BAREILLYगुवाहाटी एक्सप्रेस में साढ़े 4 वर्षीय एक मासूम की तबीयत अचानक बिगड़ गई। लेकिन उसे 18 स्टेशन तक कोई इलाज ही नहीं मिला। ट्रेन के बरेली पहुंचने पर डॉक्टर ने पेशेंट को अटेंड तो किया, लेकिन यहां भी इलाज के नाम पर सिर्फ एक टेबलेट थमा दी गई। बता दें कि रेलवे अधिकारियों की लापरवाही के कारण 8 मई को चंडीगढ़-पाटलीपुत्र एक्सप्रेस में 4 वर्षीय आलोक की दस्त से मौत हो गई थी।


 

समस्तीपुर से दिल्ली जा रहा था परिवार

समस्तीपुर निवासी अनिल दास अपनी पत्‌नी अंजू और बेटी सोनी के साथ दिल्ली जाने के लिए गुवाहाटी एक्सप्रेस में सवार हुए। जिनका कोच एस-4 बर्थ 71 था। अनिल दिल्ली में ही मजदूरी करता है। समस्तीपुर से चार स्टेशन बीतने के बाद ट्रेन जब छपरा स्टेशन पहुंची तो सोनी को फीवर हो गया और कई बार उल्टी भी हुई। इसकी सूचना अनिल ने टीटीई को दी। लेकिन छपरा स्टेशन पर इलाज नहीं मिला।


बरेली जंक्शन पर डॉक्टर ने किया अटेंड

अनिल को लगा कि चलो अगले स्टेशन पर बेटी को इलाज मिल जाएगा। लेकिन रेलवे अधिकारियों ने हद कर दी। छपरा से बरेली के बीच पड़े 18 स्टेशनों पर किसी ने भी सोनी की तबीयत की फिक्र नहीं की। उधर, फीवर और उल्टी से सोनी की तबीयत काफी बिगड़ती गई। कोच में सफर कर रहे बाकी यात्री भी चिंतित हो गए। दोपहर 2 बजे के करीब ट्रेन बरेली जंक्शन के प्लेटफार्म नम्बर-2 पर आकर लगी। तब कहीं जाकर सोनी को मेडिसिन दी गई। वह भी सीरप की जगह एक टेबलेट परिजनों को थमा दी गई।