- जिला महिला अस्पताल का हाल

- एक साल से इमरजेंसी में रात को नहीं हो रहे प्रेग्नेंट पेशेंट्स के ऑपरेशन

- जबरदस्ती बीआरडी कर देते रेफर, बेडहेड टिकट पर लिखते सुबह का समय

GORAKHPUR: प्रेग्नेंसी केस कितना भी सीरियस हो जिला महिला अस्पताल में शाम के बाद आना मना है। ये हम नहीं कह रहे बल्कि रात के वक्त यहां पहुंचने वाली गंभीर हाल प्रेग्नेंट पेशेंट्स को बिना ऑपरेशन ही जबरदस्ती मेडिकल कॉलेज रेफर कर देने का जिम्मेदारों का रवैया बोल रहा है। ये मनमानी एक साल से जारी है लेकिन सबकुछ जानने वाला अस्पताल प्रशासन एनेस्थिसिया डॉक्टर की कमी का रोना रो बस सबकुछ ढंकने की कोशिश में लगा है। सूत्रों की मानें तो जुलाई 2016 से अबतक यहां रात के वक्त आए लगभग 1080 प्रेग्नेंट लेडिज के केसेज में एक का भी ऑपरेशन नहीं हुआ है।

केस-1

बांसगांव एरिया के बलुआ गोपालपुर निवासी सुधीर कुमार अपनी गर्भवती पत्नी सुमन के साथ 26 जुलाई की शाम जिला महिला अस्पताल पहुंचे। सुमन को प्रसव पीड़ा हो रही थी। इमरजेंसी में डॉक्टर ने देखा और उसे भर्ती कर लिया। लेकिन थोड़ी देर बाद ही उसे बीआरडी मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया। हद तो ये कि बीएचटी बेडहेड टिकट में नाम पता सबकुछ ठीक था लेकिन भर्ती का डेट और समय 26 जुलाई की शाम की जगह 27 जुलाई की सुबह का दिखाया गया। जबकि महिला ने 26 जुलाई की रात 11 बजे दूसरे हॉस्पिटल में एक बच्चे को जन्म दिया।

केस-2

खजनी एरिया के जैतपुर निवासी मुन्ना ने अपनी गर्भवती पत्नी बबीता को जिला महिला अस्पताल में भर्ती कराया। मगर डॉक्टर उसे गंभीर बताते हुए दूसरे जगह जाने की सलाह देने लगीं। उसने गुहार लगाई लेकिन डॉक्टर ने जबरदस्ती

मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया। मेडिकल कॉलेज में महिला ने नॉर्मल डिलेवरी से एक बच्चे को जन्म दिया।

समय रात का दिखाते सुबह एडमिट

सूत्रों की मानें तो जिला महिला अस्पताल की इमरजेंसी में रात के वक्त डेली लगभग तीन गंभीर प्रेग्नेंट पेशेंट पहुंचती हैं। जिनके ऑपरेशन की सख्त जरूरत होती है। बावजूद इसके स्टाफ उन्हें मेडिकल कॉलेज रेफर कर द रहे हैं। आलम ये है कि पेशेंट्स का चेकअप करने के बाद सर्जन डॉक्टर उन्हें मेडिकल कॉलेज रेफर कर देती हैं। तीमारदार डॉक्टर से गुजारिश भी करते हैं लेकिन उन्हें एनेस्थिसिया डॉक्टर ना होने का हवाला देकर वापस कर दिया जाता है। इतना ही नहीं जिम्मेदार अपनी कुर्सी बचाने के लिए पेशेंट की बीएचटी बेडहेड टिकट पर भर्ती डेट और समय भी बदल देते हैं।

दो एनेस्थिसिया पर भी यही था हाल

रात के वक्त ऑपरेशन ना हो पाने के पीछे जिला महिला अस्पताल प्रशासन का तर्क है कि एक ही एनेस्थिसिया डॉक्टर होने के कारण ये समस्या है। जबकि हकीकत ये है कि तीन दिन पहले तक यहां दो एनेस्थिसिया डॉ। रमन और डॉ। धीरज गोयल कार्य कर रहे थे। ऐसे में सवाल उठता है कि जब तीन दिन पहले ही डॉ। धीरज गोयल यहां से छोड़ गए हैं तो आखिर पहले रात के वक्त ऑपरेशन क्यों नहीं किए जा रहे थे।

वर्जन

एनेस्थिसिया की कमी है। पहले संविदा पर दो एनेस्थिसिया डॉक्टर कार्य कर रहे थे जिनमें से एक चले गए। शासन को पत्र लिखकर एक एनेस्थिसिया की मांग की गई है ताकि अस्पताल में प्रेग्नेंट लेडीज को रात के वक्त भी ऑपरेशन की सुविधा मिल सके।

- डॉ। एके गुप्ता, एसआईसी जिला महिला अस्पताल