10

हजार से अधिक व्यापारी और कारोबारी जीएसटी में रजिस्टर्ड

50

हजार रुपए से अधिक का माल ट्रांजैक्शन करने पर ई-वे बिल जेनरेट करना अनिवार्य

60

प्रतिशत व्यापार कच्चे बिल पर ही हो रहा

जीएसटी लागू होने के बाद भी नहीं थम रही टैक्स चोरी

माल गोदाम में पहुंचने के बाद कैंसिल हो रहा है ई-वे बिल

balaji.kesharwani@inext.co.in

PRAYAGRAJ: टैक्स चोरी रोकने और राजस्व बढ़ाने के लिए सरकार ने जीएसटी लागू किया था. बड़े कारोबारियों, व्यापारियों ने इसमें भी टैक्स चोरी का रास्ता निकाल लिया है. नतीजा, आज भी 50 से 60 प्रतिशत व्यापार कच्चे बिल पर ही हो रहा है. किराना दुकान हो या गारमेंट की, कपड़े की दुकान हो या इलेक्ट्रिक सामान, होटल हो या रेस्टोरेंट, ज्यादातर जगह कस्टमर्स को कच्चा बिल दिया जा रहा है.

टैक्स कलेक्शन बढ़ा, चोरी नहीं रुकी

प्रयागराज में हर रोज करोड़ों का व्यापार हो रहा है. 10 हजार से अधिक व्यापारी और कारोबारी जीएसटी में रजिस्टर्ड हैं. जीएसटी लागू होने के बाद टैक्स कलेक्शन भी बढ़ा है, लेकिन टैक्स चोरी पूरी तरह से बंद है, ये नहीं कहा जा सकता है. 18 से 28 प्रतिशत जीएसटी दायरे में आने वाले बड़े व्यापारी, कुछ छोटे व्यापारी हार्डवेयर, बालू गिट्टी और सरिया के कारोबारी टैक्स चोरी कर माल मंगा रहे हैं और फिर टैक्स चोरी करके ही माल बेच भी रहे हैं.

अलग से जीएसटी जोड़ कर रहे गुमराह

शहर के ही एक व्यक्ति ने करीब एक लाख रुपए की गिट्टी एक फर्म से खरीदी. उसने पक्का नहीं बल्कि कच्चा बिल लिया. उसने बताया कि बिल मांगने पर व्यापारी 18 फीसदी जीएसटी अलग से जोड़कर बिल बना रहा था. इसलिए टैक्स बचाने के लिए कच्चा बिल ले लिया.

ई-वे बिल कैंसिल करा हो रही है टैक्स चोरी

जीएसटी काउंसिल ने 50 हजार रुपए से अधिक का माल ट्रांजैक्शन करने पर ई-वे बिल जेनरेट करना अनिवार्य कर दिया है. 24 घंटे के अंदर ई-वे बिल कैंसिल कराने का ऑप्शन भी कारोबारियों व व्यापारियों को दे दिया है. इसका इस्तेमाल टैक्स चोरी के लिए खूब हो रहा है. माल व्यापारी और कारोबारी के गोदाम में पहुंचने के बाद ई-वे बिल कैंसिल हो जा रहा है. इसकी वजह से पूरा का पूरा माल ही दो नंबर का हो जा रहा है.

आरएफआईडी टैग से नहीं हो रही है चेकिंग

जीएसटी काउंसिल ने ई-वे बिल में हो रहे खेल को पकड़ने के लिए आरएफआईडी टैगिंग का आदेश जारी किया था. लेकिन अभी तक वह भी लागू नहीं हो सका है. जिसकी वजह से पूरे रास्ते में माल की चेकिंग न होने से ई-वे बिल कैंसिलेशन बढ़ गया है, जिसके जरिए टैक्स चोरी भी हो रही है.

रिटेलर नहीं दे रहे हैं जीएसटी

कस्टमर्स द्वारा पक्का बिल न लिए जाने की वजह से रिटेलर टैक्स के दायरे में आने से बच रहे हैं. जीएसटी में शामिल होने का स्लैब 20 से 40 लाख होने से कई व्यापारी दायरे से बाहर आ गए हैं. वहीं जो नहीं आए हैं, वे पक्का बिल न देकर टैक्स बचा रहे हैं.

ये बात बिल्कुल सही है कि कच्चे बिल पर बड़े पैमाने पर व्यापार हो रहा है. इसका नुकसान नंबर एक से व्यापार करने वाले व्यापारियों को हो रहा है. ई-वे बिल कैंसिलेशन का फायदा उठाया जा रहा है. कस्टमर्स द्वारा पक्का बिल न मांगना भी सबसे बड़ा कारण है. कस्टमर्स को भी जागरुक होना पड़ेगा.

-महेंद्र गोयल

प्रदेश अध्यक्ष कैट

कच्चे बिल पर व्यापार वही कर सकता है, जो टैक्स चोरी कर माल मंगाता हो. जो व्यापारी जीएसटी देकर माल मंगाए वो टैक्स चोरी क्यों करेगा, क्योंकि वो तो टैक्स देकर माल मंगा रहा है. कस्टमर्स को पक्का बिल मांगना चाहिए.

सुमित अग्रवाल

सीए

कच्चे बिल पर व्यापार किए जाने की शिकायत अभी तक फिलहाल नहीं आई है. अगर इस तरह का मामला कोई सामने आता है, तो जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी.

राम प्रसाद

एडिशनल कमिश्नर ग्रेड-2