RANCHI: रिम्स में सोमवार को एक कैदी के आइसीयू से भाग जाने के बाद भी पुलिस की नींद नहीं खुली है। हास्पिटल के बेसमेंट में बने कैदी वार्ड का गेट मंगलवार और बुधवार को भी खुला पाया गया। जहां से फिर रिम्स में इलाज करा रहा कोई कैदी आसानी से भाग सकता है। वहीं कैदी के भागने की स्थिति में कहीं से भी उसके पकड़े जाने या घेराबंदी की कोई संभावना नहीं है। चूंकि हास्पिटल से निकलने के बाद कैदी के भागने के आधा दर्जन रास्ते हैं। बताते चलें कि सोमवार को आइसीयू में इलाज करा रहा हत्या का आरोपी कैदी राजेश यादव फरार हो गया था।

कैदियों का अलग वार्ड

हास्पिटल के बेसमेंट में प्रबंधन ने सजायाफ्ता कैदियों के इलाज के लिए अलग से वार्ड बनाया है, जहां लंबे समय तक मरीजों का इलाज किया जाता है। इसमें मरीजों के खाने से लेकर हर तरह की सुविधाएं कैदी मरीजों को मिलती हैं। यहां तक कि उन्हें सारी दवाएं भी हास्पिटल ही उपलब्ध कराता है, ताकि उन्हें किसी भी चीज के लिए बाहर न जाना पड़े।

पुलिस न गेट पर न वार्ड में (बॉक्स)

इलाज करा रहे कैदियों की सुरक्षा में पुलिस के जवान तैनात किए गए हैं। इनकी ड्यूटी हास्पिटल के गेट और कैदियों पर नजर रखने की है, लेकिन दिन में न तो कोई जवान गेट पर होता है और न ही वार्ड में। वहीं गेट खुला रहने पर कैदियों के भागने के आसार बढ़ जाते है।

कैदी वार्ड में कोई आए-जाए (बॉक्स)

गेट खुला होने के कारण कोई भी व्यक्ति कैदी वार्ड में बेरोक-टोक चला जा रहा है। इसका फायदा उठाकर कैदी का कोई साथी उस तक हथियार आदि भी पहुंचा सकता है। इसके बावजूद सुरक्षा को लेकर पुलिस गंभीर नहीं है।