टोटली ड्रग रेज़िसटेंट टीबी उस स्थिति को कहा जाता है जब उस पर कोई दवा काम नहीं करती। केंद्र सरकार की इस टीम ने कहा है कि मुंबई के हिंदूजा अस्पताल में टीबी के जो मामले सामने आए थे वे एक्सटेंसिवली ड्रग रेज़िसटेंट यानी एक्सडीआर टीबी की श्रेणी में आते हैं न की टीडीआर के अंतर्गत।

एक्सडीआर टीबी इस बीमारी की वो श्रेणी है जिसमें इस बीमारी के लिए दी जाने वाली दवाएं, इंजेक्शन और अन्य एंटीबॉयोटिक मरीज़ के शरीर पर काम करना बंद कर देती हैं। इस टीम का कहना है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन या डब्लयूएचओ टीडीआर टीबी की शब्दावली का समर्थन नहीं करता।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के लिए एक परियोजना पर काम कर रहे डॉक्टर शमीम मेमन का कहना है,'' टीडीआर टीबी नाम की शब्दावली इस्तेमाल में नहीं है और इसे स्पष्टतौर पर परिभाषित नहीं किया गया है। टीबी की बीमारी के लिए केवल एक्सडीआर और मंल्टी ड्रग रेज़िस्टेंट का इस्तेमाल होता है.''

मामलों की जांच

टीबी को नियंत्रण करने के लिए चलाए जा रहे कार्यक्रम के तहत उसे रिवाइस्ड नेशनल टीबी कंट्रोल प्रोगाम के नाम से जाना जाता है। इसके अंतर्गत वे प्रयोगशालाएं आती हैं जिन्हें इस बीमारी का टेस्ट करने के लिए मान्यता प्राप्त होती है। केंद्र सरकार की टीम ने कहा है जो मामले सामने आए है उनकी जांच एक्सडीआर टीबी के लिए जो प्रणाली होती है उसके तहत किया जाए।

डॉक्टर मेमन का कहना है कि टीडीआर शब्द का इस्तेमाल चिकित्सा के जगत में पहले भी हो चुका है। साल 2009 में ईरान में क़रीब 15 मरीज़ो की जांच की गई और पहली बार वहां टीडीआर टीबी शब्द का इस्तेमाल किया गया।

उनका कहना था, हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जनवरी के महीने में कुछ तथ्य जारी किए है जिसमें कहा गया है कि टीबी पर हर दवा काम नहीं करती है और इसके बारे में एक प्रश्नावली भी निकाली गई है।

डॉक्टर मेमन का मानना है कि भारतीय समाज में ड्रग रेज़िसटेंट टीबी यानी कई मामलों में दवाओं का असर न होने के मामले भी सामने आ रहे हैं।

इलाज

इससे पहले मुंबई में डॉक्टरों ने कहा था कि टीडीआर टीबी के 12 मामलों का पता चला है जिसमें से तीन मरीज़ों की मौत हो गई है। केंद्र की इस टीम ने कहा है कि इन मामलों की जांच टीबी के लिए पंजीकृत प्रयोगशालाओं में ही की जाए।

इस टीम ने कहा है जो 12 मामले सामने आए है उनमें से नौ मरीज़ों पर बीमारी का असर पता लगा लिया गया है और उनका इलाज चल रहा है। उनकी हालत स्थिर है। वहीं तीन मरीज़ो की मौत हो चुकी है। इन मरीज़ो में से नौ मुंबई के रहने वाले हैं।

वहीं इस घटना के बाद वृहत्तर मुंबई नगर निगम और राज्य सरकार ने भी कई क़दम उठाए हैं जिसमें टीबी की रोकथाम के लिए मज़बूत उपायों, जांच के लिए सुविधाएं और टीबी के लिए दवाएं मुहैया कराना शामिल है।

टीबी के बारे में जागरुक करने के लिए कई कार्यक्रम चलाए जा रहे है और विज्ञापनों के माध्यम से प्रचार भी किया जा रहा है.सरकार भी टीबी के इलाज के लिए मुफ़्त दवाएं मुहैया कराती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक दुनिया की एक तिहाई आबादी टीबी से संक्रमित है। संगठन के अनुसार 2003 में इस बीमारी से मरने वालों की संख्या 18 लाख पहुँच गई थी लेकिन 2010 में ये 14 लाख रही।

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