप से प्रयोग की जाती है। चार्ट में उपलब्ध 56 दवाओं में अधिकत्तर में निल का निशान लगा था। वहीं, जो दवाएं थी भी उनकी मात्रा बेहद कम रही।

मरीजों के साथ धोखा

एमजीएम अस्पताल में मरीजों को जो दवाएं दी जाती है। मरीज उन्हें रोग की दवा मानकर खाते रहते है। जबकि दवाओं का असर मरीजों पर नहीं होता है। जिसके चलते मरीजों की बीमारी का इलाज नहीं हो पाता है। मरीजों को धोखे में रखकर उन्हें दवाएं दी जा रही हैं।

ओपीडी में दर्द की दवाएं नहीं है इसकी जानकारी है। अगर ओपीडी में दवाएं नहीं है तो जल्द ही प्रशासन को लिखकर अस्पताल में दवा उपलब्ध कराया जाएगा।

डॉ भारतेंदु भूषण,

सीएमएस एमजीएम अस्पताल जमशेदपुर