मंगलवार को आईपीएल-6 में स्पॉट फिक्सिंग मामले की सुनवाई के दौरान  सुप्रीम कोर्ट ने निष्पक्ष जाँच के लिए भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष एन श्रीनिवासन को इस्तीफ़ा देने को कहा था.

सुप्रीम कोर्ट ने श्रीनिवासन को अपना पद छोड़ने के लिए 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया है. इस मामले में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई होनी है.

बीबीसी के साथ बातचीत में आदित्य वर्मा ने कहा, "बीसीसीआई ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि हम सब कुछ मानने को तैयार हैं, मुद्गल समिति के हर सुझाव को मानने को तैयार हैं. आप जिस जांच एजेंसी से कहेंगे, हम उससे जांच करवाएंगे. तब जज ने उस सीलबंद लिफ़ाफ़े को खोलकर, बीसीसीआई के वकील को अपने पास बुलाकर कुछ हिस्से उन्हें पढ़ाएं, और कहा कि श्रीनिवासन के वक़ील की तरह नहीं बल्कि कोर्ट के एक अधिकारी के तौर पर बताएं कि श्रीनिवासन के रहते आप बीसीसीआई को कैसे साफ़ कर सकते हैं. इसलिए सबसे पहले तो श्रीनिवासन को पद से हटना चाहिए और आप उनसे कहिए, नहीं तो कोर्ट इसके लिए ऑर्डर पास करेगा."

'बिहार की ताक़त'

आईपीएल-6 में  स्पॉट फ़िक्सिंग मामले की जांच में  बीसीसीआई द्वारा गठित दो सदस्यीय समिति के एन श्रीनिवासन और अन्य लोगों को क्लीन चिट देने ख़िलाफ़ बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के सचिव आदित्य वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली थी. इसके आधार पर कोर्ट ने मुद्गल समिति का गठन किया था.

"बिहार के क्रिकेट को बीसीसीआई ने 13 साल से ख़त्म कर दिया है. यहां के बच्चे 13 साल से रणजी ट्रॉफ़ी नहीं खेले हैं. इन बच्चों की आह और दर्द ने मुझे प्रेरित किया कि हम इन लोगों को एक्सपोज़ करें."

-आदित्य वर्मा, सचिव, बिहार क्रिकेट एसोसिएशन

जांच के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने एन श्रीनिवासन को बीसीसीआई अध्यक्ष का कामकाज संभालने की इजाज़त तो दे दी थी लेकिन साथ ही निर्देश दिए थे कि वो स्पॉट फ़िक्सिंग मामले की  जांच से दूर रहें.

मंगलवार को सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद आदित्य वर्मा ने इस बात से इनकार किया कि उनकी लड़ाई व्यक्तिगत स्तर पर थी.

उन्होंने कहा, "बिहार के क्रिकेट को बीसीसीआई ने 13 साल से ख़त्म कर दिया है. वहां के बच्चे 13 साल से रणजी ट्रॉफ़ी नहीं खेले हैं. इन बच्चों की आह और दर्द ने मुझे प्रेरित किया कि हम इन लोगों को एक्सपोज़ करें."

'मंझे हुए खिलाड़ी'

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर श्रीनिवासन ख़ुद इस्तीफ़ा नहीं देंगे तो अदालत को इस बारे में आदेश जारी करना पड़ेगा. ऐसे में बोर्ड अध्यक्ष के पास क्या कोई रास्ता बचा है?

"फ़िलहाल श्रीनिवासन के लिए कोई रास्ता नहीं बचता है लेकिन जिस तरह वह अब तक कुर्सी से चिपके रहे हैं, वह इतनी आसानी से छोड़ेंगे."

-मलय नीरव, वरिष्ठ खेल पत्रकार

वरिष्ठ खेल पत्रकार मलय नीरव मानते हैं कि श्रीनिवासन के पास कोई रास्ता नहीं बचा है लेकिन वह इतनी आसानी से पद नहीं छोड़ेंगे.

मलय नीरव ने बीबीसी से कहा, "फ़िलहाल श्रीनिवासन के लिए कोई रास्ता नहीं बचता है लेकिन जिस तरह वह अब तक कुर्सी से चिपके रहे हैं, वह इतनी आसानी से छोड़ेंगे. और छोड़ेंगे तो भी यह सुनिश्चित करना चाहेंगे कि जब वह जाएं तो बीसीसीआई की कुर्सी पर कोई ऐसा व्यक्ति काबिज़ हो जो उनके इशारों पर चले."

उन्होंने कहा, "इसी तरह की स्थिति पिछले वर्ष जून में भी पैदा हुई थी. फ़र्क सिर्फ़ इतना है कि इस बार सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें आड़े हाथों लिया है. ऐसे में उनके लिए बहुत रास्ते नहीं बचे हैं लेकिन श्रीनिवासन बहुत मंझे हुए खिलाड़ी हैं."

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