RANCHI: सीएम रघुवर दास ने रिम्स में इलाज के लिए आने वाले मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने का आदेश दिया है। मरीजों को हर हाल में हॉस्पिटल से ही दवाएं मिले, यह भी सुनिश्चित करने को कहा है। इसके बावजूद अधिकारियों पर कोई असर नहीं हो रहा है। यही वजह है कि ओपीडी की डिस्पेंसरी में दवाएं ही नहीं हैं। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 1500 बेड के इस हॉस्पिटल की डिस्पेंसरी में महज 22 दवाएं ही अवेलेबल हैं। नतीजन, मरीज प्राइवेट मेडिकल स्टोर से दवाएं खरीदने को मजबूर हैं।

डॉक्टरों की लिखी दवाएं नदारद

ओपीडी में हर दिन अलग-अलग विभागों में 1500 मरीज इलाज के लिए आते हैं। लेकिन उनमें से मात्र 50-60 मरीजों को ही डिस्पेंसरी से दवा मिल पाती है। इतना ही नहीं, पर्ची में लिखी सारी दवाएं भी ढूंढने से नहीं मिल रहीं। एक-दो दवाएं मिल भी जाएं तो बाकी दवाओं के लिए परिजनों को प्राइवेट मेडिकल स्टोर की दौड़ लगानी पड़ रही है। वहीं महंगी दवाएं खरीदने में उनके पसीने छूट रहे हैं। गरीब मरीज तो महंगी दवाएं भी नहीं खरीद पा रहे। इस चक्कर में या तो उनका इलाज अधूरा रह जाता है या फिर कर्ज लेकर दवाएं खरीदनी पड़ रही हैं।

अवेलेबल दवाएं नहीं लिखते डॉक्टर

एक तो मरीज पहले ही परेशान रहते हैं। ऊपर से दवा का बोझ उन्हें आर्थिक रूप से और कमजोर बना देता है। इसकी एक बड़ी वजह डॉक्टरों का अवेलेबल दवाएं नहीं लिखना भी है। जो दवाएं डिस्पेंसरी में अवेलेबल हैं उसे लिखने में भी डॉक्टर कतराते हैं। इसका खामियाजा मरीजों और उनके परिजनों को अधिक पैसे चुकाकर भुगतना पड़ रहा है। लेकिन डॉक्टर साहब को मरीजों की परेशानी से क्या लेना। वहीं इनडोर में दवाएं रहने के बावजूद मरीजों पर बाहर से दवा खरीदने का दबाव बनाया जाता है।

डिमांड पर लिख देते हैं नॉट अवेलेवल

डिस्पेंसरी में दवाओं का स्टॉक नहीं है। ऐसे में जब वहां के स्टाफ अधिकारियों के पास अपनी डिमांड भेजते हैं तो दवाएं मंगाने की बजाय उसपर नॉट अवेलेबल लिखकर लौटा दिया जाता है। इसे लेकर कई बार रिम्स के अधिकारियों को भी पत्र लिखा गया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। हारकर स्टाफ्स ने भी पत्र लिखना छोड़ दिया।

अवेलेबल दवाएं

एजिथ्रोमाइसिन 500 एमजी

एमॉक्सिलीन 500 एमजी

आईब्रूफएन प्लस पारासिटामोल

डायलोना एसपी

रैनिटीडाइन 150 एमजी

सेट्रीजीन 10 एमजी

मेट्रोनिडाजोल 400 एमजी

आयरन टैबलेट

कैल्शियम टैबलेट

ओआरएस

अल्बेंडाजोल 400 एमजी

एमॉक्सिलीन 250 एमजी

पारासिटामोल सीरप 125 एमजी

मॉक्सीफ्लोक्सासीन

रैबीप्राजोल 20 एमजी

एमॉक्सी सीवी 625

अटेलोलोल 50 एमजी

रैमीप्रील 2.5 एमजी

गिल्मीपराइड 2 एमजी

मेटफार्मिन 500 एमजी

ऑफ्लोक्स ओजेड 200, 500 एमजी

वर्जन

दवाओं की लिस्ट मांगी गई है। उसके आधार पर टेंडर किया जाएगा और हर जगह दवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। डिस्पेंसरी से लेकर वार्ड में भी दवा रहेंगी तो मरीजों को बाहर से खरीदने की जरूरत नहीं पड़ेगी। सोमवार को सभी से लिस्ट देने को कहा गया है।

हर्ष मंगला, एडिशनल डायरेक्टर, रिम्स