- आमलोगों के अलावा वीआईपीज भी तोड़ रहे कानून

सड़क पर गाडिय़ों की लंबी कतार। इनमें अधिकतर वीआईपीज गाडिय़ां। सुबह-सुबह संजय गांधी बोटेनिकल गार्डेन के गेट नंबर एक और दो पर ऐसी गाडिय़ां लग जाती हैं। हालांकि जू में मॉर्निंग वाक पर पाबंदी लगी हुई है, फिर भी नियम को ताक पर रखकर घूमने वालों की कमी नहीं है। जू ऑथोरिटी इस मामले में कई बार लोगों को अवेयर कर चुका है, पर नतीजा सिफर। आमलोगों की बात तो छोडि़ए, वीआईपीज भी रोज मॉर्निंग वाक करने आते हैं और गेट के बाहर 'बत्तीÓ वाली गाडिय़ां लगी रहती हैं। जू ऑथोरिटी के मुताबिक गेट नंबर एक व दो को मिलाकर हर दिन 7 से 8 हजार लोग मार्निंग वाक करने आते हैं।
तो आराम कब करेंगे
सुबह से लेकर शाम तक जू विजिटर्स से भरा पड़ा रहता है। नतीजन जानवरों को आराम करने तक का टाइम नहीं मिलता। आम आदमी नॉर्मल डेज में 8 घंटे और इमरजेंसी में अधिक से अधिक 12 घंटे की ड्यूटी देता है। पर, पटना जू के जानवर हर दिन 15 घंटे की ड्यूटी देते हैं। जू के डायरेक्टर अभय कुमार बताते हैं कि जानवरों को भी आराम चाहिए। उन्होंने बताया कि कहीं के भी जू में मॉर्निंग वाक की व्यवस्था नहीं है, लेकिन पटना जू में यह वर्षों से चला आ रहा है। कुछ साल पहले पटना जू को वल्र्ड के अच्छे जू की कटेगरी में शामिल कर लिया गया है। पर, लोगों की अधिक आवाजाही के कारण यहां पर जानवरों को परेशानी हो रही है और वे स्टे्रस में रहने लगे हैं. 

बंद नहीं किया जाए
मैं पिछले 30 सालों से यहां टहलने आ रहा हूं। यहां आकर जो सुकून मिलता है, वह कहीं और नहीं। दोस्तों से भेंट-मुलाकात हो ही जातीहै, इसके अलावा ठंडी हवा खाने की भी मजा मिलता है। हम जानवरों को तो बिलकुल डिस्टर्ब नहीं करते हैं। मेरी नजर में मॉर्निंग वाकर्स के लिए बंद करना गलत है. 
केके पंकज, बिजनेसमैन, शिवपुरी

हम तो बस यूं ही टहलने आ जाते हैं। जानवरों को डिस्टर्ब कहां करते हैं? जू में अगर टहलना बंद हो जाएगा, तो बड़ी मुश्किल होगी। पटना में और तो कोई जगह भी नहीं है, जहां मॉर्निंग वाक किया जा सके। यहां जैसी सुविधाएं हैं, वैसी और कहीं नहीं हैं। मॉर्निंग वाकर्स के लिए इसे बंद नहीं करना चाहिए।
प्रो। जनार्दन सिंह, पटना यूनिवर्सिटी

 

Take your walk here

- चिल्डे्रन पार्क।
- लगभग हर मुहल्ले में बने पार्क में घूम सकते हैं। शहर में ऐसे कुल 23 पार्क हैं।
- राजधानी वाटिका में भी घूम सकते हैं।
- गांधी मैदान भी टहलने का अच्छा ऑप्शन है।
- राजभवन रोड, सर्कुलर रोड आदि, जहां पर कम आवाजाही होती है।


ये हैं प्रॉब्लम
- जब जू में अधिक शोरगुल होता है, तो जानवरों में स्टे्रस की प्रॉब्लम बढ़ जाती है। इस कारण खाना-पीना भी सही से नहीं करते हैं।
- अधिक लोग देखकर जानवर भी घबरा जाते हैं और उनका हार्टबीट बढ़ जाता है।
- जानवर लगभग 15 घंटे लोगों के बीच रहते हैं। उन्हें अकेले में रहने का मौका कम मिलता है और वे अच्छे से आराम नहीं कर पाते।
- स्टे्रस में रहने के कारण कई जानवरों को ब्रीदिंग करने में परेशानी आ रही है।