-कैंपस में सफाई व्यवस्था को लेकर हाइ कोर्ट मैनेजमेंट सख्त

-सीसीटीवी कैमरे से पकड़े जाएंगे कूड़ा फेंकने और यहां-वहां पीक मारने वाले, सौ रुपए जुर्माना लगेगा

-अधिवक्ताओं और उनके सहायकों के लिए हाइ कोर्ट जारी करेगा पास

ALLAHABAD: पान-गुटखा खाने के शौकीन हैं और इसे मुंह में दबाकर रखने की आदत है तो इसे बदल डाले। कम से कम उस वक्त तो इसका ध्यान रखें ही जब किसी काम से हाइ कोर्ट कैंपस में इंट्री ले रहे हों। लम्बी दूरी से आए हैं और खान-पान का सामान आपके पास है तो भी एलर्ट रहें। कूड़ा निर्धारित स्थान पर ही फेकें। इसे कतई हलके में न लें क्योंकि आप पर नजर रखने के लिए तीसरी आंख यहां सक्रिय है। यह आपको खरी-खोटी सुनने के साथ ही जेब हल्की करने का कारण भी बन सकती है।

महानिबंधक को दिया आदेश

इलाहाबाद हाइ कोर्ट ने कैंपस को नीट एंड क्लीन रखने के लिए अभियान चलाने का फैसला लिया है। इसके तहत महानिबंधक को आदेश दिया गया है कि वह इलाहाबाद एवं लखनऊ कोर्ट कैंपस में सीसीटीवी कैमरे लगवाएं। इसके साथ ही यह भी जोड़ा गया है कि जो भी व्यक्ति कारीडोर, वॉक या अन्य स्थान पर कूड़ा फेंकते या थूकते दिख जाय उससे आन द स्पॉट जुर्माने के तौर पर पर सौ रुपए वसूल किए जाएं।

चाय स्नैक्स नहीं बेच सकेंगे वेंडर

कोर्ट ने एडवोकेट रोल में शामिल अधिवक्ताओं तथा पंजीकृत/अपंजीकृत मुंशियों का ब्योरा लेकर परिचय पत्र जारी करने का भी आदेश दिया है जिससे न्यायालय परिसर में अनधिकृत लोगों के प्रवेश पर रोक लगाई जा सके। यह आदेश जस्टिस सुधीर अग्रवाल और सुनीत कुमार की खण्डपीठ ने दीपक कुमार पांडेय की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने इसके साथ ही न्यायालय परिसर में तम्बाकूयुक्त सामग्री, चाय, स्नैक्स आदि बेचने वाले वेंडर्स के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है। कोर्ट ने रजिस्ट्रार शिष्टाचार को नियमित सर्वे कर सुरक्षा बल तैनाती का आदेश दिया है। साथ ही निबंधक व संयुक्त निबंधक नजारत को न्यायालय परिसर का लगातार मुआयना करते रहने को कहा है ताकि जहां भी गंदगी या कूड़ा हो, हटाया जा सके। कोर्ट ने कहा है कि लापरवाही की शिकायत पर अधिकारी जवाबदेह होंगे।

जिलों की कोर्ट में भी होंगे इंतेजामम!

कोर्ट ने प्रदेश की सभी जिला अदालतों में एडवोकेट रोल तैयार कर परिसर प्रवेश प्रतिबंधित करने व सफाई इंतजामों पर अमल करने को कहा है। मामले की सुनवाई फ्0 जून को होगी। कोर्ट का कहना था कि आगे यह व्यवस्थाएं जिला न्यायालयों में भी लागू की जा सकती हैं। फिलहाल इसके लिए कोर्ट ने हाईकोर्ट बार एसोसिएशन सहित सभी जिला बार एसोसिएशनों से कोर्ट के सुझावों पर आपत्ति एवं सुझाव देने को कहा है।