- प्राइमरी और मिडिल स्कूल के टीचर्स को नहीं मिली सैलरी

- एक हजार उर्दू शिक्षकों का भी दो माह से रुका है वेतन

RANCHI (29 Apr) : राज्य के प्राइमरी और मिडिल स्कूल के आठ जिलों के टीचर्स को पिछले चार महीने से वेतन नहीं मिला है। इतना ही नहीं, पूरे राज्य के करीब एक हजार उर्दू शिक्षकों को भी दो महीने से वेतन नहीं मिला है। एक दिन बाद ही शब-ए-बरात का त्यौहार है। उर्दू शिक्षकों के समझ त्यौहार में भी आर्थिक परेशानी खड़ी हो गई है। आलम यह है कि कई टीचर्स को अब दुकानों से उधारी में सामान मिलना भी बंद हो गया है। इसे लेकर शिक्षक संघ से नाराजगी जताते हुए शिक्षा अधिकारियों से तत्काल सैलरी के लिए फंड रिलीज करने को कहा है।

अधिकारी नहीं दे रहे हैं ध्यान

अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष बिजेन्द्र चौबे, महासचिव राममूर्ती ठाकुर व प्रदेश के मुख्य प्रवक्ता नसीम अहमद ने कहा है कि शिक्षा निदेशालय के अधिकारी कान में तेल डाल कर सो रहे हैं। शिक्षकों को समय पर वेतन मिले, इसके लिए अधिकारी पहल ही नही करते हैं। रूटीन के काम को निपटाने के लिए भी कोई कार्य संस्कृति है ही नहीं। संघ ने आरोप लगाया है कि वेतन आवंटन के लिए जिम्मेदार पदाधिकारियों में प्रभारी प्राथमिक शिक्षा निदेशक शैलेश चौरसिया और प्राथमिक शिक्षा उप निदेशक मिथिलेश सिन्हा वेतन में विलंब के लिए संबंधित जिलों के शिक्षा अधीक्षकों को जिम्मेवार बताते हैं, जो शिक्षकों की भावना के साथ खिलवाड़ है।

वेतन नहीं मिला, तो कटोरा लेकर बैठेंगे

शिक्षक संघ ने चेतावनी दी है कि अगर आठ जिलों के प्राइमरी और मिडिल स्कूल के शिक्षकों के साथ ही एक हजार उर्दू टीचर्स का वेतन रिलीज नहीं किया गया, तो हजारों की संख्या में शिक्षक पदाधिकारियों के घर के बाहर कटोरा लेकर बैठ जाएंगे। संघ ने सरकार से मांग की है कि लापरवाह पदाधिकारियों को निदेशालय से हटाया जाए और पूर्णकालिक प्राथमिक शिक्षा निदेशक की शीघ्र नियुक्ति की जाए।

क्या कहते हैं शिक्षक

सरकार अपने कर्मचारियों को वेतन नहीं दे पा रही है। इससे बड़ी विडंबना और क्या होगी? शिक्षकों के समक्ष आर्थिक संकट की स्थिति उत्पन्न हो गयी है।

प्रभात कुमार

इतनी बुरी स्थिति हो गयी है कि अब भुक्तभोगी शिक्षकों को दुकानदारों ने उधारी देना भी बंद कर दिया है। ऐसे में शिक्षक बच्चों को कैसे पढ़ा पाएंगे।

विश्वजीत कुमार

अभी त्यौहार सिर पर है, लेकिन दो महीने से वेतन ही नहीं मिला है। बड़ी मुश्किल से घर चला रहे हैं। बच्चों को इस बार कुछ भी खरीद कर नहीं दे पाएंगे.

शहजादा

शिक्षकों के साथ यह सरासर अन्याय है। हमसे सारे काम लिये जाते हैं, लेकिन जब वेतन देने की बात आती है, तो अधिकारी अपना पल्ला झाड़ने लगते हैं।

एस हुसैन

सरकार को तत्काल इस समस्या का समाधान करना चाहिए। साल भर का आवंटन एक साथ करना चाहिए, ताकि किसी जिले में शिक्षकों को वेतन मिलना बंद न हो।

संजय कुमार