Corporate house के भरोसे है rescue operation
डिजास्टर से निपटने के लिए डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन के पास कोई संसाधन नहीं है। स्थिति गंभीर होने पर टाटा स्टील और जुस्को द्वारा हेल्प की जाती है। सिटी से नदियों में जाने वाले नालों की सफाई का निर्देश जुस्को एमडी को दिया गया है। इन्फॉर्मेशन के मुताबिक टाटा एडवेंचर फाउंडेशन के 7 बोट, 6 राफ्ट व 1 मोटर बोट से ही रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जाएगा।

Civil defence है लाचार

फ्लड की सिचुएशन में सिविल डिफेंस द्वारा एक्शन लिया जाता है, लेकिन प्रॉब्लम यह है कि इसके पास प्रोपर इंफ्रास्ट्रक्चर का अभाव है। सिविल डिफेंस द्वारा वर्ष 2012 में 212 व इस साल अब तक 145 लोगों को फस्र्ट एड के साथ ही अन्य ट्रेनिंग प्रोवाइड करायी गई है। सिविल डिफेंस के पास फिलवक्त 80 वार्डन हैं।


नहीं है swimmer और दूसरे infrastructure

डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन बाढ़ की स्थिति में केवल एक स्वीमर के भरोसे रहता है। मजहरूल बारी एक ट्रेंड स्वीमर हैैं और टाटा स्टील से जुड़े हैं। उन्हें सिविल डिफेंस का मेंबर बनाया गया है और जरूरत पडऩे पर उनकी हेल्प ली जाती है। इसके अलावा एडमिनिस्ट्रेशन द्वारा मछुआरों की हेल्प भी ली जाती है।


Active होगा toll free number
एडमिनिस्ट्रेशन ने डिस्ट्रिक्ट कलेक्ट्रेट में फ्लड कंट्रोल म बनाया गया है। इसका टोल फ्री नंबर 0657-2233853 24 घंटा काम करेगा। इस नंबर को एक्टिवेट कराने का निर्देश दिया गया है। इसके लिए शिफ्ट वाइज डेप्यूटेशन भी कर दिया गया है।


बांक्वेल व चांडिल डैम के लिए बना लिया गया है plan
ओडि़शा के बांक्वेल डैम से पानी छोडऩे पर खरकई में और चांडिल डैम से पानी छोडऩे पर स्वर्णरेखा में वाटर लेवल बढ़ जाता है। थर्सडे को चांडिल डैम के लिए प्लान तैयार कर लिया गया। इसे डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन को भेज दिया गया है। इसके लिए शिफ्ट वाइज स्टॉफ की ड्यूटी भी बांट दी गई है। इसके अलावा दोनों डैम एडमिनिस्ट्रेशन को निर्देश दिया गया है कि वे डैम से पानी छोडऩे से पहले इन्फॉर्म कर दें।

5 जोन में बांटा गया सिटी को
बाढ़ से बचाव के लिए डिस्ट्रिक्ट को पांच जोन में बांट गया है। इसके अलावा हर जोन के लिए ऑफिसर्स को जिम्मेवारी भी दी गई है। धालभूम व घाटशिला एसडीओ को वरीय प्रभार में रखा गया है। इन्हें पूरी रिपोर्ट डिस्ट्रिक्ट में डिजास्टर मैनेजमेंट के नोडल ऑफिसर एडीसी गणेश कुमार को सौंपेंगे।

ये हैं dangerous area
स्टेट आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा सिटी के कुछ इलाकों को फ्लड अफेक्टेड एरिया के रूप में आइडेंटीफाई किया गया है। इनमें आदर्शनगर, मानगो, बागबेड़ा, जुगसलाई व शास्त्रीनगर शामिल हैैं। इन सेलेक्टेड एरियाज में कुछ जगह ज्यादा डेंजरस हैैं। इनमें आदर्शनगर का जयप्रभा कॉम्प्लेक्स, मानगो में कपाली नाला, दाइगुïट्टू, सुभाषनगर नाला व जाकिरनगर, कदमा में रामनगर व लक्ष्मणनगर के अलावा बागबेड़ा के रानीडीह बारिश में फ्लड अफेक्टेड हो जाते हैं।

खरीदे जाएंगे 10-10 life jacket
डिजास्टर मैनेजमेंट के नोडल ऑफिसर एडीसी गणेश कुमार ने बताया कि जेएनएसी, एमएनएसी व जुगसलाई म्यूनिसपैलिटी के स्पेशल ऑफिसर को मोटर बोट, पैडल बोट, राफ्ट का आकलन करने को कहा गया है। इसके अलावा सेलेक्टेड फ्लड अफेक्टेड एरिया के साथ ही दूसरे स्थानों को भी आइडेंटीफाई करने को कहा गया है, ताकि आपात स्थिति में लोगों को वहां ले जाकर ठहराया जा सके। इन जगहों की लिस्ट एसडीओ को सौंप दी गई है। इसके साथ ही तीनों यूनिट्स को 10-10 लाइफ जैकेट खरीदने को भी कहा गया है।

World Bank ने भी दी है चेतावनी
इस वर्ष मानसून से नॉर्थ इंडिया में जैसी आपदा आयी है वैसी आपदा 100 साल में एक बार देखने को मिलती है। अब यह सिचुएशन हर 10 साल में देखने को मिलेगी। वल्र्ड बैैंक द्वारा ऐसी संभावना जतायी गई है। वल्र्ड बैैंक की रिपोर्ट के मुताबिक जलवायु परिवर्तन की वजह से भारत को बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है। वर्ष 2040 तक भारत के फूडग्रेन प्रोडक्शन में काफी गिरावट आ सकती है। देश का 60 परसेंट फूडग्र्रेन प्रोडक्शन मानसून आधारित है। 2050 तक अगर ग्लोबल टेम्परेचर में दो से ढाई परसेंट तक बढ़ोतरी होती है तो गंगा, ब्रह्मपुत्र व सिंधु नदियों के वाटर लेवल में काफी गिरावट आ सकती है। इससे 6.3 करोड़ लोगों के फूड सेफ्टी पर खतरा उत्पन्न हो सकता है।


For your information

-देश के 29 राज्यों में फैले बड़े बांधों व जलाशयों की संख्या है करीब 4728.
-अब तक केवल चौदह राज्य बना सके हैं डैम सिक्योरिटी ऑर्गेनाइजेशन।
-ज्यादातर राज्यों के पास बाढ़ की चेतावनी के लिए जरूरी नक्शे नहीं हैैं।
-देश के मैक्सिमम बड़े बांधों व जलाशयों में जलस्तर निगरानी तंत्र तक तैयार नहीं।
-अधिकांश बड़े बांधों व जलाशयों के लिए आकस्मिक कार्ययोजना नहीं बन पाई है।
-योजना आयोग ने नदियों को बांधने पर रोक लगाने का दिया है सजेशन।

बाढ़ से निपटने की पूरी तैयारी कर ली गई है। वर्ष 2008 में आयी बाढ़ से सबक लेते हुए पूरी तैयारी की जा रही है। इसके लिए सिटी को चार जोन में बांटा गया  है। इसके साथ ही बाढ़ कंट्रोल रूम 24 घंटे काम करेगा।
-गणेश कुमार, एडीसी सह डिस्ट्रिक्ट नोडल ऑफिसर, डिजास्टर मैनेजमेंट

इस बार मानसून की कंडीशन बेहतर है। बारिश नॉर्मल से ज्यादा हुई है और अगले तीन दिनों तक बारिश होने के आसार हैं।
-जीके मोहंती, डायरेक्टर, वेदर डिपार्टमेंट, रांची