एमआरपी ज्वेलरी पर लॉस

डिमांड में रहने वाली एमआरपी ज्वेलरी गोल्ड के रेट डाउन होते ही अचानक मार्केट में ईद का चांद हो गई है। यूथ से लेकर ओल्ड वूमेन भी एमआरपी ज्वेलरी की ओर देखना नहीं चाहती है। मगर ऐसा नहीं है कि वे गोल्ड ज्वेलरी की खरीदारी न कर रहे हो। एक्सपर्ट के मुताबिक गोल्ड का रेट रिकार्ड तोड़ डाउन होने से एमआरपी ज्वेलरी में बिजनेस लॉस है। क्योंकि एमआरपी ज्वेलरी का रेट पहले से फिक्स है। ये रेट तब का है जब गोल्ड 30 हजारी था। जबकि इस टाइम गोल्ड का रेट तकरीबन 25 हजार के आसपास चल रहा है। ऐसे में एमआरपी ज्वेलरी का सौदा नुकसान भरा है। जबकि अन्य ज्वेलरी का रेट गोल्ड के अनुसार चढ़ता-उतरता रहता है। इससे ये ज्वेलरी गोरखपुराइट्स को गोल्ड रेट डाउन होने से फायदे का सौदा दे रही है।

टप्स, चेन नहीं झुमका, नेकलेस मंगता

गोल्ड रेट डाउन होने से फीमेल्स और गर्ल्स की च्वाइस भी अब चेंज हो गई है। उन्हें कान के लिए टप्स या गले के लिए चेन नहीं चाहिए। बल्कि गोल्ड के रेट डाउन होने के बाद उनकी च्वाइस अप कर गई है। अब वे कान के लिए झुमका और गले के लिए नेकलेस खरीद रही है। क्योंकि पहुंच से बाहर रहने वाली ये ज्वेलरी अब उनके बजट में है। ज्वेलर्स का भी मानना है कि गोल्ड का रेट डाउन होने से हैवी ज्वेलरी की डिमांड अधिक बढ़ी है।

गोल्ड के रेट डाउन होने से ज्वेलरी की बिक्री काफी बढ़ गई है। बिजनेस पिछले पांच दिन में कई गुना बढ़ गया है। रेट डाउन होने से यह जरूर है कि एमआरपी वाली ज्वेलरी की डिमांड कुछ कम हुई है।

लक्ष्मण सिंह कुशवाहा, सराफा कारोबारी