परिषदीय स्कूलों में हेड मास्टर का पद समाप्त होने से बढ़ी टीचर्स की मुश्किलें

आरटीई के प्रावधान लागू होने से खड़ी हुई शिक्षकों के समक्ष समस्या

ALLAHABAD: परिषदीय स्कूलों में छात्र संख्या में कमी के कारण हेड मास्टर के पदों को समाप्त करने की कवायद शुरू हो गई है। ऐसे में परिषदीय स्कूलों में सालों से लंबित सहायक अध्यापकों के प्रमोशन की आस टूटने लगी है। इसको लेकर शिक्षकों में भी आक्रोश बढ़ने लगा है। शिक्षकों का कहना है कि अगर यह व्यवस्था लागू हो गई तो शिक्षकों का प्रमोशन नहीं हो सकेगा। इतना ही नहीं पिछले सालों में हुई सहायक अध्यापक के पदों पर नियुक्ति पाने वाले शिक्षक भी नई व्यवस्था के लागू होने के बाद उसी पद से रिटायर होंगे, जिस पद पर नियुक्ति मिली थी।

2009 से प्रमोशन है पेंडिंग

परिषदीय स्कूलों में सहायक अध्यापकों के पदों पर वर्ष 2009 बैच से ज्वाइन करने से लेकर अब तक शिक्षकों को प्रमोशन का इंतजार है। नई व्यवस्था लागू होने के बाद नौ सालों से प्रमोशन के इंतजार में बैठे सैकड़ों शिक्षकों का सपना साकार होने के पहले ही समाप्त हो जाएगा। इसी को लेकर शिक्षक लामबंद होने लगे हैं। शिक्षकों का कहना है कि सरकार लंबे समय से प्रमोशन की मांग कर रहे शिक्षकों की मांग पूरी करने के स्थान पर नई व्यवस्था लागू करके सरकार शिक्षकों के अधिकार को ही खत्म करने को तैयार है। परिषदीय स्कूलों में छात्र संख्या बढ़ाने के लिए शिक्षक लगातार प्रयास कर रहे, ऐसे में शिक्षकों की कहां गलती है। जो उनका हक मारने का काम सरकार कर रही है।

शिक्षकों का कहना

2011 के पहले से जो शिक्षक है, उनको टेट अनिवार्य करना गलत है। नए आदेश में जूनियर में वही शिक्षक प्रमोट होंगे, जो जूनियर हाईस्कूल में टेट पास हों। हम लोगों ने जब ज्वाइन किया था, उस समय टेट अनिवार्य ही नहीं था।

देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव, शिक्षक

जो शिक्षक 2011 के बाद ज्वाइन करते हैं, वह टेट पास है। ऐसे शिक्षकों को फायदा होगा। जबकि पहले के शिक्षकों को बिना टेट के ही प्रमोशन देने की व्यवस्था होनी चाहिए।

हरित जेदली,

शिक्षक

कोई भी संस्था बिना हेड के नहीं चल सकती है। इस प्रकार हेड मास्टर का पद समाप्त करने से स्कूलों पर सीधा असर पड़ेगा। सहायक अध्यापक पढ़ाने के साथ हेड मास्टर का भी काम करेंगे, तो पठन पाठन प्रभावित होगा।

जगदीप सिंह, शिक्षक

बच्चों का मानक कम रखना चाहिए। सहायक अध्यापकों की संख्या में भी कमी की जा रही है। ऐसे में एक से लेकर पांचवीं तक की क्लास में कम शिक्षकों में कैसे काम होगा।

शैला अंसार,

शिक्षक