- टेंडर में खास कंपनियों को अफसरों ने दी मनमानी सुविधाएं

- कृषि उत्पादन आयुक्त जांच के बाद मंत्री ने किया सस्पेंड

- फर्जीवाड़े में शामिल चार कंपनियां ब्लैक लिस्ट, होगी वसूली

LUCKNOW : राज्य सरकार ने आखिरकार मृदा परीक्षण के टेंडर में हुई धांधली पर सख्त कदम उठाते हुए कृषि विभाग के नौ अफसरों को बुधवार को सस्पेंड कर दिया। इनमें संयुक्त निदेशक स्तर के दो अधिकारी, उप निदेशक स्तर के पांच तथा सहायक निदेशक स्तर के दो अधिकारी शामिल हैं। साथ ही आपसी मिलीभगत से टेंडर लेने वाली चार कंपनियों को ब्लैकलिस्ट करते हुए उनसे वसूली किए जाने के आदेश भी जारी कर दिए गये हैं। कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने राज्य सरकार द्वारा उठाए गये कदमों के बारे में जानकारी दी।

फर्मो को पहुंचाया फायदा

कृषि मंत्री ने पत्रकारों को बताया कि प्रदेश सरकार ने मृदा परीक्षण के लिए जांच एजेंसी के चयन में टेंडर की शर्ते भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुरूप न होने, अनियमितता पाये जाने तथा फर्म विशेष को फायदा पहुंचाने के लिए टेंडर की शर्तो में फर्म विशेष को ध्यान में रखकर शर्ते डालने के आरोप में नौ अफसरों पर सख्त कार्रवाई करते हुए उन्हें सस्पेंड कर दिया है। इनमें से ज्यादातर निविदा समितियों के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। इसके अलावा चार कंपनियों मेसर्स यश सॉल्यूशंस, मेसर्स सिद्धी विनायक, मेसर्स सतीश कुमार अग्रवाल तथा मेसर्स सरस्वती सेल्स को टेंडर में फर्जी दस्तावेज लगाने तथा विभागीय अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर टेंडर हासिल करने के आरोप में ब्लैक लिस्ट कर दिया गया है। साथ ही इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश भी दिए गये है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2018-19 में बरेली में एस। सॉल्यूशंस को भुगतान की गयी धनराशि भी वसूलने के आदेश जारी कर दिए गये है।

एपीसी ने की थी जांच

ध्यान रहे कि करीब दो माह पूर्व उजागर हुए इस मामले की जांच कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ। प्रभात कुमार ने की थी। तत्पश्चात 29 सितंबर को यह फाइल कृषि मंत्री के पास भेजी गयी। कृषि मंत्री ने बताया कि जिन अधिकारियों को सस्पेंड किया गया है उन्होंने केंद्र के दिशा निर्देशों का उल्लंघन कर निविदा में कुछ ऐसी शर्ते जोड़ी जो कुछ फर्मो के ही हित में थी। मसलन 50 हजार से अधिक नमूनों की जांच एवं उप्र काम अनुभव, डीएम से हैसियत प्रमाणपत्र आदि। इससे यहां पहले से काम कर रही मेसर्स यश सॉल्यूशन, सतीश अग्रवाल, सिद्धि विनायक और सरस्वती को ही मिट्टी की जांच का काम मिला। ये शर्ते नहीं होती तो निविदा की प्रक्रिया में कुछ और फर्मे भी भाग ले सकती थीं।

इन्हें किया गया सस्पेंड

1. पंकज त्रिपाठी संयुक्त कृषि निदेशक (शोध एवं मृदा सर्वेक्षण) कृषि निदेशालय, लखनऊ

2. जुगेंद्र सिंह राठौर संयुक्त कृषि निदेशक (2018-19 में अलीगढ़ मंडल की निविदा समिति के अध्यक्ष)

3. विनोद कुमार उप कृषि निदेशक बरेली (2017-18 व 2018-19 में बरेली मंडल की निविदा समिति के अध्यक्ष)

4. डॉ। अशोक कुमार उप कृषि निदेशक मुरादाबाद (2017-18 व 2018-19 में मुरादाबाद मंडल की निविदा समिति के अध्यक्ष)

5. राजीव कुमार उप कृषि निदेशक सहारनपुर (2018-19 में सहारनपुर मंडल की निविदा समिति के अध्यक्ष)

6. राम प्रताप उप कृषि निदेशक झांसी (2017-18 में झांसी मंडल की निविदा समिति के अध्यक्ष)

7. सुरेंद्र चंद्र चौधरी उप कृषि निदेशक मेरठ (2017-18 व 2018-19 में मेरठ मंडल की निविदा समिति के अध्यक्ष)

8. श्रीदेव शर्मा उप कृषि निदेशक/ प्रभारी, सहायक निदेशक (मृदा परीक्षण/कल्चर) अलीगढ़

9. संजीव कुमार सहायक निदेशक (मृदा परीक्षण/कल्चर) बरेली