हो चुके हैं कई हादसे

मंडे की मॉर्निंग साकची बस स्टैैंड के पास बस की चपेट में आने से एक महिला बुरी तरह इंजर्ड हो गई, हालाकि उसकी स्थिति खतरे से बाहर है। पर सभी लोग उतने खुशकिस्मत नहीं होते। देखा जाए तो 2011 और 2012 के दौरान सिटी में करीब 889 रोड एक्सीडेंट्स हुए, जिनमें 380 लोगों को जान गंवानी पड़ी। इस साल भी काफी संख्या में रोड एक्सीडेंट्स हुए हैं। इसके लिए ड्राइवर्स की लापरवाही के साथ-साथ रोड्स की कंडीशन भी जिम्मेदार है।

खतरनाक है ये dividers
सडक़ों पर लेन ड्राइविंग को इंश्योर करने और अपोजिट डायरेक्शन से आने वाली गाडिय़ों के बीच एक्सीडेंट की संभावनाओं को खत्म करने के लिए डिवाइडर बनाए जाते हैं। पर सिटी में कई इलाकों में मौजूद डिवाइडर अपने मकसद को पूरा करना तो दूर उल्टा ट्रैफिक की परेशानियों को बढ़ाने का काम कर रहे हैं। प्रॉपर गाइडलाइन के अभाव में कई जगहों पर ऐसे डिवाइडर बनाए गए हैं, जो अक्सर एक्सीडेंट्स की वजह बनते हैं।

बनते हैैं accident की वजह
साकची की तरफ से आकर आप जैसे ही मानगो ब्रिज क्रॉस करते हैं सामने मौजूद बिजी रोड पर लंबा सा रोड डिवाइडर दिखाई देता है। कई जगहों पर टूट चुके इस डिवाइडर की बनावट कुछ ऐसी है कि थोड़ी सी असावधानी होने पर एक्सीडेंट की संभावना रहती है। बेल्डिह चर्च स्कूल के पास का डिवाइडर भी कुछ ऐसे ही खतरे को पैदा करता दिखता है। यहां डिवाइडर की ऊंचाई इतनी कम है कि आसानी से गाड़ी इस पर चढ़ सकती है। ऐसे में अक्सर यहां एक्सीडेंट की आशंका बनी रहती है। साकची में ग्र्रेजुएट कॉलेज के पास तो थोड़ी सी दूरी में बनाए गए डिवाइडर की हालत कुछ ऐसी हो गई है कि वहां डिवाइडर के सिर्फ अवशेष ही दिखाई देते हैं। डिवाइडर्स की यह स्थिति सिटी के कई इलाकों में दिखाई देती है।

खलती है कमी
ऐसे कई बिजी रोड्स हैं जहां जरुरत होने के बावजूद डिवाइडर नहीं बनाए गए हैं। वोल्टास बिल्डिंग से स्टेशन जाने वाले रास्ते में काफी दूरी तक डिवाइडर नहीं बनाया गया है। हेवी ट्रैफिक वाले इस रोड में अक्सर एक्सीडेंट होते रहते है। उसके बावजूद इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया है। इसी तरह करीम सिटी कॉलेज से बिष्टुपुर जाने वाले बिजी रोड पर भी डिवाइडर नहीं बनाया गया है।

किए जा रहे हैं उपाय
जुस्को कारपोरेट कम्यूनिकेशन के हेड राजेश राजन ने बताया कि सिटी में रोड की कंडीशन को इंप्रूव करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। नए डिवाइडर्स को बनाने और पुराने की  रिपेयरिंग और पेंटिंग का काम भी किया जाएगा। इसके अलावा उन्होंने आम लोगों को रोड सेफ्टी रूल्स को फॉलो करने की सलाह भी दी। उनके अनुसार सिटी में 30 से 40 परसेंट रोड एक्सीडेंट्स रोड सेफ्टी रूल्स को फॉलो कर कम किया जा सकता है।

'डिवाइडर का निर्माण रोड साइज और ट्रैफिक मूवमेंट के अकॉर्डिंग किया जाना चाहिए। रोड्स पर लेन ड्राइविंग के लिए होती है। डिवाइडर का होना जरूरी है.'
-अनिल कुमार सिंह, एग्जिक्यूटिव इंजीनियर, रोड डिवीजन, पीडब्ल्यूडी

'रोड्स नेटवर्क के इंप्रूवमेंट के लिए कोशिशें की जा रही हैं। नए डिवाइडर्स को बनाने और रिपेयरिंग का काम भी किया जाएगा.'
-राजेश राजन, हेड, कारपोरेट  कम्यूनिकेशन, जुस्को

Report by: abhijit.pandey@inext.co.in