स्लग: रिम्स में निजी दुकान से दवा खरीदने की दे रहे सलाह

-घटता जा रहा है मेडिसिन स्टॉक, कभी भी हो सकता है खत्म

-8 महीने से सप्लायरों को पेमेंट नहीं किया गया

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RANCHI (4 Feb): रिम्स में दवा के लिए लगभग दस करोड़ का बजट है। इसके बावजूद आर्थो वार्ड में एडमिट मरीजों को 5 रुपए का कैल्शियम भी नहीं मिल पा रहा है। हास्पिटल में दवाओं का स्टॉक खत्म होता जा रहा है। अगर यही स्थिति रही तो जल्द ही मरीजों को एक भी दवा रिम्स में नहीं मिलेगी। वहीं, सर्जिकल आइटम्स भी मरीजों को खुद से खरीदकर लाना होगा। बताते चलें कि सप्लायरों का एक करोड़ रुपए का पेमेंट बकाया होने के कारण रिम्स को दवा की सप्लाई कम कर दी गई है। ऐसे में मरीजों को दवाएं प्राइवेट मेडिकल स्टोर से खरीदनी पड़ रही हैं। इसके बावजूद प्रबंधन गहरी नींद में है।

खत्म हो रहा दवाओं का स्टॉक

हर दिन इनडोर के सभी वार्डो में 12-13 सौ मरीज इलाज करा रहे हैं, जहां मरीजों को सर्जिकल आइटम्स के अलावा दवाएं भी मुफ्त में उपलब्ध कराई जाती हैं। इमरजेंसी में कुछ चीजें बाहर मंगवाकर भी इलाज किया जाता है। लेकिन स्थिति यह है कि स्टॉक कम होता जा रहा है और सप्लाई नहीं के बराबर हो गई है। इसका सीधा असर मरीजों के इलाज के साथ ही उनकी जेब पर भी पड़ रहा है।

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दवा का सालाना बजट है 9.50 करोड़

राज्य के सबसे बड़े सरकारी हास्पिटल में दवा का सालाना बजट 9.50 करोड़ का है। इसमें दवा से लेकर स्लाइन, निडिल, सीरिंज भी शामिल हैं। इसके अलावा इलाज के लिए यूज की जाने वाली अन्य दवाएं व इंजेक्शन के लिए भी खर्च इसी फंड से किया जाता है।

अलग से ग्रुप बॉक्स

प्लेट सप्लाई नहीं होने पर ठप हो गया था एक्सरे

हास्पिटल में कुछ दिनों पहले एक्सरे की प्लेट का स्टॉक खत्म हो गया था। वहीं, पेमेंट नहीं मिलने के बाद सप्लायर ने प्लेट की सप्लाई भी रोक दी थी। इस चक्कर में तीन दिनों तक मरीजों का एक्सरे नहीं हो पाया था। बाद में सप्लायर से रिक्वेस्ट करने पर कुछ प्लेट्स इमरजेंसी के लिए लाए गए हैं।

पेट्रोल-डीजल की भी सप्लाई हुई थी बंद

हास्पिटल में जेनरेटर, एंबुलेंस से लेकर मशीनों को चलाने के लिए डीजल-पेट्रोल की जरूरत पड़ती है। लेकिन पेट्रोल पंप का 30 लाख बिल ड्यूज होने की वजह से सप्लाई बंद कर दी गई थी। इसके बाद अधिकारियों की नींद खुली और तत्काल पेट्रोल पंप को पेमेंट कराया गया। तब जाकर रिम्स में फिर से पेट्रोल-डीजल की सप्लाई शुरू हो गई।

क्या कहते हैं मरीज

नर्स ने बताया कि दवा खत्म हो गया है। ऐसे में बाहर से दवा लाने के लिए कहा। अब कैल्शियम जैसी छोटी दवा भी रिम्स में नहीं है, तो महंगी दवाएं की उम्मीद कैसे करेंगे। बाहर से दवा खरीदने में पैसे भी काफी खर्च हो रहे हैं।

-सिद्धार्थ, पेशेंट

हमलोगों को भी दो दवा तो हास्पिटल से मिला है। बाकी की दवा तो बाहर के मेडिकल से खरीदकर लाए हैं। उसमें भी काफी पैसे खर्च हो जा रहे हैं। अगर दवा यहां से मिल जाती, तो थोड़ी राहत होती।

-रिबन, पेशेंट

वर्जन

हमारे पास जो भी स्टॉक है, उससे काम चला रहे हैं। सप्लायरों को पेमेंट नहीं मिलने की सूचना मिली है। लेकिन मैंने तो सभी बिल पास करके फारवर्ड कर दिया है। अब पेमेंट क्यों नहीं किया जा रहा है यह तो सीनियर अधिकारियों को देखना है। दवाएं और सुविधाएं मरीजों को देनी है, तो खर्च भी बढ़ेगा ही।

-डॉ. रघुनाथ सिंह, मे़िडकल आफिसर, रिम्स स्टोर