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स्लग: मामला रिम्स के कैदी वार्ड का, कभी भी भाग सकते हैं इलाजरत अपराधी

-न रिम्स मैनेजमेंट गंभीर, न कैदी के साथ आए पुलिसकर्मी को फिक्र

RANCHI (5 Nov): रिम्स में आम मरीजों की तरह ही बीमार कैदियों का भी इलाज हो रहा है, जहां कैदियों के लिए अलग वार्ड भी बनाया गया है। लेकिन, यहां सिक्योरिटी का कोई इंतजाम ही नहीं है। ऐसे में मौका देखकर इलाज करा रहा कैदी आसानी से भाग सकता है। इसके बावजूद सिक्योरिटी को लेकर न तो मैनेजमेंट गंभीर है और न ही कैदियों के साथ रिम्स में आने वाले पुलिस कर्मी। बताते चलें कि पिछले कई दिनों से कैदी वार्ड का ग्रिल टूटा हुआ है। इस वजह से कैदी वार्ड में ताला नहीं लगाया जाता है।

आसानी से पहुंचाया जा सकता है हथियार

सिक्योरिटी सिस्टम दुरुस्त नहीं होने के कारण कैदी वार्ड की सुरक्षा भगवान भरोसे है। इसका फायदा उठाकर कैदी वार्ड में आसानी से हथियार पहुंचाया जा सकता है। वहीं किसी भी कैदी को भगाने में परिजन या उनके साथी मदद कर सकते हैं। चूंकि गेट पर कोई भी पुलिस का जवान तैनात नहीं रहता है।

एक दर्जन कैदी भर्ती रहते हैं वार्ड में

कैदी वार्ड में हर वक्त एक दर्जन से अधिक मरीज इलाजरत रहते हैं। इसमें अलग-अलग जेलों से आए कैदियों को रखा जाता है। उसमें से कई मरीज तो खूंखार भी हैं, जो हत्या के जुर्म में सजा काट रहे हैं। लेकिन इलाज के बहाने ये लोग रिम्स में कुछ दिन आराम करने चले आते हैं। ऐसे में इन्हें विशेष परिस्थिति में ही कैदी वार्ड से बाहर निकाला जाता है।