-Health को लेकर awareness की है कमी

-चयादातर लोग नहीं करवाते regular health check up

-Chronic disease में करीब 30 परसेंट लोग नहीं करवाते regular treatment

JAMSHEDPUR : कहावत है प्रिवेंशन इज बेटर दैन चयोर, पर बात सिटी की करें तो यहां प्रिवेंशन तो दूर की बात बड़ी से बड़ी बीमारियों में लोग रेचयूलर ट्रीटमेंट तक नहीं करवाते। हाल में जारी हुए एनुअल हेल्थ सर्वे के आंकड़ों के अनुसार डिफरेंट क्रॉनिक डिजीज से पीडि़त करीब 30 परसेंट लोग रेचयूलर ट्रीटमेंट नहीं करवाते हैं। इसकी एक बड़ी वजह लोगों में अपने हेल्थ को लेकर अवेयरनेस की कमी भी है।

नहीं है concept

अचछे हेल्थ के रेचयूलर हेल्थ चेकअप जरूरी है, लेकिन बात सिटी की करें, तो यहां चयादातर लोगों को इससे कोई मतलब नहीं। फिजिशियन डॉ बलराम झा कहते हैं कि हेल्थ चेकअप तो दूर कई लोग तो बीमारी डिटेचट होने के बाद भी डॉचटर्स के एडवाइस को इचनोर करते हुए प्रोपर ट्रीटमेंट नहीं करवाते। उचहोंने कहा कि 100 में से कोई आदमी ही रेचयूलर हेल्थ चेकअप के लिए आता है। ऐसे में कई बार बीमारियां इतनी बढ़ जाती हैं कि ट्रीटमेंट करना काफी मुश्किल हो जाता है।

सतर्क रहना है जरूरी

कार्डियोलॉजिस्ट डॉ अभय कृष्चा ने कहा कि वैसे लोग जिनमें किसी डिजीज का रिस्क फैचटर है, उचहें रेचयूलर हेल्थ चेकअप करवाना चाहिए। उचहोंने कहा कि अगर किसी बीमारी के अर्ली सिचपटचस आ रहे हों, तो ये और भी जरूरी है। डॉ बलराम झा ने कहा कि 40 चलस के लोगों को समय-समय पर चलड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल, चलड सुगर जैसे टेस्ट करवाते रहने चाहिए। उचहोंने कहा कि अगर किसी डायबिटीज या हार्ट डिजीज की फैमिली हिस्ट्री हो तो प्रिवेंटिव चेकअप बेहद जरूरी है।

Silent disease से बचना जरूरी

प्रिवेंटिव हेल्थ चेकअप का इचपॉर्टेस बताते हुए फिजिशियन डॉ अशोक कुमार ने कहा कि कई बीमारियां साइलेंट होती हैं, जिनका पता अर्ली स्टेज में नहीं चल पाता। ऐसे में समय-समय पर हेल्थ चेकअप करवाना जरूरी है। उचहोंने कहा कि डायबिटीज, रुमैटिक हार्ट डिजीज, हायपरटेंशन, किडनी डिजीज सहित कई तरह की बीमारियों का अर्ली स्टेज में पता लगाने के लिए रेचयूलर हेल्थ चेकअप जरूरी है।

नहीं होता regular treatment

एनुअल हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार डिस्ट्रिचट में डायबिटीज, हायपरटेंशन, क्रॉनिक रेस्पीरेटरी डिजीज, आर्थराइटिस और दूसरी क्रॉनिक डिजीज के मामलों में म्9.7 परसेंट लोग ही रेचयूलर ट्रीटमेंट करवाते हैं। रूरल एरियाज में ये परसेंटेज और भी कम है। अर्बन एरियाज में जहां 7ब्.भ् परसेंट लोग रेचयूलर ट्रीटमेंट करवाते हैं, वहीं रूरल एरियाज में ये परसेंटेज सिर्फ भ्ख्.फ् है। अगर मेल-फीमेल रेशियो देखें तो जहां क्रॉनिक डिजीज से पीडि़त 70.फ् परसेंट मेल रेचयूलर ट्रीटमेंट करवाते हैं, वहीं फीमेल का परसेंटेज म्9.क् है।

99 परसेंट लोग रेचयूलर हेल्थ चेकअप नहीं करवाते। बीमारियों का अर्ली डिटेचशन होने पर ट्रीटमेंट आसान हो जाता है। अगर बीमारी का रिस्क फैचटर है, तो हेल्थ चेकअप और भी जरूरी है।

-डॉ बलराम झा, फिजिशियन, एमजीएम

अगर किसी बीमारी के अर्ली सिचपटम आए, तो उसे इचनोर नहीं करना चाहिए। जिन लोगों में किसी बीमारी का रिस्क फैचटर है उनके लिए चेकअप बेहद जरूरी है।

-डॉ अभय कृष्चा, कार्डियोलॉजिस्ट, ब्रह्मानंद मल्टीस्पेशियालिटी हॉस्पिटल

डायबिटीज, रुमैटिक हार्ट डिजीज, हाइपरटेंशन सहित कई बीमारियों के अर्ली सिचपटम नहीं होते। इसलिए जरूरी है कि समय-समय पर हेल्थ चेकअप करवाया जाए, ताकि किसी बीमारी की संभावना होने पर सही समय पर उसका पता लगाया जा सके।

-डॉ अशोक कुमार, फिजिशियन